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मंगलवार, 19 सितंबर 2017

795....उन पूर्वजों की कीर्ति का वर्णन अतीव अपार है,


जय मां हाटेशवरी....
अपने पूर्वजों के प्रति स्नेह, विनम्रता, आदर व श्रद्धा भाव से किया जाने वाला कर्म ही श्राद्ध है...
 श्राद्ध का पावन समय चल रहा है....
बहुत अच्छा लगता है....हम अपने पूर्वजों को याद करते हैं....
उनके नाम पर कुछ उत्तम कर्म करते हैं....
कितने महान थे हमारे पूर्वज....

उन पूर्वजों की कीर्ति का वर्णन अतीव अपार है,
गाते नहीं उनके हमीं गुण गा रहा संसार है ।
वे धर्म पर करते निछावर तृण-समान शरीर थे,
उनसे वही गम्भीर थे, वरवीर थे, ध्रुव धीर थे ।। १९।।
उनके अलौकिक दर्शनों से दूर होता पाप था,
अति पुण्य मिलता था तथा मिटता हृदय का ताप था ।
उपदेश उनके शान्तिकारक थे निवारक शोक के,
सब लोक उनका भक्त था, वे थे हितैषी लोक के ।। २० ।।
लखते न अघ की ओर थे वे, अघ न लखता था उन्हें,
वे धर्म्म को रखते सदा थे, धर्म्म रखता था उन्हें !
वे कर्म्म से ही कर्म्म का थे नाश करना जानते,
करते वही थे वे जिसे कर्त्तव्य थे वे मानते ।।२१।।
वे सजग रहते थे सदा दुख-पूर्ण तृष्णा-भ्रान्ति से ।
जीवन बिताते थे सदा सन्तोष-पूर्वक शान्ति से ।
इस लोक में उस लोक से वे अल्प सुख पाते न थे,
हँसते हुए आते न थे, रोते हुए जाते न थे ।।२२।।
जिनकी अपूर्व सुगन्धि से इन्द्रिय-मधुपगण थे हिले,
सद्भाव सरसिज वर जहाँ पर नित्य रहते थे खिले ।
लहरें उठाने में जहाँ व्यवहार-मारुत लग्न था,
उन्मत्त आत्मा-हंस उनके मानसों में मग्न था ।।२३।।
वे ईश-नियमों की कभी अवहेलना करते न थे,
सन्मार्ग में चलते हुए वे विघ्न से डरते न थे ।
अपने लिए वे दूसरों का हित कभी हरते न थे,
चिन्ता-प्रपूर्ण अशान्तिपूर्वक वे कभी मरते न थे ।।२४।।
वे मोह-बन्धन-मुक्त थे, स्वच्छन्द थे, स्वाधीन थे;
सम्पूर्ण सुख-संयुक्त थे, वे शान्ति-शिखरासीन थे ।
मन से, वचन से, कर्म्म से वे प्रभु-भजन में लीन थे,
विख्यात ब्रह्मानन्द - नद के वे मनोहर मीन थे ।। २५ ।।
उनके चतुर्दिक-कीर्ति-पट को है असम्भव नापना,
की दूर देशों में उन्होंने उपनिवेश-स्थापना ।
पहुँचे जहाँ वे अज्ञता का द्वार जानो रुक गया,
वे झुक गये जिस ओर को संसार मानो झुक गया ।। २६ ।।
वर्णन उन्होंने जिस विषय का है किया, पूरा किया;
मानो प्रकृति ने ही स्वयं साहित्य उनका रच दिया ।
चाहे समय की गति कभी अनुकूल उनके हो नहीं,
हैं किन्तु निश्चल एक-से सिद्धान्त उनके सब कहीं ।। २७ ।।
वे मेदिनी-तल में सुकृत के बीज बोते थे सदा,
परदुःख देख दयालुता से द्रवित होते थे सदा ।
वे सत्वगुण-शुभ्रांशु से तम-ताप खोते थे सदा,
निश्चिन्त विघ्न-विहीन सुख की नींद सोते थे सदा ।। २८ ।।
वे आर्य ही थे जो कभी अपने लिए जीते न थे;
वे स्वार्थ-रत हो मोह की मदिरा कभी पीते न थे ।
संसार के उपकार-हित जब जन्म लेते थे सभी,
निश्चेष्ट होकर किस तरह वे बैठ सकते थे कभी? ।। २९ ।।
पेश है....आज की प्रस्तुति....


