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रविवार, 9 फ़रवरी 2025

4394 ..भारत शरणार्थियों का पनाहगाह

सादर अभिवादन
अप्रवासी प्रकरण
उदार भारत
पहले भी बंगला देशियों को
शरण दे चुका है भारत
रायपुर छत्तीसगढ़ की बात करें तो

सालों पहले विस्थापितों को माना, कोंडागांव,जगदलपुर , पखांजूर (परलकोट)
और ओडिशा के कतिपय इलाके में बाकायदा शरण दिया है
ये बात 1947 की है शायद
पूर्वी पाकिस्तान से बंगालियों को और
पाकिस्तान के सिंधु व पंजाब के लोगों को
भारत ने शरण दिया और नागरिकता भी प्रदान किया




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क्षितिज के किनारे


समुंदर असीम है 
क्षितिज उसका कोना
रखो धैर्य अपना 
होगा जीवन सलोना
रहे हर किनारे पे
मगरमच्छ सारे
अगर कोई डराए 
मगर तुम डरो ना




गाँव के कोस गिनकर होगा क्या

अरमान भरी गठरी बंधी तो थी
मगर लगी ठोकर वह बिखर गई
बच निकली जो स्मृतियाँ मुर्दा सी
वह भी ख़ामोशी में दफ़न हुई!





पुत्रवधू


एक मित्र के यहाँ उनकी मुलाकात एक लड़की से हुई। उन्होंने उससे भी वही प्रश्न किया। लडक़ी बोली शरीर व मन स्वस्थ है, तो सभी मौसम अच्छे हैं यदि हमारा तन मन स्वस्थ नही, तो हर मौसम बेकार है। सेठ जी इस उत्तर से बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने उस लड़की को अपनी पुत्रवधू बना लिया।



अमेरिका की कार्रवाई से जुड़े, यदि, तो, जैसे कुछ अंदेशे

एजेंटों की बात तो वे पहुंचाने के पैसे लेते हैं, लौटा कर लाने के नहीं ! सोचने की बात है 
जो घुस-पैठ करवाने के ही पचास-पचास लाख ले लेते हों वे उस बदतरीन परिस्थिति में
क्या नहीं मांग सकते ! वैसे भी ऐसे बदनसीबों की तलाश वहां के माफिया को रहती है
जो शरीर के अंगों की तस्करी करते हैं ! उनको तो एक ही
शरीर से करोड़ों की आमदनी हो जाती है ! तो ...!!



आज बस

वंदन

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