सादर अभिवादन।
गुरुवारीय अंक
में
आपका
स्वागत
है।
आइए अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें-
ये चलते हैं
जिह्वा की कमान से
और जब चलते हैं
रक्त की एक बूँद भी
दिखाई नहीं देती
लेकिन मन प्राण आत्मा को
निमिष मात्र में घायल कर
निर्जीव बना जाते हैं !
संग्राम है जीवन अगर
लड़ना ही होगा मगर
जीत तक लड़ते रहेंगे
क्यों पराजय की कहेंगे।।
अंजान रिश्ते...पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा
कल, पल न बन जाए भारी!
यूँ, निभा न यारी!
न कर, उन अनाम रिश्तों की सवारी,
कल, कौन दे, तुझको यूँ ढ़ाढ़स,
न यूँ, बेकल पल बिता,
यूँ न गढ़, व्यथा की अन्तःकथा तू!
साँसों पे
तलवारें लटकी
है
आँखें धड़कन
पर
अटकी
है
हम रोएँ
या
फिर
सिर
पटके
जीवन की
राहें
भटकी
है।
मैं तुम्हारे कारण यहां हूं और तुम मेरे कारण यहां हो ~ मुल्ला नसरुद्दीन प्रस्तुति :रिंकी राउत
मुल्ला तो बहुत डर गया। बारात के लोग उसके चारों तरफ इकट्ठे हो गए और उन्होंने पूछा: ‘तुम यहां क्या कर रहे हो? इस कब्र में क्यों पड़े हो?’ मुल्ला ने कहा: ‘तुम बहुत कठिन सवाल पूछ रहे हो। मैं तुम्हारे कारण यहां हूं और तुम मेरे कारण यहां हो।’
सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक..
जवाब देंहटाएंआभार..
बहुत ही बेहतरीन लिंक्स ...
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात ....
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह उत्कृष्ट अंक।।।।।
🙏
बहुत अच्छी रचनाएँ। सुंदर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक रचनाओं की प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रस्तुतियों की ख़ासियत यह होती है कि आप यहाँ बहुत ज्यादा रचनाएँ प्रस्तुत नहीं करते हैं। इससे पढने की उत्सुकता बढती है।
समसामयिक रचनाओं से परिपूर्ण सुंदर व प्रेरक प्रस्तुति । हर एक रचना भावपूर्ण व प्रेरक थी , बहुत आनंद आया पढ़ कर । हृदय से अत्यंत आभार व आप सबों को प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सार्थक सूत्रों से सुसज्जित आज का अंक ! मेरी रचना को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंसारे लिंक बेहतरी हैं
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय 🙏 सादर
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति, भूमिका आज का विकृत सच कह रही है।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत आकर्षक।
सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर।
achhi jaankari hai
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