फ़ॉन्ट और कीबोर्ड लेआउट में अंतर - Differences in Font And Keyboard Layout
Font अक्षरों की बनावट को कहते हैं लेकिन टाइपिंग टेस्‍ट में Font से ज्‍यादा आपको गौर करना है Keyboard Layout पर क्‍योंकि परीक्षा कीबोर्ड लेआउट के आधार पर हाेती है, चलिये थोडा और जानते हैं Font तो हजारों और लाखों तरह के हो सकते हैं लेकिन Hindi Keyboard Layout मुख्‍य रूप से जो परीक्षाओं में आतेे हैं चार प्रकार के होते हैं -

किस्से बयाँ न हो पाता...
पुराने जख्मों से मिल गयी वाहवाही इतनी
कि अब उसे नये जख्मों की तलाश है
मेरी चाहत है मैं रातों को  रोया न करूं
या रब मेरी इस चाहत को तो पूरा कर दे

मिलते हैं मेरे जैसे, किरदार कथाओं में ...
हे राम चले आओ, उद्धार करो सब का
कितनी हैं अहिल्याएं, कल-युग की शिलाओं में
जीना तो तेरे दम पर, मरना तो तेरी खातिर
मिलते हैं मेरे जैसे, किरदार कथाओं में

प्यारी सी है सिमरन...
जाहिर है हिंदी फिल्मों में भी एक लम्बे समय तक अमीरी गरीबी, जातीय वर्गीय भेद, सामंती पारिवारिक दुश्मनियों के बीच प्यार के लिए जगह बनाने की जद्दोजहद में लगा हिंदी सिनेमा अंत में मंगलसूत्रीय महिमा के आगे नतमस्त होता रहा. फिर समय आया कि अगर एक साथी बर्बर है, हिंसक है, बेवफा है तो कैसे सहा जाए और किस तरह उस साथी को वापस परिवार संस्था में लौटा लाया जाए, लेकिन इधर हिंदी सिनेमा ने नयी तरह की अंगड़ाई ली है.
शादी, प्यार, बेवफाई के अलावा भी है जिन्दगी यही सिमरन की कहानी है. कंगना पहले भी एक बार 'क्वीन' फिल्म में अपने सपने पूरे करने अकेले ही निकलती है. शादी टूटने को वो सपने टूटने की वजह बनने से बचाती है लेकिन सिमरन की जिंदगी ही एकदम अलग है. वो प्यार या शादी की तमाम बंदिशों से पार निकल चुकी है. शादी के बाद तलाक ले चुकने के बाद अपनी जिंदगी को अपनी तरह से जीना चाहती है. उसके किरदार को देखते हुए महसूस होता है कि किस तरह नस-नस में उसकी जिंदगी जीने की ख्वाहिश हिलोरे मारती है. जंगल के बीच अपनी फेवरेट जगह पर तितली की तरह उड़ती प्रफुल्ल यानि कंगना  बेहद दिलकश लगती है. उसका प्रेमी उसे कहता है, 'कोई इतना सम्पूर्ण कैसे हो सकता है, तुम्हें सांस लेते देखना ही बहुत अच्छा लगता है'. सचमुच जिंदगी छलकती है सिमरन यानि प्रफुल्ल में.

