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मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

2026 ..आज का एकल संग्रह ..अवधारणा

सादर वन्दे....

सोचे हम कुछ यादगार अंक दें आज का
पढ़िए....साग्रह  दिव्या

अवधारणा !
शायद, चेतना का वो मूल तत्व,
जो,
वस्तु को उसके अर्थ तथा
अर्थ को उस वस्तु के
बिम्ब के साथ जोड़ती है
और चेतना को,
संवेदनात्मक बिम्बों से अलग,
इक स्वतंत्र रूप से
पहचानने की संभावना पैदा करती है !

इस अंक में...
मेरे उर में क्या अन्तर्हित है,
यदि यह जिज्ञासा हो,
दर्पण ले कर क्षण भर उस में मुख अपना,
प्रिय! तुम लख लो!


वे गायन, जिनके न आज तक
गाकर सिरा सका जल-थल,
जिनकी तान-तान पर आकुल
सिहर-सिहर उठता उडु-दल।

आज सरित का कल-कल, छल-छल,
निर्झर का अविरल झर-झर,
पावस की बूँदों की रिम-झिम
पीले पत्तों का मर्मर,


हुआ रूप-दर्शन
जब कृतविद्य तुम मिले
विद्या को दृगों से,
मिला लावण्य ज्यों मूर्ति को मोहकर,-
शेफालिका को शुभ हीरक-सुमन-हार,-
श्रृंगार
शुचिदृष्टि मूक रस-सृष्टि को।



गान गायक का नहीं व्यापार,
उसकी विकलता है;
राग वीणा की नहीं झंकार,
उसकी विकलता है;
भावनाओं का मधुर आधार
सांसो से विनिर्मित,
गीत कवि-उर का नहीं उपहार,
उसकी विकलता है।


मुझे देखते ही
अरहरी लजाई,
मनाया-बनाया,
न मानी, न मानी;
उसे भी न छोड़ा -
पथिक आ रहा था,
उसी पर ढकेला;
हँसी ज़ोर से मैं,
हँसी सब दिशाएँ,
हँसे लहलहाते
हरे खेत सारे,
हँसी चमचमाती
भरी धूप प्यारी;
बसंती हवा में
हँसी सृष्टि सारी!
हवा हूँ, हवा मैं
बसंती हवा हूँ!

मेरी आँखों के अश्रु भी, तुझे पिघला सके न क्यों
तेरी नफ़रत की गठरी को, दिवस और रात ढोया हूँ।

कदर तुझको नहीं मेरी, तेरी खातिर सहा कितना,
मिली रुस्वाइयाँ फिर भी, प्रीत - माला पिरोया हूँ ।
...
अग्रज भाई पुरुषोत्तम जी को आभार
एक एतिहासिक संग्रह तैय्यार किया है
सादर


11 टिप्‍पणियां:

  1. शानदार संदर्भ अंक..
    आभार...
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. हँसा हूँ तेरी बातों पे ,तेरी यादों में रोया हूँ
    प्यार है बस तुझी से तो,प्यार के बीज बोया हूँ।।। जैसी पंक्तियों के साथ साहित्य के पुरोधाओं की कालजयी रचनाएँ और अवधारणा ब्लॉग का स्मरण, सचमुच यादगार अंक प्रिय दिव्या। सभी को सुप्रभात और शुभकामनाएं। आपको सस्नेह बधाई इस अनूठे अंक के लिए🌹🌹 ❤❤

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत शानदार रचनाएँ हैं सारी,
    सराहनीय प्रस्तुति प्रिय दिबू।

    सस्नेह।

    जवाब देंहटाएं
  4. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  5. प्रिय दिव्या जी
    आज का अंक तो बेमिसाल है। आपकी मेहनत इसमें प्रतिबिंबित हो रही है। बहुत बधाई.!!!!
    शुभकामनाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रिय दिव्या जी
    आज कि अंक तो बेमिसाल है। आपकी मेहनत इसमें प्रतिबिंबित हो रही है। बहुत बधाई.!!!!
    शुभकामनाओं सहित,
    डॉ. वर्षा सिंह

    जवाब देंहटाएं
  7. लाजबाव कालजयी रचना प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत ही शानदार तथा कालजयी कृतियों का संकलन प्रस्तुत करने के लिए बहुत बहुत आभार एवं हार्दिक शुभकामनाएं..सादर..जिज्ञासा सिंह..

    जवाब देंहटाएं

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