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गुरुवार, 2 नवंबर 2023

3932...बिंदास मासूम परिंदों को चमन की जरूरत है...

शीर्षक पंक्ति: आदरणीय उदय वीर सिंह जी की रचना से। 

सादर अभिवादन।

गुरुवारीय अंक में पढ़िए  पाँच पसंदीदा रचनाएँ-

जरूरत है 

जुल्म और जबर को दोज़ख नसीब हो जाये,

वतनपरस्तों  को  उनके वतन की जरूरत है।

कायम हो दिलों में अमनोचैन आम शहरियों के,

बिंदास मासूम परिंदों को चमन की जरूरत है।

185- अर्घ्य प्रेम का

चिरसंगिनी
खुशियाँ हों तुम्हारी
दुआ हमारी ।

लाज-चूनर
उमंगों के कंगन
प्रेम का अर्घ्य ।

पत्र

मैं पे और ग्रेड भी छोड़ सकता हूँयदि मुझे यही गुड्स क्लर्क बनाकर रख दिया जाये। मेरे लिए मकान बहुत बड़ी समस्या है। रेलवे का क्वार्टर नहीं मिला तो मैं नष्ट हो जाऊँगा। रीता ने तिनका-तिनका चुनकर जो घोंसला बनाया हैवह तबाह हो जायेगा। इस जमाने में तीन सौ रुपये महीने का मकान एफोर्ड नहीं कर सकता हूँ। गेंद अब तुम्हारे गोले में है।

तुमने पूछा तो मैंने लिख दिया। मैं हल्का हो गया। तुम बताओ कि अब तुम क्या करागे और मुझे क्या करना चाहिए?’

बाजार की गिद्ध दृष्टि एक मासूम से त्योहार पर

आज कल आयातित कल्चरविदेशी सोच तथा तथाकथित आधुनिकता के हिमायती कुछ लोगों को महिलाओं का दिन भर उपवासित रहना उनका उत्पीडन लगता है। उनके अनुसार यह पुरुष  प्रधान समाज द्वारा महिलाओं को कमतर आंकने का बहाना है। अक्सर उनका सवाल रहता है कि पुरुष क्यों नहीं अपनी पत्नी के लिए व्रत रखते ऐसा कहने वालों को शायद व्रत का अर्थ सिर्फ भोजन ना करना ही मालुम है।

 

गोधूलि-प्रियंवद

प्रियंवद सब खेल देखते हुए हंस देते हैं। उनकी हंसी में 'गोधूलिनज़र आने लगती है। उन्होंने अपने कहे में कहना शुरू किया, 'उस बरस ऋतुएँ थोड़ा पहले आ गयी थीं।पहले वाक्य को छुआ भर था कि एक पंछी ने उड़ान भरीठंडी हवा का झोंका देह को सहला गया। पलकें मूँदीं और बुदबुदा उठी, 'नहीं इस बरस ऋतुएँ तनिक पहले आ गयी हैं।

*****

फिर मिलेंगे। 

रवीन्द्र सिंह यादव  


4 टिप्‍पणियां:

  1. मरहब्बा
    बेहतरीर प्रस्तुति
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर, रोचक ! हार्दिक बधाई ,आभार 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. सम्मिलित कर सम्मान देने हेतु हार्दिक आभार ! सभी को अशेष शुभकामनाएं 🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीय सर, सादर प्रणाम। विविध रचनाओं से सजी अत्यंत सुंदर और प्रेरक प्रस्तुति । हर रचना शिक्षाप्रद और सद्भाव लिए हुए है और अपने-आप में विशेष है । बहुत आनंद आया और बहुत सीखने को भी मिला । हार्दिक आभार एवं पुनः प्रणाम ।

    जवाब देंहटाएं

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