वंशवाद का बजे नगाड़ा - व्यंग रचना
गहरी जड़ें हैं वंशवाद की
नजर जहां तक जाए देखो
वंशवाद की सीढ़ी चढ़ चढ़
गद्दी पाए कितने देखो
प्रतिभाएं ठोकर खाती हैं
ऐसों ने ही किया कबाड़ा

Social boycott, A Social Evil - सामाजिक बहिष्कार, एक सामाजिक बुराई
ऐसी अमानवीय रीतियों के ख़िलाफ़ धार्मिक और दक्षिणपंथी राजनीतिक संस्थाओं ने कभी आंदोलन किया हो याद नहीं पड़ता. इन्हें परंपरा को ढोने वाली संस्थाओं के रूप में अधिक जाना जाता है. इनकी रुचि समाज सुधार में कम और अपने व्यवसाय को चलाए रखने में अधिक होती है. सामंतवाद इसी परंपरा का वाहक है और जनक भी. यह सामाजिक बहिष्कार जैसे मारक हथियार का प्रयोग अपने हित में करने के लिए सभी हथकंडे अपनाता है. सामाजिक बहिष्कार के शिकार अधिकतर ग़रीब, दलित और महिलाएँ होती हैं. वे अपनी रोज़ी-रोटी के लिए किसी पर निर्भर होते हैं. यदि वे अपने सामान्य से अधिकार के लिए मांग उठाते हैं तो सामाजिक बहिष्कार का सांप उनकी आँखों के सामने कर दिया जाता है. उसे डराया जाता है कि उसके अपने ही उसे ख़ुद से दूर कर देंगे. ग़रीब के ख़िलाफ़ ग़रीब, दलित के ख़िलाफ़ दलित और महिला के ख़िलाफ़ महिला को खड़ा होने के लिए मजबूर कर दिया जाता है. ऐसे में आर्थिक और सामाजिक रूप से ‘अपनों’ पर निर्भर व्यक्ति अपने आप अपने अंतर में मरने लगता है. सामंतों और उनके गुंडों के प्रभाव में जीने वाले लोग काफी मजबूर होते हैं.

श्राद्ध का महत्व
'श्रद्धया दीयते यत्‌ तत्‌ श्राद्धम्‌' पितरों की तृप्ति के लिए जो सनातन विधि से जो कर्म किया जाता है उसे श्राद्ध कहते हैं। किसी भी कर्म को यदि श्रद्धा और विश्वास से नहीं किया जाता तो वह निष्फल होता है। महर्षि पाराशर का मत है कि देश-काल के अनुसार यज्ञ पात्र में हवन आदि के द्वारा, तिल, जौ, कुशा तथा मंत्रों से परिपूर्ण कर्म श्राद्ध होता है। इस प्रकार किया जाने वाला यह पितृ यज्ञ कर्ता के सांसारिक जीवन को सुखमय बनाने के साथ परलोक भी सुधारता है। साथ ही जिस दिव्य आत्मा का श्राद्ध किया जाता है उसे तृप्ति एवं कर्म बंधनों से मुक्ति भी मिल जाती है।


धन्यवाद।



10 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात
    एक बेहतरीन प्रस्तुति
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर सूत्र चयन सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह !
    उत्तम प्रयास आपका भाई कुलदीप जी।
    आपकी लगन झलक रही है प्रस्तुति में।
    उम्दा विचारणीय लिंकों का चयन।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
    आभार सादर।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही लाजवाब अभिव्यक्ति ...
    सुन्दर हलचल .. आभार मेरी ग़ज़ल को जगह देने के लिए ...

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही सुंदर संकलन कुलदीप जी विविधतापूर्ण रचनाओं के लिंक और बहुत अच्छी प्रस्तुति करण। सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएँ मेरी।

    जवाब देंहटाएं
  6. सारगर्भिता से परिपूर्ण बातों के साथ उत्तम संकलन।
    सभी रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएँ।
    धन्यवाद।

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  7. बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति। सारगर्भित। उम्दा।

    जवाब देंहटाएं

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