।।प्रातः वंदन ।।
"कविता की दो पंक्तियों के बीच, मैं वह जगह हूँ
जो सूनी-सूनी-सी दिखती है हमेशा !
यहीं कवि को अदृश्य परछाईं घूमती रहती है अक्सर
मैं कवि के ब्रह्मांड की एक गुप्त आकाशगंगा हूँ शब्द यहाँ आने से अक्सर आँख चुराते हैं..!!"
राजेश जोशी
प्रस्तुतिकरण के क्रम को आगें बढ़ातें हुए नजर डालें
आज..प्रेमचंद के साहित्य और जीवन दोनों ही में खूबियां , खामियां दोनों हैं✍️
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अपने मन के एक छोटे से कोने में मैने बना रखी है एक सुंदर सी गली जिसका नाम रखा है मायका। जिसमें रहती है, सुमधुर यादें, अल्हड़ बचपन, खट्टी मीठी बातें, शरारतें, और सखियां।
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अपरिभाषित पल - -
शानदार अंक...
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंराजेश जोशी जी की लिखी पंक्तियों से प्रारम्भ कर ..... प्रेमचंद जी के विषय में नई जानकारी युक्त हलचल अच्छी रही । आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
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