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बुधवार, 10 अक्टूबर 2018

1181....आज का पन्ना आदरणीय रोहिताश जी के नाम....

"हो सकता है मैं आपके विचारों से सहमत न हो पाऊं,
फिर भी विचार प्रकट करने के आपके अधिकारों की रक्षा करूंगा"
- वाल्टेयर

यशोदा जी से सुबह सुबह ईमेल मिला, और इसके बाद जो हुआ वो आज की ये हलचल है... उनका ई-मेल आना और ये हलचल बनना दोनों ही अपनी जिंदगी में पहली बार हुआ है.
पढ़ कर बताइयेगा जरूर कि जो हुआ वो कितना सटीक हुआ??

"बढ़िया और उत्तम साहित्य हमारे सामने आना ही चाहिए ताकि हम नवीन से नवीनतम  साहित्य को जन्म दे सकें।"

तो चलिए सृजन की गहराई में उतर के देखते है 
इस उपजाऊ भूमि को जोत कर देखते हैं-


मेरी पसंदीदा रचनाएँ.....

डॉ. नीतू सिंघल की कलम बयां कर रही है आज का सच-
अजहुँ जग बिपरीत भया उलट भई सब कान। 
पाप करे तो मान दे धर्म करे अपमान ।।१ ।।
भावार्थ : विद्यमान समय में जगत के सभी नीति नियम रीतिगत 
न होकर विपरीत हो चले हैं। पाप करो तो यह सम्मानित करता है 
और यदि धर्म करो तो यह अपमानित करता है।  
**
प्रीति साँची सोइ कहो होइब मीन समान । 
पिय पानि बिलगाइब जूँ छूटे तलफत प्रान ।। २ ।।
भावार्थ : सच्ची प्रीत वही है जो मीन की प्रीत के समान हो। 
प्रियतम रूपी पानी अथवा प्रियतम का हाथ वियोजित होते ही 
तड़पते हुवे प्राण निष्कासित हों। 

-*-*-*-*-
आग के मॉफिक फैलती है यहाँ खबर
भाई दिलबाग सिंह जी विर्क


नहीं आता है मुझको जीना, झुकाकर नज़र
गर ख़ताबार हूँ मैं, तो काट डालो मेरा सर।

मुझ पर भारी पड़ी हैं मेरी लापरवाहियाँ
तिनका-तिनका करके गया आशियाना बिखर।
-*-*-*-*-

जब वो सब सीख गयी तो उसने पाया कि वो किसी और के 
संग जीना सीख चुका था...हरसिंगार झरे पड़े थे 
धरती पर...इसी मौसम में...प्रतिभा कटियार जी

हरसिंगार खिलने के महीने को अक्टूबर क्यों कहा गया होगा लड़की को पता नहीं लेकिन उसने हथेलियों में हरसिंगार सहेजते हुए हमेशा कुछ ताकीदें याद कीं जो इस मौसम में उसे दी गयी थीं. इसी मौसम में उसने आखिरी बार थामा था एक अजनबी हाथ, इसी मौसम में उसने निगाह भर देखा था उसे. शहर की सड़कों पर उन दोनों ने इसी मौसम में एक साथ कुछ ख़्वाब देखे थे.

-*-*-*-*-

स्थिर... शीर्षक देकर श्री अनिल जी दायमा "एकला" जी 
ने एक इतिहास सा रच डाला है

मौसम का क्या उसे तो बदलना है
सूरज का क्या उसे तो ढलना है
ये हवा भी ठहर जानी है

फूलों को खिल कर बिखरना है
ये चाँदनियाँ भी तो छुप जानी है

-*-*-*-
छाया से जो डरे नहीं....
जी हाँ यही शीर्षक दिया है अनीता जी ने
लेकिन अहंकार इसमें बाधक बनता है, यही द्वंद्व मानव को सुखी 
होने से रोकता है. यह सुनकर साधक अहंकार को मिटाने का प्रयत्न करने लगते हैं, किन्तु छाया से भयभीत होना ही सबसे बड़ा अज्ञान 
है, क्योंकि छाया का अपना कोई अस्तित्त्व नहीं है. छाया को 
मिटाया भी नहीं जा सकता, हाँ, प्रकाश के बिलकुल नीचे खड़े 
होकर छाया को बनने से रोका जा सकता है.

चलते -चलते एक हनफ़ी साहब की एक ग़ज़ल पढ़िए

दोस्तों नजरे फसादात नही होने की 
जान दे कर भी मुझे मात नहीं होने की 

उन से बिछड़े तो लगा जैसे सभी अपनो से
आज के बाद मुलाकात नहीं होने की

ये कड़े कोस मसाफत के बरस दिन तक है 
ओर दोराने सफर रात नही होने की

आभार  भाई रोहिताश जी
विविधता से भरी रचनाएँ पढ़वाई आपने

रोहित जी का परिचय उन्हीं के शब्दों में

मैं रोहिताश घोड़ेला बदलाव के लिए लिखना पसंद करता हूँ. पुराने जज्बातों को जो बारम्बार लिखे जा चुके हैं उनको नये अल्फाजों में लिखने से परहेज है. महफ़िल में अक्सर तन्हाई गजल सुना जाती है और तन्हाई में कोई कविता जन्म ले लेती है. कभी जानबूझ कर लिखने की कोशिश तक नहीं करने की आदत है..........."सरहाना नहीं चाहता किसी से, बस मोहब्बत कर लो मुझी से"

धन्यवाद



20 टिप्‍पणियां:

