।।प्रातःवंदन। ।
सुबह उठा तो ऐसा लगा कि शरद आ गया,
आँखों को नीला-नीला आकाश भा गया,
धूप गिरी ऐसे गवाक्ष से
जैसे काँप गया हो शीशा
मेरे रोम-रोम ने तुम को
पता नहीं क्यों बहुत असीसा,
शरद तुम्हारे खेतों में सोना बरसाए,
छज्जों पर लौकियाँ चढ़ाए !
केदारनाथ स
बुधवारिय प्रस्तुतिकरण में शामिल हुए रचनाए आप सभी के समक्ष..अथ सीसीटीवी कथा
कई चीजें जीवन में घटनाओं के जरिए आती है, ऐसी ही एक चीज है- सीसीटीवी कैमरा! बीते 8 फ़रवरी को शहर पूर्णिया वाले मेरे घर में चोरों ने ढंग से उत्पात मचाया। और इसी बदरंग घटना की वज़ह से सीसीटीवी कैमरे का जाल अपने घर आया!
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बिन शब्दों का कभी भी
वाक्य विस्तार नहीं होता
जैसे बिन खेवनहार के
भव सागर पार नहीं होता
मूर्ख लोग ईर्ष्यावश दुःख मोल ले लेते हैं।
द्वेष फैलाने वाले के दांत छिपे रहते हैं।।
ईर्ष्यालु व्यक्ति दूसरों की सुख सम्पत्ति देख दुबला होता है।
कीचड़ में फँसा इंसान दूसरे को भी उसी में खींचता है।।
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कुछ स्त्रियाँ
कभी नहीं लौटतीं मायके
जब भी वापसी का कदम उठाती हैं
उनकी स्मृतियों में कौंध उठता है
माँ का बेबस चेहरा
पिता की घृणा और तिरस्कार
वे बढ़े हुये कदमों को लेती हैं समेट
अपने भीतर खोल में कछुए की तरह ।
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।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️
खूबसूरत अंक
जवाब देंहटाएंआभार
सादर
सुंदर अंक!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार 🙏
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