एक साल में दो ईद आती हैं एक मीठी ईद और दूसरी बकरीद
प्रणामाशीष
इस्लाम धर्म में ईद का त्योहार महत्वपूर्ण त्योहार है
क्यों मनाया जाता है बकरीद, जानिए अभी
इस्लाम में गरीबों और मजलूमों का खास ध्यान रखने की परंपरा है।
इसी वजह से ईद-उल-जुहा पर भी गरीबों का विशेष ध्यान रखा जाता है।
इस दिन कुर्बानी के सामान के तीन हिस्से किए जाते हैं।
इन तीनों हिस्सों में से एक हिस्सा खुद के लिए और
शेष दो हिस्से समाज के गरीब और
जरूरतमंद लोगों का बांटा दिया जाता है।
बकरीद पर बेजुबानों की सामूहिक हत्या!
ईद की ख़ुशी
आप सब को ईद मुबारक :
ऐसी न शब बरात,
न बकरीद की खुशी,
जैसी हर एक दिल में है
इस ईद की खुशी,
वह तो समरकंद, कंदहार इस्फाहान, बुख़ार, .खोरासां, बगदाद, और
तबरेज जैसे शहरों में भी नहीं पाया जाता, जहां इस्लाम का आगमन भारत से पहले हुआ।
बादशाह सलामत जहांगीर अपनी रिआया के साथ
मिलकर ईद-उल-जुहा मनाते थे। गैर मुसलिमों के दिल को चोट न पहुंचे
इसलिए ईद वाले दिन शाम को दरबार में उनके लिए
विशेष शुद्ध वैष्णव भोजन हिंदू बावर्चियों द्वारा ही बनाए जाते थे।
बकरीद
"अज्ञानवश बकरा ईद
या बकरीद" कहते हैं...... उसका असली नाम..... " ईदुल अजहा" है ...
जिसका अर्थ.... "क़त्ल करने की ख़ुशी" होती है ...!
जिसे थोड़ी बहुत भी उर्दू आती होगी.....उन्हेंये भली-भांति मालूम
होगा कि...... ""कुर्बानी का मतलब बलिदान"" होता है .... और,
""कुर्बानी देने का मतलब खुद मरना"" होता है..... ""ना कि...
दूसरों को मारना""......!
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फिर मिलेंगे
आदरणीय दीदी
जवाब देंहटाएंसादर नमन
ईद-उल-ज़्ज़ुहा की शुभ कामनाएँ
किसी समाज में
शादी के अवसर पर
बिल्ली को टोकरे के नीचे बन्द करने की प्रथा है
अब भी इसी प्रथा को निभाया जाता है
बिल्ली नहीं मिलने पर..बिल्ली की फोटो को दवा देते है
ठीक उसी तरह है ये ईद-उल-ज़्ज़ुहा
सादर
ईदुल अजहा की मुबारक़बाद ! आज का विशेषांक बकरीद को मुक़म्मल तौर पर समझने में सहायक है। ज्ञानवर्धक सूत्रों का चयनकर सुन्दर प्रस्तुति पेश की आदरणीय विभा दीदी ने। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं। आभार सादर।
जवाब देंहटाएंविचारशील सामयिक हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंईद मुबारक!
ईद मुबारक। सुन्दर हलचल।
जवाब देंहटाएंआदरणीय प्रणाम आज का अंक बेहतर परन्तु किसी भी रचना एवं लेख पर टिप्पणी देना न्यायोचित नहीं। हाँ एक लेख जिसे "निरंकुश" साहब ने लिखा है तार्किक है आभार "एकलव्य"
जवाब देंहटाएंअच्छी रचनाएँ। बकरीद पर नई जानकारी पढ़ने को मिली। हार्दिक आभार !
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