जय मां हाटेशवरी....
मुझे लगता है.....
आज देश में दो तरह के ही लोग हैं.....
एक वो जो सरकार के पक्ष में बोलते हैं.....
दूसरे सरकार के विरोध में.....
सत्य बोलने वाले कहीं नजर नहीं आ रहे....
ये शायद महाभारत काल सी स्थिति है......
जहां एक न एक पक्ष के साथ जाना ही था.....
लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मिडिया भी स्वतंत्र नहीं है.....
जनता भ्रमित है......
इस लिये शायद देश सही दिशा में नहीं जा रहा है.....
भाई रविंद्र जी की पसंद आप रविवार को पढ़ चुके हैं......
इस लिये आज आप मेरी पसंद पढ़िये......
बेटी ने उंगली पकड़कर संभाला मुझे
सफर बहुत आसान रहा
मुझको बहुत आराम रहा
बेटी ने उंगली पकड़कर संभाला मुझे
बहुत सुखद अंजाम रहा
कथन-अमानुषिकता से जूझती दुनिया
महज इत्तेफाक नहीं है यह
कि सदियों से वे
साढ़े तीन हाथ लम्बी नाक लिए
अवतरित होते हैं
हम पैदा होते हैं नकटे ही
नकटे ही मर जाते हैं.
कि हमारी धोती
घुटने नहीं ढंक पाती हमारे
उनकी धोती अंगूठा चूमती है पैर का
तर्जनी में घूमती है.
कुण्डलियाँ , "फूल "
फूल खिले हैं डाल पे, महक उठा है बाग।
बैठ डाल पर आम की, कोयल गाती राग।
कोयल गाती राग, भ्रमर तितली भी डोले।
आओ रस लो बाँट, मधुमक्खी भी बोले।
देख आया हूँ ...
अप्सराओं का रोता हुआ संसार देख आया हूँ --
वेदना से मुक्ति का सन्मार्ग बताने वालों की
षड़यंत्री सहयोग रक्ताई तलवार देख आया हूँ
खुशियाँ छिन लेता है जमाना जहालत देकर
देकर शीतल छांव घातक प्रहार देख आया हूँ -
कांटे नागफणी के
बड़े पहरे लगे हैं आसपास
नागफनी के काँटों के |
जैसे ही हाथ बढते हैं उसकी ओर
नागफनी के कंटक चुभते हैं
चुभन से दर्द उठाता है
बिना छुए ही जान निकलने लगती है |
वह है वही नागफणी की सहोदरा सी
डर लगता है
मुझको तेरा भय दिखलाकर तुमको मेरा भय दिखलाया
थी जो मेड़, बन गयी खाई फिर पक्की दीवार बनाया
हमे तुम्हारे तुम्हें हमारे व्यवहारों से डर लगता है
कपटसंधियाँ करने वाले जनगणमन का गान कर रहे
षडयंत्रो की रचना वाले संविधान का नाम जप रहे
मुझको इन रचनाकारों से डर लगता है डर लगता है !!
लघुकथा : बुके
सखियों की मण्डली खिलखिलाती बातें करती लॉन में जमी थी । बातों का दौर न जाने
कहाँ - कहाँ की सैर करता घर की तरफ मुड़ गया और अनायास ही एक - दूसरे की प्रशंसा
और टिप्स लेने - देने का दौर चल निकला ।
अब इस सप्ताह का विषय
हम-क़दम-109
रचनाकार हैं
कविवर डॉ.शिवमंगल सिंह 'सुमन'
प्रेषण तिथिः 29 फरवरी 2020
प्रकाशन तिथिः 02 मार्च 2020
ब्लॉग सम्पर्क फार्म द्वारा
धन्यवाद।
#हिन्दी_ब्लॉगिंग
विचारणीय भूमिका एवं विविध रंगों से भरी रचनाएँ..
जवाब देंहटाएंएक बात कहना चाहूँगा कि मीडिया ने स्वयं ही अपनी स्वतंत्रता समाप्त कर रखी है, यदि हम किसी से उपहार (विज्ञापन) लेंगे तो उसके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करनी ही होगी।
पहले चतुर्थ स्तंभ से जुड़े लोग निर्धन होकर भी स्वाभिमानी थे परंतु अब उनका उद्देश्य भी पैसा कमाना है, क्योंकि उनकी ईमानदारी का समाज में कोई मोल नहीं। उनके संकट में साथ देने की जगह लोग उपहास करते हैं कि बड़ा तोप बन गया था, अब फंसा है।
सादर..।
व्वाहहहहहह....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
आभार आपका..
सादर..
बेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात व शुभकामनाएँ ।
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआखिर में किसी ने सच बोल ही दिया। बधाई पाक साफ प्राक्कथन की।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भुमिका, सुंदर लिंक चयन, सभी रचनाकारों को बधाई।