जिनसे सीख पाई.... कर्मठ बनना
व्यस्तता का बहाना नहीं बनाना
ना जाने कब बुलावा आ जाए
कोई काम अधुरा रह जाए
शुभ प्रभात
सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
जब ये सासें कुछ भारी सी लगने लगे,
जब ये धड़कन अधूरी सी चलने लगे,
दिल ये भर जाए और आँखें रोने लगे,
ऐसे दर्द में दिल को सहलाती हैं माँ !!
हर एक सफ्हे में,
एक उम्र तमाम होती है,
लाज़मी है हर एक लफ्ज़,
सोच कर लिखना,
><
फिर मिलेंगे...
हम-क़दम का छियालिसवाँ अंक
विषय
।।रूमानी।।
तुम और हम
बादलों के नग़में गुनगुनाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं
मुश्किल है जीना
उम्मीद के बिना
थोड़े से सपने सजाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं
आदरणीया प्रतिभा जी की रचना है ये
प्रविष्टि दिनांक शनिवार 24 नवम्बर तक
यानी आज ही भेज दी जानी चाहिए
प्रकाशन तिथि सोमवार दिनांक 26 नवम्बर है
प्रविष्टियाँ सम्पर्क प्रारूप द्वारा ही प्रेषित की जाए
आदरणीय दीदी...
जवाब देंहटाएंसादर नमन...
रोके नहीं रुकता
ये पल...
बेहतरीन..सदा की तरह..
सादर...
सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंसुंदर सार्थक रचनाओं से सजा गुलदस्ता।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
सुंदर अंकों के साथ आज की प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंआभार।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर हलचल प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति करण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुति ।
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