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गुरुवार, 6 जून 2019

1420.....जब संकट में ख़ुद को घिरा पाते हैं....


 सादर अभिवादन। 
कल ईद के साथ विश्व पर्यावरण दिवस 
भी मनाया गया। 
मई के अंतिम सप्ताह में अचानक बढ़े तापमान ने कई रिकॉर्ड तोड़ दिये। इस मौक़े पर ईद एवं पर्यावरण पर अनेक प्रेरक और सराहनीय रचनाएँ लिखी गयीं। 
          वृक्षारोपण के प्रति हमें सचेत हो जाना चाहिए। पर्यावरण पर सरकारी पहल का इंतज़ार करते-करते आज का दौर हमें मिला है। पर्यावरण केवल सरकारों का विषय नहीं है बल्कि यह तो सामाजिक चेतना का सार्वकालिक चिंतन का मुद्दा है।  

आइए आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें - 


सागर में बूँद की तरह
अनेकानेक हैं जो सालों भर
पर्यावरण पर सोच-विचार करते हैं

हम जैसों की नींद खुलती है

जब संकट में खुद को घिरा पाते हैं

जाओ ईदी में वृक्ष लगाते हैं

सारे रिश्तेदारों को
हम सदा जीवित रखते हैं
रोग निवारक वट अक्षय होते हैं




मेरी फ़ोटो

इस सारी प्रक्रिया के बाद भी

जो बच जाता है ज़िंदा,

उस पर फूल बरसाए जाते हैं

नवाजा जाता है उसे

महानता के खिताब से

सजा दिया जाता है
म्यूजियम में वह जिंदा शरीर,
ताकि और लोग भी ले सकें
प्रेरणा 'जीवित देह'दान की !




फरेब लिए मुहं से मिलें हाथ जोड़कर ,
पीछे से वार करते हैं वे जनाब आली .

मैदान--जंग में आते हैं ऐयार बनके ये ,
ठोकर बड़ों के मारते हैं वे जनाब आली .



 

कोई साथ देगा या नही देगा,
बिना ये सोचे इन रिश्तो के लिए,

दुनिया से लड़ गयी हूँ..

आज जब पीछे मुड़ कर देखती हूँ,

तो अकेली ही खड़ी हूँ मैं...

निश्छल समर्पित रही इन रिश्तो के लिए...
आज वही रिश्ते,
सवाल बन कर खड़े है सामने,



My photo 
इसका अर्थ हुआ पेड़ लगाना, नदियों को स्वच्छ रखना, रसायन मुक्त खेती करना, आज यह विश्व के लिए या देश के लिए जरूरी नहीं है बल्कि हमारे खुद के अस्तित्त्व की रक्षा के लिए आवश्यक हो गया है. जीवन का सम्मान यदि हमें करना है तो अपने परिवेश की स्वच्छता के प्रति सजग होना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

और अब प्रस्तुत है एक विशेष प्रस्तुति वीडियो के ज़रिये- 



..........
हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

11 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    प्रस्तुति क्रमांक एक चार सौ बीस..
    बेहतरीन प्रस्तुति..
    आभार...
    सादर...।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कमाल है आप कहीं भी हँसने का मौक़ा तलाश लेते हैं.

      हटाएं
  2. वाहः
    बहुत सुंदर प्रस्तुतीकरण
    हार्दिक आभार आपका मेरे भाव को स्थान देने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन लिंक संयोजन। मेरी रचना को यहाँ स्थान देने हेतु हृदयतल से आभार आपका !

    जवाब देंहटाएं
  4. सुप्रभात, बेहतरीन लिंक, पर्यावरण के प्रति जागरूक करती सार्थक भूमिका, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  5. एकहजार420वें अंक की बधाई फिर तो :) सुन्दर प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत ही सुन्दर लिंक्स का संयोजन.. सुन्दर प्रस्तुति ।

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार लिंकों का संकलन।
    बहुत दमदार क्रियान्वयन करने योग्य भुमिका का सार

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर संकलन! आभार और बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुन्दर संकलन सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुन्दर लिंक्स का संकलन

    जवाब देंहटाएं

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