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रविवार, 4 अक्टूबर 2020

1906 ....आज एक ही ब्लॉग से...मन का मंथन

सादर अभिवादन
भाई कुलदीप जी की पसंद
अगले सप्ताह से दिखेगी
आज से उनका काम-काज शुरु हुआ है
ऑफिस का पेंडिग काम निपटाएँगे आज
तो चलिए उनके ही ब्लॉग की सैर करें
उनके ब्लॉग की नई-जूनी रचनाओं के शीर्षक..


केवल संस्कार दो ...

अपनी खुशियां ही मांग रही है...

वो माताएं  सब से

यही कह रही है

बच्चों  के लिये

न मांगो लंबी आयु की दुआ

न धन दौलत

...केवल संस्कार दो...


इस कड़ाके की सर्दी में ... 

इस कड़ाके की सर्दी में,

वो इकठ्ठा परिवार ढूंढता   हूं।

दादा दादी की कहानियां,

चाचा-चाची का प्यार ढूंढता   हूं...



मां के हाथ का भोजन ही  लगता है। ...

इन 32 वर्षों में,

सब कुछ बदला है।

पर्व, मेले,  त्योहार भी,

रिति-रिवाज, संस्कार भी।

पीपल नीम अब काट  दिये,

नल, उपवन भी बांट दिये,

अब चरखा भी कोई नहीं बुनता,



हे भारत! आज तुम बिलकुल अकेले हो ...

हे भारत

आज तुम बिलकुल अकेले हो,

इस महाभारत के रण में,

न कृष्ण है

न अर्जुन,

न धर्मराज,

आज विदुर भी,

तुम्हारा हित नहीं चाहता।

भीष्म द्रौण

और कृपाचार्य की निष्ठा,

आज मातृभूमि के प्रति नहीं,

कुर्सी के प्रति है...

आज भी जंग भी,

सिंहासन के लिये ही है,



होनी ....

नहीं करते कल्पना जिसकी,

जीवन में वो भी घट जाता है,

ये कैसे हुआ, क्यों हुआ,

आदमी सोचता रह जाता है....

नहीं जानता ये मनुज,

कल क्या होने वाला है,

वो तो अपने हिसाब से,

शुभ-शुभ सोचता जाता है.....

भाई जी की सोच ये बताती है
वे कितने विशाल हृदय के स्वामी है
वे चित्र नहीं लगाते अपनी रचनाओं में
पढ़िए और भी रचनाएँ हैं उनके ब्लॉग में
कुछ मनके चुन लाए हैं ..
सादर









8 टिप्‍पणियां:

  1. सस्नेहाशीष व अशेष शुभकामनाओं के संग हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह इस अभिनव संकलन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय दीदी | उदारमना प्रिय कुलदीप जी का साहित्य प्रेम अपने आप में बहुत अनोखा है | ब्लॉग जगत में भी वे एक बहुत भावुक और अतिसंवेदनशील रचनाकार के रूप में पहचाने जाते हैं | उनकी सभी रचनाएँ चाहे आजके अंक में हों या ब्लॉग की एनी सभी रचनाएँ उनमें उनका कोमल और निर्मल ह्रदय झांकता हैं | समाज और देश के प्रति अपनी उदार सोच का परिचय वे अपने छोटे- छोटे संदेशों के माध्यम से फेसबुक पर देते रहते हैं | चर्चाकार के रूप में भी उनकी प्रस्तुतियां विशेष रहती हैं | अनुज कुलदीप जी को बहुत -बहुत शुभकामनाएं इस सुंदर प्रस्तुति के लिए | फेसबुक पर काव्य मैराथन क्या शुरू हुई सभी वहीँ अपनी काव्य रचनाएँ लेकर दौड़ रहे हैं और ब्लॉग जगत में ब्लॉगर्स बिन सब सून नजर आ रहा है | आशा है ब्लॉग जगत की रौनक फिर से बहाल होगी जल्द ही | भाई कुलदीप जी को फिर से बधाई और आपको भी हार्दिक आभार ये प्रस्तुति सजाने के लिए-- सादर |

    जवाब देंहटाएं
  3. सभी पाठकों से अनुरोध है भले रोज उपस्थित ना हो सकें विशेष प्रस्तुतियों पर अपनी उपस्थिति और शुभकामनाएं अवश्य प्रेषित करें | सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. कुलदीप जी की संवेदनशील और भावात्मक रचनाओं का बहुत सुंदर संकलन है दी।

    जवाब देंहटाएं
  5. सुंदर सारगर्भित रचना प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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