शायद नहीं....
देह के समीकरण से परे देखना कभी उसे
समूचा ब्रह्मांड समेट के रखती है
खिलखिलाते लबों के पीछे मुस्कुराती सी
जिंद़गानी सहेजे रखती है
देखना कभी नजरे मिलाकर, न जाने कितने
सैलाब समेटकर रखती है
जीवन की राह में चलते हुए
अचानक दिख जाता है एक आईना
एक वजूद के रुप में
असमंजस होता है
हुबहू कोई हम जैसा भी होता है
अजनबी होता है,लेकिन
दिल की गहराइयों में
स्थापित हो जाता है अनायास ही
हर चीज से परे उसकी हँसी
जादू सी है उसकी हँसी
मुझे चिंतन में डालती
चंचल सी चितवन उसकी
हर बार वारी जाऊँ जिस पर
ऐसी है उसकी हँसी
तुम देह को भोग कर आना
अपना सारा इश्क़ करके आना
जब बातों से जी भर जाये
तब आना
तुम तब आना
जब सूरज अस्त होते होते
थोड़ा सा बचा हो
सिंदूरी आसमाँ रात की अगवाई में सजा हो
मैं सपने देखती हूँ
हाँ.....मैं अब भी सपने देखती हूँ
चार दशक जीने के बाद
रिश्ते नातों की लंबी फेहरिस्त में
खुद को घोल देने के बाद
हर कटू शब्द को जीते हुए
कुछ प्रशंसाओं को पीते हुए
अपने अंदर कुछ बचा पाती हूँ
हाँ.....मैं अब भी सपने देखती हूँ
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंपितृ दिवस पर शुभकामनाएँ..
बेहतरीन रचनाओं से परिपूर्ण ब्लॉग...
आभार..
सादर...
उत्साहवर्धन के लिये दिल से आभारी हूँ 🙏
हटाएंबेहद प्यारी-प्यारी रचनाओँ के संकलन से जोड़ने के लिए आभार आपका ...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका
हटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी
जवाब देंहटाएंरचनाएं उत्तम
धन्यवाद
हटाएंवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार
हटाएंसस्नेहाशीष व असीम शुभकामनाएं छोटी बहना
जवाब देंहटाएंआत्ममुग्धा जी उम्दा लेखन करती हैं
सराहनीय संकलन
दीदी, आपकी सराहना मन को प्रफुल्लित कर गई ....आगे भी आपका स्नेहाशीष मिलता रहे
हटाएंदी,
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट रचनाएँ पढ़वाने के लिए बहुत बहुत आभार।
आत्मुग्धा जी की लेखनी को अशेष शुभकामनाएँ।
तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ आपकी
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति... आत्ममुग्धा जी का लेखन लाजवाब है उनको हार्दिक शुभकामनाएं एवं आभार आपका इतने सुन्दर ब्लॉग को पढ़वाने के लिए ।
जवाब देंहटाएंआपने पढ़ा और आपको पसंद आया.....बस, बात यही लाजवाब है....दिल से धन्यवाद
हटाएंमनभावन प्रस्तुति । जितनी भी प्रशंसा करूँ कम है। पितृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंये आपका बड़प्पन है और मेरा सौभाग्य..... पितृ दिवस की आपको भी शुभकामनाएं
हटाएंसुन्दर प्रस्तुति। आत्म्मुग्धा जी के लिये शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंह्रदयतल से आभार
हटाएंएक अछुता कोरा आत्म मुग्ध करता ब्लॉग। सुंदर रचनाओं की शानदार प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआत्म मुग्धा जी को बहुत बहुत बधाई और काव्य यात्रा के लिए तहे दिल से मंगलकामना।
आपके ये शब्द मेरे लिये संजीवनी समान......दिल की गहराइयों से शुक्रिया
हटाएंआदरणीय दीदी -- आजके अंक में सखी आत्ममुग्धा जी के ब्लॉग का परिचय पाकर बहुत ख़ुशी हुई | अंक में शामिल सभी रचनाएँ उनकी बहुमुखी प्रतिभा की परिचायक हैं | ये नारी मन की अव्यक्त भावनाओं का आईना है | कवयित्री आत्ममुग्धा अपनी रचनाओं के जरिये अपने नाम को सार्थक करती हैं | य्न्हे हार्दिक शुभकामनायें आजकी इस उपलब्धि के लिए | पञ्च लिंकन में एक दिन का अतिथि होना बहुत सुखद है | आपको भी आभार एक प्रतिभाशाली रचनाकार से परिचय करवाने के लिए |
जवाब देंहटाएंआज के अंक के लिये मेरा चयन वाकई मेरे लिये उपलब्धि है और आप जैसे दिग्गजों के मुख से इतने सुंदर शब्दों को सुनकर मैं और मेरी रचनाएँ भावविह्वल है.....आगे भी मार्गदर्शन चाहूँगी
हटाएंआज के अंक में एक नये प्रयोग के तौर पर मेरी रचनाओं का प्रकाशन मेरे लिये बहुत बड़ी उपलब्धि है । भाव विभोर है ये आत्ममुग्धा..... सच में....निशब्द हूँ.....आपने निसंदेह मेरा उत्साह बढ़ाया है और मुझे लिखते रहने को प्रेरित किया है
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