  1. एक अच्छी पसंद
    आभार रोहित जी
    शुभ प्रभात
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. मैं इस मंच का हिस्सा बनाया गया और इतना सम्मान दिया इसका आभार प्रकट करता हूँ।
    मैंने इस हलचल में साहित्य के मुख्य रूप यथा दोहे, ग़ज़ल, कविता,लेख व कहानी का समावेश किया है ताकि यह अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच सके।
    साहित्य का सर्वांगीण विकास ही हमारा ध्येय है।

    सभी रचनाकारों को उनकी श्रेठ कृतियों के लिए बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुप्रभात,
    रोहितास जी का स्वागत हैं,उनका अंदाज़े बया खास ही हैं और रचनाओ का चयन भी. नए रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।अभी सारी रचनाये पढ़ नही पाया हूँ,ब्लॉग पाए जरूर जाकर पड़ूंगा।
    बहुत बहुत बधाई रोहितास जी

    जवाब देंहटाएं
  4. सादर आभार आपका रोहिताश जी आज आपका
    नया अंदाज देखकर प्रसन्नता हुई उत्तम रचना संकलन
    व प्रस्तुतिकरण।

    जवाब देंहटाएं
  5. रोहिताश जी बहुत सारी शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  6. सुप्रभातम् रोहित जी,
    पाँच लिंक परिवार आपका हार्दिक अभिनंदन करता है।
    एक जागरूक समीक्षक और गंभीर पाठक के रुप में आपकी प्रतिक्रियाओं का हम सभी आनंद लेते रहे हैं।
    आज इस विशेष अंक के द्वारा आपकी पसंद की रचनाओं को पढ़ने का सुअवसर मिल रहा है।
    सारगर्भित भूमिका के साथ विविधता लिए सुरुचिपूर्ण एवं पठनीय रचनाओं का चयन किया है आपने।
    आपकी साहित्यिक अभिरुचि का आस्वादन करके बहुत अच्छा लगा। एक सुंदर अंक के लिए बधाई और अशेष शुभकामनाएं आपको।

    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. शुभ प्रभात
    उतम रचनाओं का संकलन बेहतरीन प्रस्तुतिकरण
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन प्रस्तुति
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढिया साहित्यिक हलचल..
    अब पता चला ये छुट्टियाँँ कितना फायदा पहुँँचाती है। 🙂सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
    आभार।

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत बहुत बधाई रोहतास जी,पहली प्रस्तुति शानदार,उम्दा सामग्री के साथ,प्रबुद्ध चयन।
    चयनित रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  11. जरूरी है विविधता और आज की हलचल यही बता रही है। इस हलचल के लिये हलचल टीम को और रोहिताश जी को बधाई और साधुवाद। सुन्दर सूत्र चयन।

    जवाब देंहटाएं
  12. विविधताओं से सजी उम्दा प्रस्तुति । बहुत बहुत बधाई रोहिताश्व जी ।

    जवाब देंहटाएं
  13. रोहितास जी बहुत बहुत बधाई। बहुत दिनों बाद पांच लिंक पर आ पाई। क्षमा चाहती हूं।
    नवीनता का एहसास हुआ। सुखद अनुभव। अच्छी रचनाओं का चयन। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई।
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  14. "पाँच लिंकों का आनन्द" की ओर से नवीनता एवं परिवर्तन की महक लाने की ख़ातिर अनेकानेक प्रयोग किये जाते रहे हैं.
    आदरणीय रोहितास जी का स्वागत है. आज का अंक पढ़कर पाठकों को अवश्य ही अलग अनुभव हुआ होगा.
    विचारणीय एवं सरस रचनाओं का चयन कौशल बख़ूबी झलक रहा है.
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवम् शुभकामनाएं.

    जवाब देंहटाएं
  15. आदरनीय रोहिताश जी -- आज के दिन पञ्च लिंकों का ये सुहाना रूप रंग बहुत मनभावन है | आपको हार्दिक बधाई देती हूँ और साथ ही आपकी पसंद को दाद देती हूँ | कलम के धनी होने के नाते जैसी आपकी रचनाएँ हैं वैसा ही आपकी पसंद का स्वरूप है | बहुत ही सुंदर रचनाओं और प्रबुद्ध रचनाकारों से परिचय करवाया आपने | जिसके लिए सस्नेह आभार आपका | खासकर प्रतिभा कटियार जी की सुंदर, सरस प्रतीकात्मक लघु कथा तो अपने आप में एक ही है जिसके लिए सराहना भरे कोई शब्द पर्याप्त नहीं | ऐसे गहरे रचनाकारों को बस नमन किया जाना ही उचित है | आप सचमुच भाग्यशाली हैं जिन्हें मंच के आज के माननीय अतिथि होने का गौरव मिला है | यशोदा जी का मेल मिलना और उसमें ऐसा प्रस्ताव पाना बहुत ही रोमांचक अनुभव है | अपने मेल से अचानक एक गहन स्नेह की अनुभूति करा कर चकित करना उनकी बहुत ही प्यारी अदा है | दिलबाग जी के साथ हनीफ जी की रचना भी बहुत मनभावन थी | एक बार फिर से आपको इस अनुभव की अद्भुत बेला पर हार्दिक बधाई और साथ में शारदीय नवरात्रों की शुभकामनायें | माँ जगदम्बा का आशीर्वाद और माँ सरस्वती की अपार अनुकम्पा आपकी लेखनी पर बनी रहे | सस्नेह --

    जवाब देंहटाएं
  16. देर से आने के लिए खेद है, हलचल का यह अंक पठनीय है, सभी रचनाकारों को बधाई, बहुत बहुत आभार मुझे भी इसमें शामिल करने के लिए..आभार रोहितास जी !

    जवाब देंहटाएं

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