सलाम ऊपर वाले को
वो अपनी वस्तु वापस लेने में माहिर है
और देता भी है छप्पर फाड़ के
भाई श्री रवीन्द्र सिंह के भाई साहब कल
दुर्घटनाग्रस्त हो गए..सतत् चिकित्सा के बादज़ूद वे साथ छोड़ गए
हम हर घड़ी उनके साथ हैं ...
पाने को कुछ नहीं,
ले जाने को कुछ नहीं;
उड़ जाएंगे एक दिन...
तस्वीर से रंगों की तरह!
हम वक्त की टहनी पर...
बैठे हैं परिंदों की तरह !!
ना राज़ है... “ज़िन्दगी”
ना नाराज़ है... “ज़िन्दगी";
बस जो है, वो आज है... “ज़िन्दगी”
श्रीमद् भगवदगीता में सही लिखा है
क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो?
किससे व्यर्थ डरते हो?
कौन तुम्हें मार सकता है?
आत्मा ना पैदा होती है,
न मरती है।
तुम्हारा क्या गया,
जो तुम रोते हो?
तुम क्या लाए थे,
जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था,
जो नाश हो गया?
न तुम कुछ लेकर आए,
जो लिया यहीं से लिया।
जो दिया, यहीं पर दिया।
जो लिया, इसी (भगवान) से लिया।
जो दिया, इसी को दिया।
....
काम तो करना ही है..सो कर करो ..या फिर रो कर करो
बदलाव नियम है..प्रकृति का..हम इससे अलग नहीं है
उमा कहऊँ मैं अनुभव अपना ।
सत्य हरि भजन जगत सब सपना ।।
गो-स्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित श्री राम चरित मानस की एक चौपाई में भगवान शिव माता पार्वती जी से कहते हैं “उमा कहऊँ मैं अनुभव अपना । सत्य हरि भजन जगत सब सपना ।।” अर्थात केवल हरि का निरंतर स्मरण ही एक मात्र सत्य है बाकी इस जगत में सभी कुछ केवल स्वप्न के समान है।
कितने जनम...
रह-रह छलकती ये आँखें है नम।
कसमों की बंदिश है बाँधे क़दम।।
गिनगिन के लम्हों को कैसे जीये,
समझो न तुम बिन तन्हा हैं हम।
तुम्हारे नाम की है एक रेखा ....
हाथ में लकीरें है
कितनी सारी
छोटी-बड़ी,
बारीक,
बारीक से भी महीन !
जीवन रेखा
दिल की रेखा
दिमाग की रेखा
और
किस्मत वाली रेखा भी !
खोलो त्रिनेत्र ...
हे शंकर! खोलो तो नेत्र
अब खोलो अपना त्रिनेत्र।
बहुत बढ़ गया पाप यहाँ
हरपल बढ़ा संताप यहाँ।
जिंदगी की परछाई ...
शहर के भीड़ में
गाडिओं के शौर में
बाजार के चकाचौंध में
नहीं
गोरैया ने आवाज़ लगाई
इस कंक्रीट के जंगल में नहीं
गाँव में ज़िन्दगी
आज भी है समाई
....
आज अब बस
इजाजत
यशोदा
दुखद समाचार। ईश्वर रवींद्र जी के भाईसाहब की आत्मा को शांति प्रदान करे और इस कठिन घड़ी में परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति भी।
जवाब देंहटाएंदुखद घटना । ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे व रविंद्र जी और उनके परिवार को दुख सहने की शक्ति दे 🙏🙏
जवाब देंहटाएंना राज़ है... “ज़िन्दगी”
जवाब देंहटाएंना नाराज़ है... “ज़िन्दगी";
बस जो है, वो आज है... “ज़िन्दगी”
ईश्वर उन्हेंं अपने श्री चरणों में स्थान दे...
शांन्ति शांति शांति..
बेहद दुखद स्थिति.. रब दिवंगत आत्मा को शान्ति प्रदान करे तथा रविंद्र जी सपरिवार को दुख सहने की शक्ति दे
जवाब देंहटाएंना राज़ है...“ज़िन्दगी”
ना नाराज़ है... “ज़िन्दगी"
बस जो है, वो आज है... “ज़िन्दगी”
सत्य कथन
सराहनीय संकलन
जवाब देंहटाएंईश्वर रवींद्र जी के भाईसाहब की आत्मा को शांति और इस कठिन घड़ी में परिवार को इस दुख को सहने की शक्ति
प्रदान करे |
अत्यंत दुखद,ईश्वर सभी परिजनों को इस दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।
जवाब देंहटाएंजिंदगी न आज की
न कल की
जिंदगी तो बस पल की।
बहुत दुखद¡¡¡
जवाब देंहटाएंआदरणीय भाई साहब की आत्मा को चिर सिद्धत्व प्राप्त हो। पारिवारिक सदस्यों को आघात सहने की शक्ति प्रदान करे प्रभु।
सादर नमन।
लिंकों का अच्छा संकल्न।
खिले धरा से, मिले धरा में
जवाब देंहटाएंक्षितिज छोर खड़ा साखी है.
अमर कथा आने जाने की,
विश्व विटप, प्राणी पाखी है.....चिर शांति की कामना!!!
बहुत दुःखद समाचार है। ईश्वर शोकाकुल परिवार को सांत्वना एवं दिवंगत आत्मा को चिर शांति प्रदान करें।
जवाब देंहटाएंओह ! अत्यंत दुखद समाचार ! ईश्वर से प्रार्थना है वे शोकाकुल परिवार को यह असीम दुःख सहन करने के लिए धैर्य एवं साहस प्रदान करें व दिवंगत आत्मा को अपनी शरण में लें ! रवीन्द्र जी आपकी व्यथा को कम तो नहीं कर सकते लेकिन उसे बाँँटने के लिए सदैव तत्पर हैं ! आप अपना व परिवार का ख़याल रखें ! ॐ शान्ति शान्ति शान्ति !
जवाब देंहटाएंआज पांच लिंकों के मंच पर उदासी सी है जो मन को विकल कर गयी | आदरणीय रवींद्र जी के परिवार को इस वेदना से गुजरना पड़ा जिसकी सांत्वना शब्दों से परे है | दिवंगत भाई साहब की आत्मा की शांति की प्रार्थना करती हूँ | शोकाकुल परिवार को ईश्वर ये दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे आज लिंक भी मानों जीवन की क्षणभंगुरता का बोध करा रहे हैं | |सच ही तो है --
जवाब देंहटाएंसुख- दुःख का ताना बाना है ,
कहीं गुलशन कहीं वीराना है ;
तन , मन और जीवन ,
पल - पल बदले इनका मौसम ;
कहीं हंसी कहीं रोदन बिखरे
नियत जन्म के साथ मरण ;
नित गतिमान यायावर का -
जाने कहाँ ठौर ठिकाना है ? --
सादर ------------