सादर अभिवादन।
अहिंसा के पुजारी का
150 वां जन्म दिवस
देशवासी मना रहे थे,
दिल्ली की सीमा पर
निर्मम पुलिस जवान
बेचारे किसानों पर
लाठियाँ बरसा रहे थे।
आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें
हिंसा से हारा
अहिंसा का पुजारी
तुम तो चले गए
अच्छा ही हुआ
न देखा यह सब
देख न पाते
कहाँ दिखेगें दाग भला
सफेदपोशों के दामन में
गुनाहो का कारोबार तो ये
खाली पेटों से करवाते हैं
“अरे छोड़ो अम्मा ! कितनी लम्बी यात्रा करके आई हो ! कल वापिसी के लिए इतना ही लंबा सफ़र फिर करना होगा! फेरे होंगे रात को दो तीन बजे ! सुबह पाँच बजे बिदाई का मुहूर्त है ! कहाँ बैठी रहोगी रात भर ! सबसे मिल लीं ! सबको देख लिया ! खाना खा लो और फिर कमरे में चल कर आराम करो ! रात को ठीक से सो लोगी तो कल के सफ़र में परेशानी नहीं होगी !”
बेटी की विदाई की रीत कैसे बनी
क्यों पराई हुई मां-पिता की जनी
दान करना है उचित मैंने माना भला
कन्यादान उचित कैसे मानूं भला
विद्वानों ने न उसका सही मूल्य मोला होगा
सहने वाला असीमित पीड़ा यूँही तो नही बोला होगा...
जो नही जानता सरकारों को,
क्षण क्षण बदलनेवाले व्यवहारों को,
है रास्ता बड़ा टेढ़ा मेढ़ा यहाँ का
सुझाई न देता है पथ में धुआँ सा
कदम ऐसे बहके न लहरा के चलिए
चलते-चलते "उलूक टाइम्स" की विशेष ख़बर आपकी सेवा में -
डॉक्टर सुशील कुमार जोशी
नाच जीवन का
रख कर कदम
तेरे कदमों पर
जितना भी
नाँच ना जाने
आँगन टेढ़ा
सुनकर
नयी पौंध से
हम-क़दम के उनतालीसवें क़दम
का विषय...
यहाँ देखिए...........
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरुवार।
शुक्रवारीय प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा जी
रवीन्द्र सिंह यादव
एक सौ
जवाब देंहटाएंपचास साल
की
मेहनत पर
कोई आकर
कुछ दिन में
कितना कितना
गोबर लीप गया ।
सही कहा भाई साहब...
इस बार सोशल मीडिया पर तो घृणित राजनीति ने हद ही कर दी थी, कितनों को मैंने डांट लगाई कि इस तरह के संदेश बापू के विरुद्ध मुझे तो न भेजना अब भविष्य में।
बहुत सुंदर प्रस्तुत, सभी रचनाकारों का आभार
शुभ प्रभात भाई रवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया
आभार
सादर
सुंदर प्रस्तुति। आभार!
जवाब देंहटाएंसंग्रहनीय संकलन
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात अति सुंदर संकलन,मेरी रचना को स्थान देने हेतु सादर आभार...
जवाब देंहटाएंसुन्दर हलचल प्रस्तुति। आभार रवींद्र जी 'उलूक' चिंतन को भी स्थान देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्रों से सजी आज की हलचल ! मेरी कहानी, 'ज़माना बदल गया है', को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंबढ़िया हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति श्रेष्ठ रचनाओं का सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंसभी चयनित रचनाकारों को बधाई मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद
बहुत शानदार संकलन और शानदार प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंलाजवाब प्रस्तुति करण ...उम्दा लिंक संकलन...
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