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शनिवार, 12 अक्टूबर 2019

1548... सच्चाई

सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
रावण जल तो गया?
आत्मा में बस गया?
आखिर पता चले तो चले कैसे
कहीं खो जो गयी है


लहूलुहान न सिर्फ स्वप्रगति की चाह में
बल्कि कांटे बोते दूसरों की राह में,
भागमभागी-आपाधापी के इस दौर में
फुर्सत कहां दिल के रिश्तों को जोड़ने की

अपने भाव-संवेग, दुख-दर्द किसी से बांटने की


चिड़िया 🐥जब जीवित रहती है
           तब वो किड़े-मकोड़े🐛 को खाती है।

और चिड़िया🐣 जब मर जाती है तब
           किड़े-मकोड़े🐛 उसको खा जाती है। 
इसलिए इस बात का ध्यान रखो की समय और स्थिति कभी भी बदल सकते है.


सच्चाई
उस  शून्य से  तू आया
और शून्य में ही जाएगा
यहाँ न  कोई  रह  पाया
और न तू ही रह पाएगा

           ऊपर तेरे हार की
           बिछी बिसात है
           उस शून्य से तू जीत जाय

           तेरी कहाँ औकात है


ऊँची उड़ान भर भी ले कुछ देर को फ़रेब!
आख़िर में उसके पंख कतरती है सच्चाई!
बनता है लोह जिस तरह फ़ौलाद उस तरह!
शोलों के बीच में से गुज़रती है सच्चाई!


सच्चाई फुटपाथ पर, बैठी लहू-लुहान.
झूठ निरंतर बढ़ रहा,निर्भय सीना तान.
उन्नति करते जा रहे,अब झूठे-मक्कार.
होगा जाने किस तरह,सच का बेड़ा पार.


><
फिर मिलेंगे...

बारी विषय की
बानबेवां अंक
विषय
प्रेम
उदाहरण..

रात भर प्रेम
रात भर किया
दो कुर्सियों ने प्रेम
दो पेड़ों ने
बांहें फैलाकर किया आलिंगन
घर के दरवाजे की चौखटें
करीब आकर चुंबन लेती रहीं रात भर

प्रेम में डूबी रही
रचनाकार ...दुष्यन्त
प्रविष्टियाँ शनिवार 12 अक्टूबर 2019 तक
शाम 3 बजे तक
माध्यम..
ब्लॉग सम्पर्क फार्म


8 टिप्‍पणियां:

  1. इसी सच्चाई को अपने संत कबीर ने बड़े ही सरल शब्दों में व्यक्त किया है-

    माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोहे,
    एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूगी तोहे ।

    आये हैं तो जायेंगे, राजा रंक फ़कीर,
    एक सिंघासन चडी चले, एक बंदे जंजीर ।

    सत्य यानी कि सच्चाई की राह ने ही मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा गांधी बनाया था ।
    आपका यह विषय मुझे बचपन से ही प्रिय है। इस प्रयोगशाला में मेरा आत्मपरीक्षण अब भी जारी है। सम्भवतः मृत्युपर्यन्त तक!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. सुंदर अंक
    कुछ पंक्तियां व्हाट्सएप msg टाइप।

    जवाब देंहटाएं
  3. व्वाहहहह..
    सदा की तरह बेहतरीन..
    सादर नमन....

    जवाब देंहटाएं
  4. व्वाहहहह
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति
    सादर नमन

    जवाब देंहटाएं
  5. सच्चाई पर कविवर उदय प्रताप सिंह जी कहते हैं-
    "न तीर न तलवार से मरती है सचाई
    जितना दबाओ उतना उभरती है सचाई"

    आज आदरणीया विभा दीदी ने 'सच्चाई' विषय पर बहुत सुंदर संकलन प्रस्तुत किया है। बधाई।
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सादर प्रणाम दी,
    हमेशा की तरह बेहद सारगर्भित शब्द से अति सराहनीय प्रस्तुति। एक विषय पर आपकआपका शोध और सूत्र प्रभावित करता है।

    जवाब देंहटाएं

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