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जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है।
नून-रोटी के जुगाड के ज़द्दोज़हद में अनगिनत पल ऐसे आते हैं जब निराशा एक अंधेरी गुफा की तरह मन पर छा जाती है।
कोई राह नहीं सूझता,अंधेरे में अनजान मुसीबतों ,ठोकरों और शत्रुओं के प्रति आशंकित मन फिर भी
घुप्प अंधेरी गुफा का छोर ढूँढ़ना नहीं छोड़ता है
और तब तक टटोलता रहता है जब तक का उजाले की किरण उस कालिमा को मिटा न दे।
उजाला जीवन की सकारात्मकता,आशा,खुशियाँ और प्रगति का प्रतीक होता है।
तो चलिए पढ़ते है हमारे प्रिय रचनाकारोंं ने
अपनी लेखनी से
क्या अद्भुत वैचारिकी उजाला बिखेरा है।
चलिए पढ़ते हैं-
आदरणीया साधना वैद जी
लम्हा भर रोशनी .....
आज जब यह पट्टी उतरी है
मुझे इस घनघोर तिमिर में
एक जुगनू की
लम्हा भर रोशनी भी
हज़ार सूरजों की ब्रह्माण्ड भर
रोशनी से कहीं अधिक
चौंधिया गयी है
और मैं चकित हूँ
कि आज इस रोशनी में
मुझे कुछ भी
दिखाई क्यों
नहीं दे रहा है !!
आदरणीया आशा सक्सेना जी
उजाला
हार थक कर सो जाते
धीमाँ हो जाता उजाला |
पर चांदनी हार न मानती
दुगने बेग से फैल जाती
चमकाती घर द्वार |
★★★★★
आदरणीय डॉ. सुशील सर
अंधेरा ही उजाले का फायदा
अंधेरा ही
उजाले का फायदा
अब उठाता है
अंधेरा छुपा
लेता है खुद को
और मदद करती है
रोशनी भी उसको
बचाने के लिये
उजाला नहीं
सीख पाया
टिकना अभी भी
आता है और
चला जाता है
★★★★★
आदरणीया कुसुम कोठारी जी
तिमिर के पार जिजीविषा
पानी न मिला तो प्राणों का
अविकल गमन है
प्राण रहे तो किनारे जाने का
युद्ध अनवरत है
लो बरस गई बदरी
सुधा बूंद सी शरीर मे दौड़ी है
प्रकाश की और जाने की
अदम्य प्यास जगी है
हाथों की स्थिलता में
अब ऊर्जा का संचार है
★★★★★★
आदरणीया अभिलाषा चौहान( दो रचनाएँ)
उजाले तेरी यादों के .....
उजाले तेरी यादों के,
सदा रहते मेरे मन में।
कमी खलती बहुत तेरी,
है खालीपन जीवन में।
छटपटाती कभी जब मैं,
तेरी यादों की किरण कोई।
★★★★★★
नया उजाला भर आएं
चलो कुछ नया काम कर जाएं,
डूबे हैं जो अंधेरों में।
जीवन उनके उजालों से भर जाएं।
नहीं पहुंचा जहां तक आज,
उजाला शिक्षा का देखो।
चलो इक दीप ज्ञान का,
वहां जाकर जला आएं।
★★★★★
आदरणीया अनुराधा चौहान( दो रचनाएँ)
उम्मीद का दामन थाम .....
कुछ उजाला
सूरज से लेलो
शीतलता चाँद से
सारे प्रयास सफल
हो जाएंगे तब जब
जीवन में भरोगे उजास
★★★★★
हौसलों की उड़ान ...
हटा कर अँधेरे का पर्दा
उजाले का दामन थामकर
निकल पड़ी नयी राह पर
अपनी खुशियों की चाह लिए
कब तक पर्दे में दुःख सहती
खुद को टूटने-बिखरने देती
★★★★★
पुरुषोत्तम सिन्हा (दो रचनाएँ)
वीरान बस्तियां...
बस्तियों से दूर हो चले ये उजाले,
सांझ हुई या हैं ये गर्त अंधेरों के प्याले,
स्तब्ध खमोश हो चले सब सहचर,
सन्नाटों में चीख रहे ये निशाचर!
छल-छल करती पसरती ये रात,
पल-पल बोझिल होता ये सूना मंजर,
हर क्षण फैला है मरघट सा आलम,
बस्तियों में व्याप चुके हैं मातम!
★★★★★
रात ....
वो रात विरहन सी,
मिल न पाई कभी भोर से,
रही दूर ही उजालों के किरण से,
दीपक मगर गुनगुनाती रही रात भर।
डराती रही रात, मगर हम गुनगुनाते रहे रात भर!
★★★★★★★
आदरणीय शशि गुप्ता जी
ख्वाब उजाले की
बुझते शमा को दिल से
जलाएँ भी क्यों लोग ?
बाजार में रौशनी की
नुमाइश क्या कम है ??
दर्द दिल का फिर ना
यूँ अब बताएँगे तुझे
खुशियों भरी महफ़िल हो
लो ये दुआ करते है ..!!
★★★★★★
आज हमक़दम का अंक आप सभी को कैसा लगा?
आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया हमारा
उत्साहवर्धन करती है।
हमक़दम के अगले विषय में जानने के लिए
कल का अंक पढ़ना न भूले।
#श्वेता सिन्हा
बेहतरीन रचनाएँ..
जवाब देंहटाएंउजाले की सटीक व्याख्या.
साधुवाद...
सादर...
वाहः
जवाब देंहटाएंउजाला ही उजाला
शानदार प्रस्तुतीकरण
बेहतरीन आलेख के साथ विशेष प्रस्तुति हेतु आदरणीया श्वेता जी को नमन।
जवाब देंहटाएंअनुपम रचनाएँ उजाला पर बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउजाला पर अभिनव भुमिका सकारात्मकता का सुंदर पैगाम लिये शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
अप्रत्याशित रूप से अपनी एक पुरानी कविता को हम कदम में देख कर आत्म विभोर हूं मैं, और इस के लिये प्रिय श्वेता को अंतर मन से स्नेह आभार व्यक्त करती हूं।
सुन्दर सार्थक सूत्रों का संकलन आज के अंक में ! मेरी रचना को हमकदम के सफ़र में स्थान देने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सस्नेह वन्दे !
जवाब देंहटाएंउजाले बिखेरता बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंवाह!!श्वेता ,बेहतरीन प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी
जवाब देंहटाएंउजाला ही उजाला, भूमिका के साथ सभी रचनाएं
जवाब देंहटाएंअति उत्तम, जहां उजाला है , वहां अंधकार को
हार माननी ही पड़ती है। बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
श्वेता जी,सभी रचनाकारों की लेखनी को नमन
और मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए सहृदय आभार,सादर
शानदार व लाजवाब प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंवाह श्वेता बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। सभी रचनाकारों को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर हलचल की प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंसादर
हलचल की सोमवारीय हमकदम के पन्ने में सुन्दर लाजवाब रचनाओं के बीच 'उलूक' की बकबक को जगह देने के लिये आभार श्वेता जी।
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