किसी पर सुब्ह़ आता है किसी पर शाम आता है
हमारे दिल को ले-दे कर यही इक काम आता है
वही अंजाम होता है हर इक आग़ाज़ का अपने
हमारा हर क़दम नाकामियों के काम आता है
सज़ाएं फिर मुक़र्रर हो रही हैं बे-गुनाहों की
ये देखें अबके सर पर कौन-सा इल्ज़ाम आता है
राजेश रेड्डी
चलते पढ़ते नज़र पड़ी और ठहरीं जिस पर ...लिख गई हाय रे राजनीति..✨️
केजरीवाल भी गोडसे के साथ है गांधी की फोटो हटवाया
निहायत घटिया और असंवैधानिक कृत्य! चाटुकारिता ने संविधान को अपने नीचे दबा दिया। यह खाली कुर्सी इस अरविंद केजरीवाल की है जिस पर उसकी आत्मा बैठी है। देह तो नहीं है क्योंकि बिना कुर्सी के उसकी आत्मा जीवित नहीं रह सकती। यह वही केजरीवाल है जिसने पंजाब की सरकार के इसी कक्ष में मुख्यमंत्री के गांधी जी की तस्वीर..
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भोर का पक्षी
भोर का पक्षी / अनीता सैनी
२१सितंबर२०२४
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सदियों में कभी-कभार
एक-आध ऐसी रात भी आती हैं,
जब उजाले की प्रतीक्षा में
भोर का यह पक्षी सारी रात गाता है
विरह-गीत।
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मिलो तो सही इक बार वैसे
मुझ में अब कुछ ख़ास
न रहा, कई भागों
में बंटने के
बाद
शून्य के सिवा कुछ पास न
रहा, दस्तकों की उम्र
ढल चुकी, दरवाज़े
भी हैं निष्क्रिय
से मौन,
घरों..
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तीन पग भूमि
बलि बलि जाइए ऐसे
भक्त और भगवान पर !
भक्त राजा बलि, दानी,
विनम्र एवं परोपकारी,
धर्मात्मा महत्वाकांक्षी,
सुंदर..
जवाब देंहटाएंआभार
वंदन
यदि इस अंक को कोई शीर्षक दिया जाए , तो संभवतः वह होता ... उजाले की आस में . धन्यवाद, पम्मी जी. तीन पग भूमि प्रसंग भी जोड़ने के लिए. नमस्ते.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अंक
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आपका।
सादर