राष्ट्र के दो नगीनों को
इस गीत के माध्यम से.....
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अब चलते हैं इस सप्ताह के विषय की ओर.....
हम-क़दम
सभी के लिए एक खुला मंच
आपका हम-क़दम का उनतालिसवाँ क़दम
इस सप्ताह का विषय है
'हौसला'
...उदाहरण...
चाहत ऊँची उड़ान की,
मुश्किल डगर है आसाँ नहीं।
मेहनत से नहीं है डरना,
ख़्वाब को पूरा है करना।
हौसला बुलन्द कर,
गिरने से नहीं है डर।
उठना है थकना नहीं,
उड़ान को क्षितिज तक है पहुँचाना।
उपरोक्त विषय पर आप को एक रचना रचनी है
अंतिम तिथिः शनिवार 06 अक्टूबर 2018
प्रकाशन तिथिः 08 अक्टूबर 2018 को प्रकाशित की जाएगी ।
रचनाएँ पाँच लिंकों का आनन्द ब्लॉग के
सम्पर्क प्रारूप द्वारा प्रेषित करें
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आज का रचनाएँ हम सभी चर्चाकारों की मिली जुली पसंद है.....
‘नीला घर’ के बहाने.....राकेश बिहारी
(संदर्भ: अपर्णा मनोज की कहानी ‘नीला घर’)
चाँद की बुढ़िया जैसी शक्ल वाली बप्पा के ज़मीनदोज़ होते ही नीला घर पीर की दरगाह हो गया.
इससे पहले कि बर्छियाँ चलीं, बल्लम उठे बप्पा ने जाने किन-किन
गुनाहों के लिए माफी मांगते हुये फातेहा पढ़ा था, ठीक वैसे ही जैसे
शब-ए-बरात के दिन रोटियाँ बदलते हुये उन सबके लिए दुआ पढ़ती
थीं जो अल्लाह को प्यारे हो चुके थे. बप्पा नीले घर से कुछ कहना
चाहती थीं, शायद साँवली और वीर के लिए कोई संदेश यदि कभी वे
मुड़ कर यहाँ आए तो... नीला घर भी कुछ कहना चाहता था उनसे...
दोनों की फुसफुसाहटें आपस में कुछ बतिया ही रही थीं कि उन वहशी आवाज़ों ने उन्हे दबोच लिया था... कितनी करुण थीं उस वक्त
बप्पा की निगाहें नीले घर की तरफ देखते हुये... अथाह दर्द के
बावजूद उनकी पुतलियों में ज़िंदगी से भरी चमक थी, साँवली,
बन्नो और वीर को बचा लेने का संतोष भी...
ब्लॉग का मुखपृष्ठ......प्रधान संपादिका : मध्यमा गुप्ता
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गहरा रंग....श्वेता सिन्हा
उँघती भोर में
चिड़ियों के कलरव के साथ
आँखें मिचमिचाती ,अलसाती
चाय की महक में घुली
किरणों की सोंधी छुअन
पत्तों ,फूलों,दूबों पर पसरे
पनीले इंद्रधनुष,
सुबह की ताज़गी के
खुमारियाँ...पुरुषोत्तम सिन्हा
खुश्क सी ये कैसी, चल रही है हवा,
वक्त, जैसे ठहर चुका है यहाँ,
मंद सी हो चली, सूरज की रौशनी,
मंद मंद बह रही, ये बयार भी,
सुस्त से हैं कदम, अधूरी है प्यास भी....
गुज़रा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा...व्याकुल पथिक
बंद कमरे में, इस तन्हाई में उजाला तलाश रहा हूँ। सोच रहा हूँ कि यह मन भी कैसा है , जख्मी हो हो कर भी गैरों से स्नेह करते रहा है। दो बातें किसी ने क्या कर ली, उसे अपना मीत सा समझ लेता है। वर्षों गुजर गये मनमीत को लेकर क्यों कल्पनाओं में खोया- खोया सा रहा। भृतहरि सा वैराग्य क्यों तेरे मन में तब ना आया और अब तूँ , उन्हीं विषयों को उठा रहा है, एक टूटे हुये दर्पण को चूर-चूर कर रहा है। यह ठीक है कि तुझे किताबी धर्म नहीं सिर्फ कर्म में आस्था है। फिर मन की किताब के पन्ने क्यूँ बार बार पलट रहा है। वैराग्य धारण कर क्यों नहीं उस निर्वाण को प्राप्त कर रहा है। जो कब से तेरे द्वार पर दस्तक दे रहा है। तूने क्यों इसे भी छोड़ रखा है, खुद को सामाजिक भावनाओं से जोड़ रखा है। यादों की जंजीर पहने डोल रहा है,जरा सोच फिर कैसे मंजिल तेरे करीब आएगी। बचपन से ही तू एक चिन्तक रहा।
सिद्धि....की-जाना-मैं -कौन
एक दैत्य था. उस ने विष्णु जी बड़ी तपस्या की. अंत में विष्णु जी प्रकट हुए और उस से वर मांगने को कहा. दैत्य लालची था. उसने कहा, "भगवन, मुझे वह सिद्धि दीजिये, जो सारी दुनिया में किसी के पास न हो. विष्णु जी ने उस से सोचने के लिए कुछ समय माँगा. वापिस आ कर देवताओं से मंत्रणा करने लगे.
