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गुरुवार, 19 दिसंबर 2019

1616...मत जलाओ सरकारी या निजी सम्पत्तियाँ

सादर अभिवादन। 

मत जलाओ 
सरकारी 
या निजी 
सम्पत्तियाँ,
सह जाओ 
वक़्त की मार 
न दो बद्दुआ 
खिलने दो 
फूल-पत्तियाँ। 
-रवीन्द्र 

आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें- 

 
मुझे भी तो हक़ है
 अपने अधिकार जानने का
मुझे न्याय चाहिए यह दुभांत किसलिए ?
 रोज  कहा जाता है मुझे पराई संपदा
क्या यह मेरा घर नहीं है ?

 

हिंदी में नंदकिशोर आचार्य को उनके कविता-संग्रहछीलते हुए अपने कोके लिए यह सम्मान दिया जाएगा। 

शशि थरूर को अंग्रेजी भाषा में कथेतर गद्यएन एरा ऑफ़ डार्कनेसके लिए दिया गया है। उर्दू मेंशाफ़े किदवईको जीवनीसवनेह--सर-सैयद- एक बाज़दीदके लिए इस सम्मान की घोषणा हुई है।


 
 पायल
छनकी पायल पाँव में,देखे छुपके मीत।
शरमाती दुलहन चली,सजना गाए गीत।
सजना गाए गीत,देख दुलहन भरमाती।
होंठों पे मुसकान, झुका नयना शरमाती।
कहती अनु यह देख,सखी की चूड़ी खनकी।
चलदी साजन साथ,छनक छन पायल छनकी।

 
फटी पोथियाँ टूटे चश्मे,धर्मांधता के स्वप्न हैं,
मदांध के पाँवों तले स्वविवेक अब दफ़्न है,
स्वार्थी,सत्ता के लोलुप बाँटकर के खा रहे
व्यवस्थापिका काँधे लाश अपनी ढो रही है।
  

 


हम-क़दम का नया विषय
यहाँ देखिए

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार। 

रवीन्द्र सिंह यादव 

11 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति..
    बढ़िया रचनाएँ..
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  2. उम्दा लिंक्स से सजा आज का अंक |मेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद सर |

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी रचना शामिल करने के लिए आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह!!रविन्द्र जी ,बेहतरीन प्रस्तुति !

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर संकलन.. मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय।

    जवाब देंहटाएं
  6. संक्षिप्त और सारगर्भित भूमिका।
    सराहनीय रचनाओं से सजी सुंदर प्रस्तुति में मेरी रचना शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार रवींद्र जी।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं
  7. सार्थक भूमिका के साथ सार्थक संकलन रविन्द्र जी | सत्याग्रहों के नाम पर दंगा और उसी में सरकारी सम्पति की शान से बर्बादी करना आज दिखावे के आंदोलनों का कडवा सच बनकर रह गया है | सार्वजनिक सम्पति की बर्बादी किसी समस्या का हल नहीं | देश में अराजकता की स्थिति चिंता पैदा करती है | आजके सभी रचनाकारों की बेहतरीन रचनाओं के लिए उन्हें शुभकामनायें | और आपको आभार इस प्रस्तुति के लिए |

    जवाब देंहटाएं

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