।।उषा स्वस्ति।।
"प्रात नभ था बहुत नीला शंख
जैसे भोर का नभ,
राख से लीपा हुआ चौका
बहुत काली सिल जरा-से लाल केशर से
कि धुल गयी हो...
नील जल में या किसी की गौर झिलमिल देह जैसे हिल रही हो...
और...
जादू टूटता है इस उषा का अब
सूर्योदय हो रहा है..!!"
- शमशेर बहादुर सिंह
सूर्य उपासना के पर्व संग समृद्धि और सद्भावनाओं के आगत के साथ,
आप सभी नज़र डालें आज के लिंकों पर..✍
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नवभाव, नव-चेतन ले आई, ये संक्रांति की वेला........
तिल-तिल प्रखर हो रही अब किरण,
उत्तरायण हुआ सूर्य निखरने लगा है आंगन,
न होंगे विस्तृत अब निराशा के दामन,
मिटेंगे अंधेरे, तिल-तिल घटेंगे क्लेश के पल,
हर्ष, उल्लास,नवोन्मेष उपजेंगे हर मन।
मत पूछिए के इश्क़ में लाचार कौन है
यह देखिए के अस्ल गुनहगार कौन है
गोया के चारसू है गुलों की जमात पर
चुभता है मेरे जी में वो जो ख़ार, कौन है
अब तक न जान पाया के दर्या-ए-इश्क़ में
मुझको डुबा दिया जो मेरा यार, कौन है
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सरदार 20-20 सैयां झूठों का बड़ा सरताज निकला,
चोर समझी थी मैं थानेदार निकला। वैसे तो अब यह गीत ओल्ड है पर ओल्ड इज गोल्ड है। आजकल झूठों का बड़ा सरदार कौन यह प्रतियोगिता जारी है और इस प्रतियोगिता में शामिल कई प्रतिस्पर्धी एक दूसरे को विजेता बनाने में लगे हुए है। हालांकि कुछ माह पहले तक झूठों के सरदार का सरताज कजरी बवाल को माना जाता था ..
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आज मिस्टर मेहता के बेटे की जन्मदिन की पार्टी में उसे देखकर पुरानी यादें ताजा हो गई।
कुछ भी नहीं बदला था उसमें वही तेल चुपड़े बालों कसी हुई चोटी।आँखों में काजल और पारंपरिक चनिया चोली पहने थी।
अगर कुछ बदला था तो सिर्फ चेहरे पर हमेशा खिली रहने वाली मुस्कान। बहुत चुप-चुप-सी थी।
हाथ बिजली की तेजी से चल रहे थे। उसने मुझे नहीं देखा था।सबको फटाफट नाश्ते की प्लेट लगाकर देने में व्यस्त थी।
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गली की
आखिरी मोड़ वाली पुलिया पर बैठकर
बहुत इंतजार किया
तुम नहीं आयीं
यहां तक तो ठीक था
पर तुम घर से निकली भी नहीं ?..
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'.✍
आज हिंदू धर्मावलंबियों का प्रमुख पर्व मकर संक्रांति है , अतःआप सभी रचनाकारों को इस पर्व की ढेर सारी शुभकामनाएँ। यह स्नान और दान का पर्व है।हमारे विंध्यक्षेत्र में स्नान कुरुक्षेत्र की सरस्वती नदी में स्नान से सौ गुणा श्रेष्ठ है । ऐसा उल्लेख नारद पुराण के उत्तर भाग में मिलता है । ऋषि वशिष्ठ ने वसु और मोहिनी संवाद के क्रम में कहा कि हरिद्वार, प्रयाग, विन्ध्याचल, काशी, गंगा सागर में मकर संक्रांति स्नान उत्तमोत्तम है।
जवाब देंहटाएंसुंदर एवं समसामयिक प्रस्तुति।
बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ..
साद...
सराहनीय प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं
सभी गुणीजनों को मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ।
जवाब देंहटाएंबहुत शानदार प्रस्तुति पम्मी जी सभी रचनाएं बहुत सार्थक सुंदर।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
वाह लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार पम्मी जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिंक संयोजन
जवाब देंहटाएंमुझे सम्मिलित करने का आभार
मकर संक्रांति और सूर्य भगवान के उत्तरायण होने के पर्व पर सभी को शुभकामनाएँ। सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंवाह!खूबसूरत प्रस्तुति !
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