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शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

4025...जिसके सारे पन्नो पर लिखा हो हिसाब...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय डॉ. सुशील कुमार जोशी सर की रचना से। 

 सादर अभिवादन। 

शनिवारीय अंक में पढ़िए आज की चुनिंदा रचनाएँ-

उलूकअच्छा है रात के अँधेरे में देखना दिन में रोशनी को पीटने से

जिसके सारे पन्नो पर लिखा हो हिसाब

हिसाब ऐसा नहीं
जिसे समझना हो किसी को

हिसाब ऐसा ना हो
जिससे पता चल रहा हो

खर्च किये गए रुपिये पैसे

या हिसाब
किसी रेजगारी को नोटों में बदलने का

पा प्रियतम से प्रेम का वर्षण

भूली पल में दुखड़ा ।

सीने से सट क्षितिज के पट

धरा गगन से बोली ।

राम नाम 

कर गए पार

पवनसुत सागर

लेकर राम का नाम ।

बस यूं ही....कलम चल पडी

   कभी सूनी दीवारों को देखती 

       यादों के चिराग जला कुछ ढूढती

           नज़र आते मकड़ी के जाले

      छिपकली के अंडे टूटी सी खटिया पड़ी।।

           बस यूं ही .....कलम चल पड़ी।

मौन

तुम सोचती हो कि

बोल-बोल कर 

अपनी नाव से

शब्दों को उलीच 

बाहर फेंक दोगी

खाली कर दोगी मन

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव  


9 टिप्‍पणियां:

  1. आभार रवीन्द्र जी | 'राम नाम' लिंक काम नहीं कर रहा है |

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. सचेत करने के लिए धन्यवाद, जोशी जी. हमने जब लिंक पर क्लिक किया तो हमारे ब्लॉग का ड्राफ्ट पोस्ट्स पेज खुल रहा है. इस पेज का एक्सेस तो सिर्फ़ blogger के पास होना चाहिए . इस त्रुटी को सुधारने में मार्गदर्शन कीजिए कृपया. सभी ब्लोग्गेर्स से निवेदन है.

      हटाएं
    2. सही कहा आपने, मेरे साथ भी यही हो रहा है नुपुर जी 🙏

      हटाएं
    3. इस त्रुटी को पांच लिंकों के आनंद के द्वारा ही सही किया जा सकता है | आपके चिट्ठे का लिंक सही नहीं दिया गया है |

      हटाएं
    4. त्रुटि सुधार में देरी के लिए क्षमा !

      तकनीकी कारणों से आदरणीया नूपुरम जी की रचना का लिंक यथोचित संयोजित नहीं हो सका था जिसे सर्वप्रथम आदरणीय जोशी सर ने इंगित किया तत्पश्चात आदरणीया नूपुरम जी ने ध्यान आकृष्ट किया। अति व्यस्तता के चलते यह त्रुटि देर तक पाठकों को त्रस्त करती रही साथ ही संबंधित ब्लॉगर को भी।

      अब यह त्रुटि सुधार संपन्न हो गया है। आप सभी को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है। भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए चर्चाकार को सतर्क रहना होगा।

      पुनः क्षमा के लिए आग्रह!

      हटाएं
  2. लाजवाब प्रस्तुति सभी लिंक्स बेहद उत्कृष्ट एवं पठनीय...
    मेरी रचना को स्थान देने हेतु तहेदिल से धन्यवाद एवं आभार आ.रवीन्द्र जी ।
    🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. त्रुटि सुधार में देरी के लिए क्षमा !

    तकनीकी कारणों से आदरणीया नूपुरम जी की रचना का लिंक यथोचित संयोजित नहीं हो सका था जिसे सर्वप्रथम आदरणीय जोशी सर ने इंगित किया तत्पश्चात आदरणीया नूपुरम जी ने ध्यान आकृष्ट किया। अति व्यस्तता के चलते यह त्रुटि देर तक पाठकों को त्रस्त करती रही साथ ही संबंधित ब्लॉगर को भी।

    अब यह त्रुटि सुधार संपन्न हो गया है। आप सभी को हुई असुविधा के लिए हमें खेद है। भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए चर्चाकार को सतर्क रहना होगा।

    पुनः क्षमा के लिए आग्रह!

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