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बुधवार, 2 अक्टूबर 2019

1538..चाँदनी से शुभ्र श्वेत मेरे..



।। उषा स्वस्ति ।।

"छिपा दिया है राजनीति ने बापू! तुमको,
लोग समझते यही कि तुम चरखा-तकली हो।
नहीं जानते वे, विकास की पीड़ाओं से
जवसुधा ने हो विकल तुम्हें उत्पन्न किया था।"

~ रामधारी सिंह "दिनकर"
गांधी जी,को सिर्फ एक व्यक्ति विशेष न मानकर एक सर्वश्रेष्ठ विचार मानकर स्मरण करने की आवश्यकता है।
गांधी जी की 150वीं जयंती पर स्वच्छ भारत अभियान का सफल क्रियान्वयन बिना जन सहयोग और जन सहभागिता के संम्भव नहीं है..

"सुना रहा हूँ तुम्हें दास्तान गाँधी की
ज़माने-भर से निराली है शान गाँधी की

रहे रहे न रहे इस में जान गाँधी की
न रुक सकी न रुकेगी ज़बान गाँधी की

यही सबब है जो वो दिल से सब को प्यारा है
वतन का अपने चमकता हुआ सितारा "
बिस्मिल इलाहाबादी

इसी के साथ आज की लिंकों में शामिल रचनाकारों के नाम क्रमानुसार पढ़े।
आ.साधना वैद जी,
आ. अनिता जी,
आ. डॉ जेन्नी शबनम जी,
आ. विश्वमोहन जी,
आ.ज्योति खरे जी..✍
❄️🔸❄️





हसरत ही रही
मैं पुष्पगुच्छ बन रजनीगन्धा का
तुम्हें भेंट किया जाता !
तुम अतुलनीय प्यार से
मुझे अपने हाथों में थाम
माथे से लगातीं
सराहना भरी दृष्टि से
निर्निमेष मुझे देर तक निहारतीं
फिर नयन मूँद
चाँदनी से शुभ्र श्वेत मेरे

❄️🔸❄️


कितनी शांति है घर में
जब से तुमने अबोला धर लिया है
कोई टोका-टाकी नहीं बात-बात पर
नहीं खड़े रहते अब सिर पर चाय, खाने के वक्त में
एक मिनट की भी देरी होने पर
अब चुपचाप स्वयं ही ले लेते हो समझदार व्यक्ति की तरह

❄️🔸❄️


1.   
साँझ पसरी   
''लौट आ मेरे चिड़े !''   
अम्मा कहती।   

2.   
साँझ की वेला   
अपनों का संगम   
रौशन नीड़।   

3.   
क्षितिज पर   
सूरज आँखें मींचे   
साँझ निहारे।  

❄️🔸❄️





डायरी लिखने की परम्परा मेरे स्वभाव में शुमार नहीं है. ऐसा नहीं है कि इस तरह की व्यवस्था का मैं कोई विरोधी हूँ. भरसक तथ्य तो यह है कि लिखने पढ़ने को मेरा मन सदा आकुल व्याकुल रहता है, किंतु नीद्रा, तंद्रा और आलस्य इन तीनो ने मेरी दिनचर्या को ऐसे दबोच रखा है कि नित नित नवोदित नयी नयी सोच अंदर ही अंदर दम तोड़ देती है


❄️🔸❄️


**********
अच्छे नर्सरी स्कूल में
बच्चों के दाखिले के लिए
सिफारिश का इंतजाम
पहले से किया जाने लगता है
क्यों कि बच्चे
भविष्य की उम्मीद होते हैं

इस दौडा़ भागी में
बूढे मां बाप का तखत
टीन का पुराना संदूक
भगवान का आसन
❄️🔸❄️
हम-क़दम का नया विषय

।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'...✍

7 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात..
    "छिपा दिया है राजनीति ने बापू! तुमको,
    लोग समझते यही कि तुम चरखा-तकली हो।
    नहीं जानते वे, विकास की पीड़ाओं से
    जवसुधा ने हो विकल तुम्हें उत्पन्न किया था।"
    शत शत नमन..
    लाजवाब प्रस्तुति..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीया पम्मीजी द्वारा प्रस्तुत शानदार प्रस्तुति।
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    #गाँधीजी150 / #Gandhiji150
    आज देश याद कर रहा है अपने दो महान सपूतों (राष्ट्रपिता महात्मा गाँधीजी और भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्रीजी) को।
    आज जहाँ एक ओर अहिंसा के पुजारी महात्मा गाँधीजी की 150 वीं जयंती देश मना रहा है वहीं ईमानदारी के प्रतीक धरती के लाल शास्त्रीजी की 115 वीं जयंती पर देश उन्हें सादर नमन कर रहा है।

    महात्मा गाँधीजी को लेकर देश में चल रही नकारात्मक बहस एक प्रकार की कुंठा से उपजा अनावश्यक सांस्कृतिक एवं सामाजिक प्रदूषण है। हम उन विरोधी विचारों का भी स्वागत करते हैं किन्तु उनका दायरा समाज और देशहित में हो।
    कभी 1 % गाँधी बनकर जिया जाय तब गाँधीवाद का मर्म गले से उतरने को तत्पर होगा।
    आज दुनियाभर के देश गाँधीवाद में निहित रचनात्मकता को समझकर उसे आत्मसात करने के लिये शोध कर रहे हैं और वहीं हम भारतवासी हैं जो गाँधीजी के कृतित्त्व एवं व्यक्तित्त्व की धज्जियाँ उड़ाने में ज़रा भी शर्म नहीं करते।
    हिंसक विचार अब इस दुनिया की ज़रूरत नहीं हैं बल्कि जाग्रत विवेक से परमाणु-अस्त्रों से बुरी तरह बेरहमी से संक्रमित पृथ्वी पर जीवन बचाने के रचनात्मक उपायों और नवीनतम सृजनात्मक सोच के विकास की निहायत ही ज़रूरत है। आज दुनिया में ऐसे सनकी तानाशाहों या कुंठित व्यक्तियों / आतंकवाद के संरक्षणकर्ताओं के हाथों में परमाणु-बटन जनता ने भूल से थमा दिया है जो कभी भी अपने रोमाँचकारी अनुभव / इतिहास में अमर होने की रुग्ण मानसिकता के चलते धरती के अस्तित्त्व को ख़तरे में डाल सकते हैं अतः इन्हें नियंत्रित करने के लिये प्रबुद्ध मानवता को सक्रिय होकर अपना यथेष्ट योगदान अपने निजी सुखों को त्यागकर अर्पित करना होगा।

    जवाब देंहटाएं
  3. शानदार भूमिका
    सुंदर संयोजन
    सभी रचनाकारों को बधाई
    मुझे सम्मिलित करने का आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी व हमारे भूतपूर्व प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का उनके जन्मदिवस पर पुण्य स्मरण एवं दोनों ही विलक्षण महानुभावों को विनम्र श्रद्धांजलि ! आज के संकलन में मेरी रचना को स्थान देने के लिये आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार पम्मी जी ! सप्रेम वंदे !

    जवाब देंहटाएं
  5. मन लुभाती भुमिका के साथ बहुत शानदार संकलन!
    सभी रचनाएं लाजवाब पठनीय,
    सभी रचनाकारों को बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन प्रस्तुति ,सभी आदरणीय रचनाकारों को ढेरो शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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