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शनिवार, 31 अक्टूबर 2015

105...वैसे मै व्रत बहुत कम करती हूँ


सादर अभिवादन
आदरणीय विभी दीदी 

अपरिहार्य कारणो से आज नहीं आ पाई
पर आनन्द आएगा ही

देखिए उन्हीं की पसंद की पहली रचना की कड़ी



देखियेगा शबाब फूलों के
अब उठेंगे नका़ब फूलों के

उम्र-भर बाँटते रहे ख़ुशबू
तुमसे अच्छे हिसाब फूलों के


इक रात लिए मैं...अपने सपनों को
यूँ निकल पड़ा फिर..लेकर अपनों को
वो ख्वाब ही थे जो..मेरे अपने थे
कुछ नए पुराने..जाने अनजाने


आपको विश्वास हो या न हो पर ये बिलकुल सच है ....
ईश्वर से सच्चे मन से मांगो तो मुराद पूरी होती है ,
जब तक उसके हाथ में है.....
(मुझे लगता है ,कई बार उसके हाथ में भी नाही रहता कुछ)
कई बार मुझे महसूस हुआ है की वो मेरी सुनता है .....


मेरा चांद समझता है
मेरे चूड़ी, बिछुए, झुमके
पायल की रुनझुन बोली
सुन लेता है, वह सब
जो मुझे कहना तो था
लेकिन किसीसे ना बोली
पढ़ लेता है मेरी


वैसे मै व्रत बहुत कम करती हूँ 
लेकिन करवाचौथ का व्रत मुझमें इतनी शक्ति भर देता है कि मै पूरा दिन पानी की बूंद भी हलक से उतरने नहीं देती, सब कहते हैं तुम व्रत रोज़े की तरह मत रखा करो, लेकिन शायद बचपन से ही मुझमें वो शक्ति पैदा हो गई है



आज बस
अभी जाकर बात करूँगी विभा दीदी से
उनका हाल-चाल पूछूँगी
सादर
यशोदा










6 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर शनिवारीय प्रस्तुति यशोदा जी ।

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात छोटी बहना
    कल वृहस्पतिवार है।ये दिन भर एहसास रहा और सब गड़बड़ हो गई

    स्नेहाशीष

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर रचना पर चर्चा यशोदाजी
    3 पीपीसी एड साइट http://raajputanaculture.blogspot.com/2015/10/top-3-ppc-ads-site.html

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुंदर लिंक संयोजन । शुक्रिया बहना ...

    जवाब देंहटाएं

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