बे-हिसाब यादों का... दिगम्बर नासवा
उम्र से बे-हिसाब
जिंदगी के दिन खर्च करना
समुंदर की गीली रेत से सिप्पिएं चुनना
सब से नज़रें बचा कर
अधूरी इमारतों के साए में मिलना
धुंए के छल्लों में
उम्मीद भरे लम्हे ढूंढना
हाथों में हाथ डाले घंटों बैठे रहना
मुक्त मुक्तक .....डॉ. हीरालाल प्रजापति
कोई न जाने किस लिए वो रह रहा ख़फ़ा ?
हर वक्त मुँह बिसूर बस रहे पड़ा ख़फ़ा ।।
माहौल जबकि हर तरफ़ है उसके ख़ुशनुमा ,
फिर भी वो अपने आप से लगे ख़फ़ा ख़फ़ा ।।
रद्दी में फेंकी यादों को....अमित निश्च्छल
फूल गिरें शव पर मेरे
शौक नहीं मुझको ऐसे
आँखें, झेलम-सिंधु बहें
कहो गुमाँ किसको, कैसे?
तेरी प्रेम पंक्तियों से
तर्पण भी मुझको मिलना
तैयार हो ना....राजीव
अब बस,
हमारा सम्बंध,
यहीं होता
है ख़त्म ।
रात के इसी
अन्तिम छोर से,
अब शुरू होगी
तुम्हारी ज़िंदगी की,
सुबह एक नई ।
अब बस एक और समाचार
आज मेरे अग्रज
डॉ. सुशील कुमार जी जोशी
का जन्म दिवस है
उन्हें बधाइयाँ प्रेषित करती हूँ
तथा उज्जवल भविष्य की कामना करती हूँ
अब पढ़िए उनकी एक पुरानी रचना
गांधी बाबा देखें कहाँ कहाँ से भगाये जाते हो
गांधी जी मैं
कह ही रहा था
कल परसों की
ही बात थी
कब तक बकरी
की माँ की तरह
खैर मनाओगे
दो अक्टूबर
तुम्हारी बपौती
नहीं है किसी दिन
मलाई में गिरी
मक्खी की तरह
निकाल कर कहीं
फेंक दिये जाओगे
आज की प्रस्तुति
काफी से अधिक लम्बी हो गई है
झेल लीजिएगा
आज्ञा माँगती है यशोदा
राष्ट्र के दो महान कर्मयोगियों को बेहद खूबसूरत गीत के माध्यम से नमन करने का हम सभी को आज प्रातः अवसर देने के लिये यशोदा दी आपका आभार । व्याकुल पथिक को एक बार पुनः आपने स्थान दिया,इसके लिये हृदय से धन्यवाद और सभी रचनाकारों को गांधी और शास्त्री जी की जयंती पर शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंलालबहादुर शास्त्री जी हमारे क्षेत्र से रहें, अतः वे ही मेरे आदर्श पुरुष हैं,जब भी व्याकुलता बढ़ती है,इस चकाचौंध भरी दुनिया में, मैं उनके दर्पण के समक्ष खड़ा हो जाता हूँ।
जय हिन्द
गांधी जी शास्त्री जी और ब्लॉग प्रिय सुशील जी को जनन दिन की बधाई ... सुंदर लिंक संयोजन है आज ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने के लिए ...
