सादर अभिवादन
क्या लिखूँ..
लिखना तो पड़ेगा
चलिए ये भी जान लें.....
इस्लाम धर्म में 786 को शुभ अंक माना जाता है। जिस प्रकार हिंदुओं में किसी भी काम को शुरू करने से पहले गणेश पूजा की जाती है, उसी प्रकार इस्लाम में 786 का स्मरण किया जाता है।
इस्लाम धर्म में 786 का मतलब बिस्मिल्लाह उर रहमान ए रहीम होता है
अर्थात् अल्लाह के नाम जो कि बहुत दयालु और रहमदिल है।’
और गणित के अनुसार यहा भी मूलांक 3 ही है
अब छोड़ो भी आगे चलते हैं......
रोशनी जो आँखों की नजर थी
दिखाया नहीं कुछ जो बत्ती गुल हुए
आ पँहुचे है ऐसी जहाँ में हम
ना ख़ुशी से ख़ुश औ' ना ग़म से ग़म
आओ न थोड़ी सादगी ओढ़ लें
थोड़ी सी ओढ़ लें मासूमियत
काले काले चेहरों पर थोड़ी पॉलिश पोत लें
नियत के काले दागों हो सर्फ़ से धो लें.
तुम्हारे जाने के बाद मैंने जाना
कि कितना चाहता था मैं तुम्हें.
जब तुम ज़िन्दा थे,
पता ही नहीं चला,
चला होता तो कह ही देता,
एक उम्मीद
जिसकी नाउम्मीदी पर
उठती है मन में खीज, झुंझलाहट
निराश मन कोसता बार-बार
उम्मीद उनसे जो खुद
उम्मीद में जीते-पलते हैं
उम्मीद उनसे लगा बैठते हैं
अनमोल है तुम्हारी चाहत -
जो नहीं चाहती मुझसे ,
कि मैं सजूँ सवरूं और रिझाऊं तुम्हें ;
जो नहीं पछताती मेरे -
विवादास्पद अतीत पर !
"मन के पाखी" .......मानवता की तलाश
क्रांति की आड़ में
जलाते देश का सुकून
धर्मग्रंथ का चश्मा पहने,
पकड़े दृढ़ संकल्प का चाकू
इंसान को कंकाल मे बदलने का,
पीठ पर बाँध कर चलते
सच की बुझी हुई मशालें
विविधा ....... दिल की बात
चांदनी बेअदब, नूर कातिल हुआ
चाँद से दूरियाँ, रफ़्ता-रफ़्ता करें।
आसमाँ बन गये, तल्ख़ियों के धुयें
क्या मसीहा करें,क्या फ़रिश्ता करें।
अब बस..
चलती हूँ
सादर...
यशोदा ..
सुप्रभात
जवाब देंहटाएंबेमिसाल प्रस्तुति
आनन्द आ गया
ढ़ेरों आशीष व असीम शुभकामनाओं के संग शुभ दिवस बहना 💐😍
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा पोस्ट बनाती हैं
बहुत बढ़िया संकलन
जवाब देंहटाएंसभी रचनायें बेहतरीन, बहुत बधाई
सुप्रभात दी:)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संदेश के साथ आज के लाज़वाब लिंकों का सार्थक संकलन दी। रचनाओं के इस गुलदस्ते में मेरी रचना को मान देने के हृदय से अति आभार दी।।
बढ़िया लिंक्स. मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को हलचल में शामिल करने एवं शीर्षक रुप में प्रस्तुत करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर....
जवाब देंहटाएंआभार....
मेरी रचना को हलचल में स्थान देने के लिये हार्दिक आभार यशोदा दी.सभी शामिल साथियों को शुभकामना .
जवाब देंहटाएंआज के अंक की सभी रचनायें एक से एक हैं . कंही प्रेम कास्वतंत्र रूप है तो कंही अनकही रह जाने वाली भावनाओं की टीस. कंही इस काले समय के कटु सत्य को उजागर करते मारक शब्द तो कंही लोलुप सत्तासीनों की मृत आत्मा का विभत्स रूप .
बहुत सुंदर सन्योजन.
विविधताओं से भरी बहुत सुंदर लिंक..
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
आभार।
बहुत ही सुन्दर, उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर, उम्दा लिंक संकलन....
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन |
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी ----- आज के लिंकों का अवलोकन किया | सभी रचनाएँ भावपूर्ण और सार्थक लगी | सभी रचनाकारों मित्रों को बहुत बधाई और शुभकामनाएं |मेरी रचना को स्थान देने के लिए हार्दिक आभार | और भूमिका का केन्द्रीय भाव बहुत प्रेरक है |
जवाब देंहटाएंसार्थक भूमिका से आज के पठनीय ,संग्रहणीय अंक का शानदार आगाज़।
जवाब देंहटाएंबधाई आदरणीय यशोदा बहन जी।
ईश्वर एक है, यही कहता है विश्लेषण।
यह संदेश लू के थपेड़ों में जलते मन को ठंडी फुहार का एहसास है।
सभी चयनित रचनाकारों को शुभकामनाऐं।
आभार सादर।