सादर अभिवादन।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं।
खाँचों में बँटता देश
यह मेरा
वह तेरा प्रदेश
क्षेत्रवाद की कुंठा का
हो रहा विस्तार
राष्ट्रीयता का भाव
हो रहा तार-तार।
आइये अब आपको ले चलते हैं आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर -
कविवर दुष्यंत कुमार जी की एक कालजयी ग़ज़ल -
ये सारा जिस्म झुक कर बोझ से दोहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था आप को धोखा हुआ होगा
नवरात्रि पर आदरणीया कुसुम कोठारी जी की सुन्दर प्रस्तुति -
मां दुर्गा भी उत्सव का
उपहार लिये आ गईं धरा पे
चहुँ और नव निकेतन
नव धाम सुसज्जित
आवो करें स्वागत मुदित मन से।
आदरणीय डॉ. जफ़र साहब की एक ख़ूबसूरत एहसासात से सजी प्रस्तुति -
जैसे एक उम्र हमने साथमे एक ही दास्तान लिखी थी
इस तस्सवुर से किसी की मोहब्बत में तुम पड़ नही सकते,
जीवन की विसंगतियाँ हों या मार्मिकता से परिपूर्ण सृजन
आदरणीय पुरुषोत्तम जी की रचना में झलक मिलती है -
कभी जो कहते थे, दुनिया बसाऊंगा मै,
रातें सजाऊंगा मैं,
वो ही सूनी कर गए हैं बस्तियां.....
9 अक्टूबर "विश्व डाक दिवस" पर आपकी सेवा में एक विशेष प्रस्तुति -
ब्रिटिश राज में 1864 में इस व्यवस्था को सुव्यवस्थित ढंग से
शुरू करने का प्रावधान किया गया | आजादी से पहले और आजादी
के बाद के ढेढ़ सौ से भी ज्यादा सालों में जनमानस से जुड़कर
डाक विभाग ने , लोंगों का बहुत ही सम्मान और स्नेह अर्जित
किया है, इसका कारण रहा डाक विभाग ने समय के अनुसार
लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए अपनी कार्य - प्रणाली में परिवर्तन करने से परहेज नहीं किया , जैसे कल के कागजी
इतिहास को छोड़कर डाक विभाग भी डिजिटल होने की पूर्णता के
पथ पर अग्रसर है | पर पत्रों का वह स्वर्णिम इतिहास भुलाये नहीं भूलता |
चलते-चलते राही जी के छायाचित्रण की ख़ूबसूरत एवं अनौखी झलक -
आज बस यहीं तक
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार।
शुक्रवारीय प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा जी
रवीन्द्र सिंह यादव
सुप्रभात,
जवाब देंहटाएंहर अंक की तरह ही ये अंक भी काबिले तारीफ हैं,रविन्द्र sir बहुत बहुत आभार।दुष्यन्त कुमार की कालजयी रचना से आरंभ करना लाज़वाब रहा।
जफ़र को भी स्थान देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
बहुत सुंदर प्रस्तुति रेणू जी का लेख दिल को छू गया सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई शानदार रचनाएं
जवाब देंहटाएंप्रिय अनुराधा बहन -- आपके शब्दों ने मेरे लेख को सार्थक कर दिया | ह्रदय से आभार आपका |
हटाएंबहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंइन महान रचनाकारों के मध्य मेरी रचना को भी स्थान देकर सम्मानित करने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद । सादर आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर और भावपूर्ण संकलन सभी चयनित रचनाकारों को बधाई सभी रचनाएं उत्तम पढकर
जवाब देंहटाएंआनंद आया आभार आपका 🙏
सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भावपूर्ण संकलन
जवाब देंहटाएंजफर जी और रेणु जी रचनाओं ने मन मोह लिया
सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक बधाई
प्रिय अनिता बहन -- आपको हृदय से आभार मेरा मान बढाने के लिए |
हटाएंशुभ प्रभात रवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति
आभार
सादर
आदरणीय रवींद्र जी,
जवाब देंहटाएंसुप्रभातम्।
सारगर्भित भूमिका है। एक जागरुक नागरिक आप की तरह ही सोच रखता है।
बेहद उम्दा रचनाओं से सजा आज का अंक बहुत अच्छा लगा। सभी रचनाएँ विशेष है। बधाई एक बढ़िया संकलन के लिए।
सादर।
सुन्दर प्रस्तुति रवींद्र जी, आभार, इस चर्चा में सम्मलित सभी रचनाकारों को बधाई।
जवाब देंहटाएंवाह!!रविन्द्र जी ,बेहतरी संकलन । सभी चयनित रचनाकारों को हार्दिक अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंदेश के हालात पर क्षोभ लिये बहुत भावुक पंक्तियों के साथ आरंभ और सुन्दर लिंकों का चयन मेरी रचना को स्थान देने का बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति
सभी रचनाकारों को बधाई ।
आदरणीय रवीन्द्र जी -- साहित्य रत्न दुष्यंत कुमार जी की कालजयी पंक्तियों के शीर्षक से सजा आज का अंक अपने आप में खास है |
जवाब देंहटाएंसारा जिस्म झुक कर बोझ से दोहरा हुआ होगा
मैं सजदे में नहीं था आप को धोखा हुआ होगा !!!!!!!!!!!
बहुत ही सार्थक चिंतन से शुरुआत और भावभीनी रचनाओं से साक्षात्कार आपके अंक की खूबी है | सभी रचनाएँ पढ़ी बहुत ही अच्छी लगी | आजके सभी रचनाकारों के साथ मेरी पोस्ट को शामिल किया गया - आभारी हूँ | लेख को जिन स्नेही पाठकों ने मेरे ब्लॉग पर आकर पढ़ लेख को सार्थक किया उन सबकी ह्रदय से आभारी हूँ | सभी को मेरी स्नेहभरी शुभकामनायें और नवरात्री के शुभागमन की ढेरों बधाइयाँ |आपके साथ पंच लिंकों के सभी चर्चाकारों को सादर व सस्नेह नवरात्रों की शुभकामनायें और बधाई | |
शानदार प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन..
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