मेरी भी आभा है इसमें!!
हम इसे न भूलें कि हम किसी से कम नहीं।
जब हम यह नहीं भूलें कि हम किसी से कम नहीं तो...
एक भाव
अब शायद सबकुछ शांत होगा
कुछ दिनों के लिए सांत्वनाओं का एक नया प्रान्त होगा
लोग बसने को जिसमे लालायित होंगे
नए वाक्य विन्यासों से उसकी सीमाएं आयामित होंगे
कविता
केवल सिंहासन का भाट नहीं हूँ मैं
विरुदावलियाँ वाली हाट नहीं हूँ मैं
मैं सूरज का बेटा तम के गीत नहीं गा सकता हूँ |
मैं पीड़ा की चीखों में संगीत नहीं ला सकता हूँ | |
कविताएँ
क्या तुम मनुष्य हो?
-नहीं, मैं मनुष्य भी नहीं
तुम लगातार ख़ुद को शॉल से ढांपे रखती हो
और पढ़ी हुई हर कहानी को अपनी कहानी की तरह पढ़ती हो
जबकि मैंने भ्रम के स्टेशन से भ्रम को जाने वाली गाडिय़ां पकड़ीं
बीच में जितने भी स्टेशन आए सबका नाम मैंने भ्रम पाया
कविता
हांफने लगा न हो आपका हृदय अगर
जीने में इस जीवन को दुर्निवार
तो छोड़ जाइए अपना हृदय
किसी और सीने में फिर धड़कने के लिए एक बार
फिर शीरीं-फरहाद, और लैला-मजनूं की तरह
धड़कता रहेगा यह
अगर है कोई स्वर्ग
तो वहां से झांक कर देखा करेंगे जिसे आप
कविता
उनकी रसोई के बर्तनों की पवित्रता के लिए
किसी का पैदा होना दुर्घटना है
क्यों न ये सब छोड़ कर कुछ और सोचा जाए
जैसे चलता रहता है मुल्क का कारोबार वैसे ही
वर्ना वो पूछ लेंगे कि तब कहाँ थे और अब क्यों हो
लाजवाब होने से पहले
पुन: मिलेंगे...
><><><
विषय क्रमांक 102
दुआ
उदाहरण
दूर दुनिया का मेरे दम अँधेरा हो जाये
हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये।
रचनाकार - मोहम्मद अलामा इक़बाल
आज : अंतिम तिथि : 04 जनवरी 2020
प्रकाशन तिथिः 06 जनवरी 2020
जी प्रणाम दी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात।
बेहतरीन प्रेरक भूमिका की चौद पंक्तियों के साथ सरहनीय रचनाओं का सुंदर संकलन है आज के अंक में।
हमेशा की तरह लाज़वाब प्रस्तुति।
सादर।
सदा की तरह सदाबहार अंक
जवाब देंहटाएंसादर नमन..
वाह!!शानदार अंक!!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति के साथ सुंदर अंकों का संकलन।
जवाब देंहटाएंलाजवाब अंक।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भूमिका, सुन्दर रचनाएं
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रभावी भूमिका के साथ कविता पर विशिष्ट सामग्री के साथ आया आज का अंक बहुत शानदार है आदरणीया दीदी.
जवाब देंहटाएंकविता के विभिन्न आयाम एक फूल की पंखुड़ियों से प्रतीत होते हैं.
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ.