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रविवार, 8 अक्टूबर 2023

3904 ..रिश्वत अकेले नहीं आती

सादर अभिवादन


रिश्वत अकेले नहीं आती
देने वाले की बद्दुआ
मजबूरियां, दुख,
वेदना, क्रोध, तनाव,
चिंता भी उन नोटों में
लिपटी रहती है ...


अब रचनाएं देखें






कोई तो उतारे बोझ
हल्का हो मन उड़े,
एक बार बिना भार
ख़ुद से फिर आ जुड़े !


मुझसे ही है तुम सबका जीवन।
मुझसे है खेती,वन और उपवन।
अपने जन को तुम  समझा लो।
मानव तू मेरा अस्तित्व बचा लो।





फिर भी
कुछ किताबें
नहीं दी जा पाती हैं
किसी को भी
न किसी पढ़ने वाले को
न पुस्तकालय को
न रद्दी वाले को

तब तो और भी नहीं
जब हो वह किताब
अधपढ़ी।





ज्ञान उसे  मत  दीजिये,
जो नहि  ग्राहक होय।

जिमि वर्षा मरु भूमि में,
तृण  उपजे नहि कोय।।






बेटी तो अपनी मासूमियत के साथ और भी बतियाती  रही । पर माँ को जैसे उसका जबाब मिल गया । उसने आसमान की ओर देखा फिर आँखें बंद कर मन ही मन भगवान का शुक्रिया किया कि कैसे आज फिर मेरी ही बेटी को मेरा गुरू बनाकर मुझे सही सीख दे दी आपने।जब तक जैसे को तैसा तरीका नहीं अपनाउंगी तब तक  ऐसी समस्याएं बार-बार बनती ही रहेंगी ,।  लातों के भूत बातों से भला कब मानते हैं !





वक़्त की टहनियों पे टंगे प्रेम के गुलाबी लम्हे
संदली ख़ुशबू का झीना आवरण ओढ़े
सजीव हो उठते हैं सूरज की पहली किरण के साथ ...


....
भाई कुलदीप जी का दिन बदल गया है
वे कल से रविवार की बजाए सोमवार को आया करेंगे
कल मिलिएगा कुलदीप जी से

जाते-जाते याद दिला दूं
पिछले सोमवार को एक शब्द दिया गया था
तिर्यक
कोई शायद समझ पाया
पढ़िए पूरी रचना

नील नयन, नील पलक;
नील वदन, नील झलक ।

नील-कमल-अमल-हास
केवल रवि-रजत भास
नील-नील आस-पास
वारिद नव-नील छलक ।

नील-नीर-पान-निरत,
जगती के जन अविरत,
नील नाल से आनत,
तिर्यक-अति-नील अलक ।
-सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"
 आराधना रागविराग
अगले रविवार को नया शब्द दूंगी
साथ ही दूँगी एक प्रसस्ति पत्र का नमूना

सादर

6 टिप्‍पणियां:

  1. वाह सभी रचनायें एक से बढ़कर एक हैं यशोदा जी...शानदार

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह सभी रचनायें एक से बढ़कर एक हैं यशोदा जी...बहुत दि‍नों बाद पढ़ पाई ...मगर जब सभी रचनाओं को पढ़ ल‍िया तो बहुत अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  3. रिश्वत अकेले नहीं आती
    देने वाले की बद्दुआ
    मजबूरियां, दुख,
    वेदना, क्रोध, तनाव,
    चिंता भी उन नोटों में
    लिपटी रहती है ...

    बिल्कुल सही कहा पर रिश्वतखोर को इन सबकी परवाह कहाँ ...

    लाजवाब प्रस्तुति उत्कृष्ट लिंकों से सजी...
    मेरी रचना को भी स्थान देने हेतु हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार सखी !

    एक बार पुनः पहले की तरह दिये गए शब्द पर चिंतनपूर्ण सृजन पढ़ने को मिलेंगे और साथ ही उम्मीद है कि रचनाकारों की सोई लेखनी पुनः जागृत हो ।
    अनंत शुभकामनाएं🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. शुभ रात्रि, दिन भर कुछ व्यस्तता बनी रही, पर 'देर आयद दुरस्त आयद ' पर अमल करते हुए पाँच लिंक्स पर दस्तक दी है, सार्थक भूमिका और उत्तम रचनाएँ, बधाई और आभार यशोदा जी !

    जवाब देंहटाएं

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