निवेदन।


फ़ॉलोअर

शनिवार, 28 सितंबर 2024

4260 .. तुम पुरुष स्त्री के अतीत में क्यों जीना चाहते हो

 सादर अभिवादन

आज बारी मेरी
और मेरे बारे में...
आठ महीने पहले डॉ. ने कहा कि मेरी बीमारी ने अपने आपको पुर्नस्थापित कर लिया है
और डेड लाईन दिया है कि  आठवें माह के बाद खतरा है, और उस आठ महीने में से चार माह बीत गए हैं,,
अभी फिलहाल में आयुर्वेदिक कॉलेज के अस्पताल में हूँ, सुकूं है..
आयुर्वेदिक कॉलेज पाईकमाल ओड़ीसा  के वैद्य हर 15 दिन में परीक्षण कर दवा देते हैं, एक खास बात नोट किया है मैंने आते ही पहले वे एक अगरबत्ती जलाते हैं और लंबी सांस लेने को कहते हैं
...होइहै वही जो राम रचि राखा बस

अब देखिए रचनाएँ



ये रिश्ते हैं
थोड़े नाज़ुक और पेचीदा
इनके पेच कसने में
ज़िंदगियाँ छूट जाएँगी
यही बेहतर है की हम,
शुरुआत करें फिर से
अजनबियों की तरह,
मुलाकात करें फिर से



एक व्यक्ति सदा कुछ न कुछ और बनने की कोशिश करता रहता है। वह स्वयं जैसा है उसे स्वीकार नहीं करता, इसी कारण वह दूसरे के अस्तित्व को भी नकारता है।उसका मन  सदा किसी आदर्श स्थिति को पाने की कल्पना करता है। इसलिए तनाव सदा इस बात के कारण होता है कि वास्तव में वह क्या है और क्या बनना चाहता है




लुप्त हुए त्योहार कुछ,बने धरोहर आज।
परम्परा के मूल में ,उन्नत रहे समाज।।

है ज्युतिया उपवास में,संतति का उत्कर्ष।
कठिन तपस्या मातु की,मिले पुत्र को हर्ष।।




ये तेरा प्यार मिसरी के जैसा रहा
घुल गया है मगर जायक़ा रह गया

वो नगर थे जो आगे निकलते गए
मैं रहा गांव जो ताकता रह गया



"हे पुरुरवा ! ... तुम पुरुष स्त्री के अतीत में क्यों जीना चाहते हो


आज बस
वंदन

2 टिप्‍पणियां:

  1. "ओह,क्या हुआ है आपको..!! ईश्वर आप पर अपनी कृपा बनाएं रखें और आप शीघ्र ही स्वस्थ हों,यही कामना है।हृदय विचलित हो उठा है यह पढ़कर।"

    बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...