निवेदन।


फ़ॉलोअर

रविवार, 5 नवंबर 2023

3935 ..प्रेम भाव का जगत में नहीं आज कुछ मोल

सादर अभिवादन

नवंबर मास चालू आहे
22 नवंबर तक के दिन अस्त-व्यस्त रहेंगे
झेल लीजिएगा
सादर
अब रचनाएं देखिए ....

महक .... मीना भारद्वाज
नींबू की पत्तियों की महक थी
या...,
भूरी बालू  मे पड़ी  सावनी रिमझिम की
हाथ में खुरपी थामे
वह समझ नहीं पाई


शब्द आधारित ( दोहे) ...सुजाता प्रिय
रस लोलुप भ्रमर यहाँ,भुन-भुन गाता गान।
फूल-फूल पर बैठ कर,करता है रसपान।।

गुलशन देख महक रहा, फूल खिले चहुं ओर।
फूलों की खुशबू यहाँ, लेकर आता भोर ।


अलगाव ....सरिता सैल
अलगाव ये शब्द
एक अरसे से चल रहा है
मेरे साथ यदाकदा
आंखों से बहता ही रहता है


शब्द सीढ़ी ...साधना वैद
प्रेम भाव का जगत में नहीं आज कुछ मोल
चौंक पड़े हैं कान भी सुन कर मीठे बोल

है स्वभाव का दास वो आदत से मजबूर
किसको हम अपना कहें दिल है गम से चूर

आज बस
कल फिर मिलेंगे






2 टिप्‍पणियां:

  1. लाजवाब सूत्र संयोजन में “महक” को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदयतल से आभार यशोदा जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर सूत्र सार्थक हलचल ! मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदय से धन्यवाद यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...