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गुरुवार, 1 नवंबर 2018

1203....हर मुर्दे को कफ़न भले ही हो न मयस्सर....

सादर अभिवादन। 

दिल्लीवाले विवश हैं 
ज़हरीली हवा में 
लेने को साँस,
वोटों के सौदागर 
करते ऐसा तिलिस्म 
पाँच साल तक 
चुभती रहती 
   मन में फाँस।   

आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर  ले चलें-


मेरी फ़ोटो

‘हर मुर्दे को कफ़न भले ही हो न मयस्सर,
पर हर शासक का स्मारक, बन जाता है.
उजडें बस्ती, गाँव, घरों में जले न चूल्हा,
मूर्ति खड़ी करने में, सारा धन जाता है.’




अमृता
 जानती हो तुम्हारे नाम के 
साथ अमर जुड़ा हुआ है
 फिर कैसे जा सकती हो कहीं 


My photo

सपनों की इस नगरी में 
कब तक भटकेगा दर दर
स्वप्न को सत्य समझकर 
रह जाएगा यहीं उलझकर!
निकल जाल से, क्रूर काल से 
तुझको आँख मिलाना है



वक्त फिसलता गया रेत सा
रह गए मन के जज़्बात दबे
न तुम बोले न हमने कहा
रह गए मन में ख्बाव दबे



मनुष्य जिस दशा को जी रहा होता है, जो कुछ भी आस-पास घटित हो रहा होता है उसी के सापेक्ष ही अधिकतर का सोचना होता है पर उससे इतर सोच पाना ही एक सफल कलाकार का कौशल माना जाता है जो हमेें जीवन के गूढ़ रहस्यों के अधिक निकट ले जाने में सक्षम हो, तभी तो हसीन वादियों के इस कलाकार के अधिकतर शुरूवाती चित्रों में ब्लैकिस व ब्राउनिस टोन की अधिकता है जो कहीं से भी जीवन के सम्पन्नता को उजागर नही करता।

चलते-चलते एक नज़र  "उलूक टाइम्स" की नज़र ने बनाये  X-Ray पर भी -  

समझ में नहीं आ रही है ऊँचाई एक बहुत ऊँची सोच की किसी से खिंचवा के ऊँची करवा ही क्यों नहीं ले रहा है........ डॉ. सुशील कुमार जोशी  




अच्छा किया 
‘उलूक’ तूने 
टोपी पहनना 
छोड़ कर 

गिर जाती 
जमीन पर पीछे कहीं 

इतनी ऊँचाई देखने में 


हमक़दम के विषय के लिए
यहाँ देखिए

आज बस यहीं तक 
फिर मिलेंगे अगले गुरूवार 
शुक्रवारीय प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा जी 

रवीन्द्र सिंह यादव 

8 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर गुरुवारीय हलचल प्रस्तुति। आभार रवींद्र जी 'उलूक' की सोच की ऊँचाई को भी आज के पन्ने में जगह देने के लिये।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं सभी रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद उम्दा पठनीय रचनाओं से सजा आज का अंक बहुत अच्छा लगा रवींद्र जी।
    समसामयिक विषय में लिखने में आपका कोई जवाब नहीं..सारगर्भित भूमिका है।
    बहुत बधाई सभी रचनाकारों को और एक सुंदर संकलन के लिए आपको भी शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  4. सटीक भूमिका,बेहतरीन प्रस्तुति,बढ़िया संकलन....मेरी रचना को चुनने के लिए अत्यंत आभार आदरणीय रवींद्रजी।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति आदरणीय
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत बहुत धन्यवाद रवीन्द्र जी, सटीक कथ्यों के साथ सुंदर प्रस्तुति. सभी रचनकारों को बधाई। धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं

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