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रविवार, 26 नवंबर 2023

3956 एक आधुनिक शोधग्रंथ ...

 सादर अभिवादन

भविष्य का शोधग्रंथ इसी पन्ने में है
शोध करिए मिल जाएगा

अब रचनाएं देखें....




चाँद को
बहुत देखा
भूख प्यास लिखना,
प्यास भरी
बस्ती में
गंगा सा दिखना,
धूप से
मुख़ातिब हों
तरु की छायायें.




तक़सीम का दायरा था हद ए नज़र के पार,
बिखरना लिखा था तक़दीर में हर एक बार,

कुछ भी न रहा नज़दीक इक सांस के सिवा,
चिराग़ बुझ चले हैं न रहा किसी का इंतज़ार,




सुख की चाह की ख़ातिर
दुख देता है औरों को
पर बोता है बीज दुख के
ख़ुद के लिए
शिशु के रुदन के प्रति भी
नहीं पिघलता जो दिल
घिरा नहीं क्या घोर तमस से
आत्मा का स्पर्श हुए बिना
सत्य दिखाई नहीं देता


सवैया में एक ही गण की कई आवृत्ति रहती है तथा अंत में कुछ वर्ण या अन्य गुच्छक रहता है। सात की संख्या के लिए 'ड' वर्ण तथा आठ की संख्या के लिए 'ठ' वर्ण प्रयुक्त होता है जिसका परिचय संकेतक के पाठ में कराया गया था। ये वर्ण अ, आ, की मात्रा के साथ प्रयुक्त होते हैं। सवैयों की छंदाएँ ण व स्वरूप संकेतक के बिना ही दी जा रही हैं। अब यह रचनाकार पर निर्भर है कि वह विशुद्ध वर्णिक स्वरूप में रचना कर रहा है या मान्य मात्रा पतन के आधार पर।




रेशमा .. एक किन्नर .. सात किन्नरों की टोली की 'हेड' होते हुए भी पूरे मुहल्ले के लोगों से सम्मान पाती है। उसे सम्मान मिले भी भला क्यों नहीं ? .. वह है ही ऐसे स्वभाव और सोच की .. यूँ तो प्रायः कोई बुज़ुर्गवार ही अपनी टोली की 'हेड' होती है। परन्तु रेशमा के साथ ये बात लागू नहीं होती। वह तो अभी महज़ छ्ब्बीस वर्ष की ही है। पर अपनी क़ाबिलियत के दम पर अपनी मंजू माँ, जो इसके पहले इस टोली की 'हेड' थी और रेशमा की पालनहार थी ..
विशेषः-कहीं सुना था आदमी के रास्ते काटने के बारे में भी | 
तरक्की पसंद लोग बिल्ली की जगह आदमी का प्रयोग कर रहे होंगे वहां | 
सुन्दर |


आज बस
कल  फिर मिलेंगे
सादर

5 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात ! पठनीय रचनाओं के लिंक्स से सजी सुंदर हलचल, आभार !

    जवाब देंहटाएं
  3. जी ! .. नमन संग आभार आपका हमारी इस निकृष्ट बतकही को अपने उत्कृष्ट मंच की अपनी सराहनीय प्रस्तुति में स्थान प्रदान करने हेतु ... 🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. पुंश्च्छली शब्द निकृष्ट कतई नही है
      इस विषय पर विस्तृत चर्चा भी माय़ने रखता है
      99 प्रतिशत अज्ञानियों को पुंश्च्छली का मतलब भी पता नही
      वे सब पूछ-पाछ कर अपने ज्ञान में वृद्धि कर रहे हैं
      क्षमा बड़न को चाहिए
      सादर वंदे

      हटाएं

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