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शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

1923 ..पीड़ा की कज्जल बदरी ने ढाँप दिए खुशियों के तारे

शुक्रवारीय अंक में
आप सभी का स्नेहिल अभिवादन।

तूफान से लड़कर कश्ती  पतवार हो जाती हैं
बूँदें बहकर साथ में नदी की धार हो जाती है
धुँध,गर्द,अंधेरे जब ढँक लें उजियारा मन का
नन्हीं-सी इक आस की किरण कोमलता से
तम का कवच भेदती, आर-पार हो जाती है।

आइये आज की रचनाएँ पढ़ते हैं-

शरद पूर्णिमा के मयंक से

पीड़ा की कज्जल बदरी ने
ढाँप दिए खुशियों के तारे,
इक तारा कसकर मुठ्ठी में,
बाँध लिया था, वह थे तुम !




मूँज से चटाई कैसे बनती है   
अँगना लीपने के बाद कैसा दिखता है   
ढ़ेंकी और जाँता की आवाज़ कैसी होती है   
उन्होंने कभी देखा नहीं, गाय-बैल का रँभाना   
बाछी का पगहा तोड़ माँ के पास भागना   
भोरे-भोरे खेत में रोपनी, खलिहान में धान की ओसौनी   
आँधियों में आम के गाछी में टिकोला बटोरना   




चलो तुम आ जाओ नीचे
हम चाय बनाने जाते हैं
रिटायरमेन्ट के बाद अब
ज़िम्मेदारी हम पर भारी है
सूरज-चाँद जगें समय पर
और समय पर जा सोएँ
दसों दिशाएं चौबस्त रहें
नदिएं व सागर ठीक बहें !




सजा के तौर पर
मेंढक के पैरों में कील ठोंककर
उसका कलेजा निकाला जाना था
यह सब सुनकर
बिलों में छुपे साँप
बाहर निकल आए और..
तट किनारे खड़े
बरगदी वृक्ष की शाखों पर चढ़कर
कानों में
राजा का फैसला सुनाने लगे


हे महावीर औ बुद्ध तुम्हारे दिन बीते
प्रियदर्शी धम्माशोक रहे तुम भी रीते
पतिव्रता नारियों की सूची में नाम न पा
लज्जित निराश धरती में समा गईं सीते
नालन्दा वैशाली का गौरव म्लान हुआ
अब चन्द्रगुप्त के वैभव का अवसान हुआ
सदियों से कुचली नारी की क्षमता का पहला भान हुआ .... कल मिलिए विभा दीदी से उनकी विशेष प्रस्तुति के साथ -श्वेता



7 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति..
    साधुवाद..
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. सराहनीय प्रस्तुतीकरण... हार्दिक बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  3. व्वाहहहहहह..
    लाज़वाब...
    स्वस्थ रहिए-मस्त रहिए
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  4. अपनी रचना की पंक्ति को शीर्षक पंक्ति में देखकर बहुत खुशी हुई। रचना का पाँच लिंकों में आना गौरवान्वित कर जाता है। बहुत बहुत आभार और स्नेह प्रिय श्वेता मुझे याद रखने के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  5. जोड़-जोड़कर जिनको मैंने

    जाने कितने गीत बुने,

    मेरे गीतों के शब्दों के

    पावन अक्षर - अक्षर तुम !!!
    जैसी अभिनव पंक्तियों के साथ सुंदर प्रस्तुति प्रिय श्वेता👌👌, भूमिका का चिंतन बहुत सार्थक है. सुंदर संयोजन के लिए बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई. सभी रचनाकार सराहना के पात्र है.

    जवाब देंहटाएं

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