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शनिवार, 7 दिसंबर 2019

1604.. स्तब्धता


आप सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
हो गया न्याय... ऐसी ही न्याय की चाहत... तो बननी चाहिए प्याजी.. पर... चार सूने कोख के लिए दुःख है...
बधाई!!! हैदराबाद पुलिस!!!
कारण चाहे जो भी रहा हो...
हैदराबाद के हैवानों को नरक का रास्ता दिखाने के लिए साधुवाद...
ऐसे ही सख्त कदम उठाने की ज़रूरत है..
हो सकता है आप मुझे गलत समझें किन्तु आज मैं खुश हूं । मुझे तेलंगाना पुलिस पर गर्व है।
बस यही होना चाहिए नहीं तो बाकि सभी रेपिस्ट के जैसे ये भी नबालिग घोषित कर दिए जाते और सालों - साल केस चलता रहता ।
मेरा यही मानना है रेप केस साबित हो जाये तुरतं सजा दी जानी चाहिए तभी हमारी बेटियां सुरक्षित होंगी और लफंगे प्रजाति के लोगों में डर होगा।

प्रीति 'अज्ञात' मैं 'अहिंसा' को सबसे बड़ा हथियार मानती हूँ और वो चींटी को बचाकर चलने वाले लोगों में, मैं भी शामिल हूँ. फिर भी कहती हूँ जो हुआ, बहुत अच्छा हुआ. इन अपराधियों ने सारी हदें पार कर रखी हैं. ऐसे में न्याय-अन्याय, सही-गलत पर चर्चा का कोई मतलब ही नहीं रह जाता! आपके लिखे एक-एक शब्द से मेरी पूर्ण सहमति है.
बदलाव आवश्यक है न्यायिक प्रक्रिया में ।रेप में trial खत्म हो। आज आरोपियों को सजा मिली। लड़कियों के प्रति क्रूर से इस समय में ऐसे इनकाउन्टर आवश्यक हैं।Bravo Hyderabad Police👍
Vijay Pushpam Pathak हैदराबाद पुलिस के ऊपर एक आलोचना का दौर चलेगा ।लेकिन जिस तरह आसान मौत एनकाउंटर जे रूप में मिली ,उसकी जगह उन चारों अरोपियों को भी क्रूरता से मारकर भून डालना चाहिए था ।उन्नाव केस में भी यही होना चाहिए ।
हैदराबाद केस में पुलिस मुठभेंड में चारों अपराधियों को मारे जाने से पूरे देश को संतोष हुआ है | इनमें वो लोग भी शामिल हैं जो चींटी को भी बचा के चलते हैं | मैं भी इसमें शामिल हूँ | यहाँ बात मानाधिकारों की नहीं है | हम सब त्रस्त हो चुके हैं लंबित मामलों में आरोपियों के जेल में रोटियाँ तोड़ने से , नाबालिग करार देकर रेप जैसे जघन्य अपराध करने वालों को बाल सुधार गृह में भेज देने के | इस देश में जहाँ घरों के अंदर और बाहर हर रोज कई बलात्कार हो रहे हैं | ऐसे में सभी महिलाएं भयग्रस्त हैं | हम भी बेख़ौफ़ जीना चाहते हैं | अपनी बेटियों को स्कूल, कॉलेज ऑफिस भेजकर निश्चिन्त रहना चाहते हैं | हमें बलात्कार के सभी मामलों में कठोर कानून और उनके क्रियान्वन की जरूरत है |उनमें इतना खौफ पैदा हो की अपराधी अपराध करने से डरें |
उम्मीद है ऐसा होगा और महिलाएं अपने जीवन का ५० % समय डरने में नहीं बिताएंगी

व्यथा

द्रुमदल से निकली पगडंडी
तिमिर में ही ओझल हो जाती
मेरे मन से भी सुलझन की
कोई राह निकल न पाती।
सुंदर, प्रिय और जीवन घातक
जहरीले और अमृत तुल्य

हादसे स्तब्ध हैं

बिना नम्बर कोई गाड़ी बाहर न निकले,
कहीं कोई देर तक झुंड में बैठा हो,
तो लाइसेंस की तरह
इस वजह की भी पूछताछ हो,
नाम,तस्वीर ले लिया जाए ।
जिस तरह आतंकी गतिविधियों पर नज़र रखते हैं,
नज़र रखने के उपाय होते हैं,
वैसे ही संदिग्ध टोली पर भी नज़र हो ।"
अब वक्त है विषय का

‘आत्महत्या’

हैदराबाद सामूहिक बलात्कार मामले के चारों आरोपित पुलिस मुठभेड़ में मारे गए हैं. पुलिस का कहना है कि इन चारों को जांच के सिलसिले में आज तड़के घटनास्थल पर ले जाया गया था. तभी इनमें एक ने दूसरों को इशारा किया और इसके बाद सबने भागने की कोशिश की. इसी दौरान पुलिस ने फायरिंग की जिसमें चारों आरोपित मारे गए।

नीरेन्द्र नाथ

लालबत्ती ने कोई निषेध नहीं प्रकट किया
फिर भी तूफान की गति से धावमान
कलकत्ता शहर
अतर्कित ठहर गया।
ट्रैफिक के दुर्दांत भयंकर धक्के को झेलते
रुके रहे टैक्सी, प्राइवेट कार

टेम्पो, बाघमार्का डबलडेकर

गया... ओ... गया केर् आत्तनाद के साथ


अपनी बनाई रचना पर
स्तब्ध है सृष्टि आज मौन है…
 हैरान है… 
भोला बचपन बीत गया


><
फिर मिलेंगे

नया अठानवेवाँ विषय
हालातउदाहरणः

हालात-ए-जिस्म सूरत-ए-जाँ और भी ख़राब 
चारों तरफ़ ख़राब यहाँ और भी ख़राब 

नज़रों में आ रहे हैं नज़ारे बहुत बुरे 
होंटों में आ रही है ज़बाँ और भी ख़राब 

रचनाकारः दुष्यन्त कुमार

प्रेषण तिथिः 07 दिसम्बर 2019 
(3.00 बजे शाम तक)
प्रकाशन तिथिः 09 दिसम्बर 2019
प्रविष्ठियां मेल द्वारा ही भेजिए


6 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात दीदी...
    क्लिष्ट विषय पर शिष्ट प्रस्तुति
    सादर नमन...

    जवाब देंहटाएं
  2. संवेदना के चित्र को भरपूर उकेरा। बधाई!!!

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही संवेदनशील समसामयिक समस्याओं पर आधारित लिंको का संकलन... सभी रचनाएं हृदयस्पर्शी एवं उत्कृष्ट...।
    सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।

    जवाब देंहटाएं

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