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंगांधी जी, शास्त्री जी जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं
आदरणीय सुशील को जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
बहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति
सादर
यह 2 अक्तूबर भी बार बार आता है, कुछ स्मरण दिला जाता है, पर शायद हमारी क्षणिक स्मृति में क्षणिकाएं ही बन ये रह जाती हैं। कुछ भी तो नहीं बदला दुनिया में। नमन है उनकी यादों को, जो हर बार स्मरण दिलाता है सही राह पर प्रवृत होने को।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति ।
शानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंतीनों नगीनों को
नमन और शुभकानमाएँ
जवाब देंहटाएंगाँधी जी+शास्त्री जी जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं
आदरणीय सुशील जी को जन्म दिवस की हार्दिक बधाई
बहुत ही सुन्दर संकलन
सुप्रभातम् दी,
जवाब देंहटाएंगाँधी और शास्त्री जी के जन्मदिन पर उनके आदर्शों और ऊसूलों को याद करते है हम सभी...उनके बतलाये कुछ सिद्धांतों को अगर हम आत्मसात कर ले और चरित्र में उतार ले तो निसंदेह हम उन्हें सच्ची भेंट दे पायेंगे।
आदरणीय सुशील सर को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।
सुंदर अंक में सम्मिलित उम्दा रचनाओं के बीच मेरी रचना को स्थान देने के लिए सादर आभार दी।
अहिंसावादियों के प्रिय महात्मा गाँधी जी और सादगी व ईमानदारी के प्रतीक भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयंती पर उन्हें सादर नमन.
जवाब देंहटाएंखुशी की बात है हम सबके आदरणीय प्रोफ़ेसर सुशील कुमार जोशी सर का आज जन्म दिवस है, हमारी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं एवम् बधाई.
आज की सुन्दर प्रस्तुति के लिये आदरणीया यशोदा बहन जी को बधाई.
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं.
मोहक विडिओ.
गांधीवाद और सादगी को हम महज औपचारिकता समझ बैठे हैं. मैने गाँधी जी के आलोचकों में एक प्रकार की कुंठा का गहरा अंधकूप निहित पाया है. स्वतंत्र भारत में हम एक विराट व्यक्तित्व की आलोचना करने में तनिक देर भी नहीं करते. आलोचक भूल जाते हैं स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व की परिस्थितियाँ और ब्रिटिश हुक़ूमत के बर्बर ज़ुल्म-ओ-सितम से जनता थरथराती थी तब अहिंसा,अनशन और सत्याग्रह के संदेश के साथ देश की जनता के भीतर से डर को लम्बे संघर्ष के उपरान्त दूर किया और लोगों को घरों से बाहर निकलने के लिये प्रेरित करते हुए भीड़ को आन्दोलन में तब्दील किया जिससे तत्कालीन हुक़ूमत के पाँव डगमगाये थे.
किसी भी व्यक्तित्व में ख़ामियां भी होती हैं गाँधी जी उनसे अछूते नहीं थे परंतु हमारा दृष्टिकोण क्या कहता है उस व्यक्तित्व को लेकर जिसने अपनी सुख-सुविधाओं को त्यागकर देश की अस्मिता के लिये अपने जीवन की ऐसी राह चुनी जिसे देश और दुनिया में अगाध श्रद्धा के साथ मान्यता मिली.
आज की परिस्थितियों में राजनीति में दूसरा शास्त्री जी हो जाना हमारे लिये अकल्पनीय-सा क्यों हो गया है?
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर दो अक्टूबर जन्म दिवस अंक। आभार सभी को। यशोदा जी के स्नेह के लिये शब्द नहीं हैं। जन्मदिन शुभकामनाओं के लिये और सूत्र को स्थान देने के लिये भी पुन: आभार।
जवाब देंहटाएंभारत के दोनों सच्चे सपूतों को मेरा शत् शत् नमन
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई
सुंदर संकलन रचनाओं का इस पावन पर्व पर। ह्रदयसे आभार आपका मेरी कृति को स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंराष्ट्र की दो महान विभूतियों के जन्म दिवस पर सादर श्रृद्धा नमन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचनाओं का संकलन।
सभी रचनाकारों को बधाई।
आदरणीय डाक्टर जोशी जी को जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
बहुत सुंदर संकलन शास्त्री और गांधी जयंती पर। आदरणीय सुशीलजी को जन्मदिवस की अशेष मंगल कामनाएं!
जवाब देंहटाएंगांधी और लाल ये हैं दो अनमोल रत्न
जवाब देंहटाएंजिन्होंने देश की आज़ादी के लिये करें बड़े जतन
बहुत सुंदर संकलन
आदरणीय सुशील जी को जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयाँ
2अक्टूबर गाँधी जी एवं शास्त्री जी के शुभजन्मदिवस बेहतरीन गीत व वीडियो के साथ लाजवाब प्रस्तुति करण एवं उम्दा लिंक संकलन...।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन भावों का प्रस्तुतिकरण करती रचनाएं। उम्दा
जवाब देंहटाएंसंकलन