सादर नमस्कार
आदरणीय रवींद्र जी व्यस्त थे इसलिए उनकी जगह आज मैं उपस्थित हूँ।
आप कल उनकी प्रस्तुति पढ़ना न भूलियेगा।
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सर्वप्रथम पढ़िए कुँवर नारायण जी की
कुछ रचनाएँ
कुछ दूर उड़ते बादलों की बेसंवारी रेख,
या खोते, निकलते, डूबते, तिरते
गगन में पक्षियों की पांत लहराती :
अमा से छलछलाती रूप-मदिरा देख
सरिता की सतह पर नाचती लहरें,
बिखरे फूल अल्हड़ वनश्री गाती...
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ओस-नहाई रात
प्रथम बरसात का निथरा खुला आकाश,
पावस के पवन में डगमगाता
टहनियों का संयमित वीरान,
गूँजती सहसा किसी बेनींद पक्षी की कुहुक
इस सनसनी को बेधती निर्बाध,
दूर तिरते छिन्न बादल ....
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नीली सतह पर
आत्मा व्योम की ओर उठती रही,
देह पंगु मिट्टी की ओर गिरती रही,
कहाँ वह सामर्थ्य
जिसे दैवी शरीरों में गाया जाता है ?
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अब चलिए आज की रचनाएँ पढ़ते हैं
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आदरणीया सुधा देवरानी जी की लेखनी से
डूबती आँखें हताशा लिए
फिर वही झूठी दिलाशा लिए
चंद साँसों की आशाओं संग
वह चुप फिर से सोया......
देख दुखी अपने सपने को
मन मेरा फिर-फिर रोया.....
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आदरणीया कुसुम जी की अभिव्यक्ति
साँझ ढले श्याम चादर
जब लगे ओढ़ने विश्व!
नन्हें नन्हें दीप जला कर
प्रकाश बिखेरो चहुँ ओर
दे आलोक, हरे हर तिमिर
त्याग अज्ञान मलीन आवरण
पहन ज्ञान का पावन परिधान ।
★★★★★
आदरणीया मीना जी की क़लम से
हम परिंदे भाँप लेते हैं हवा की नीयतों को
आज तूफां के इरादे, जानना है फिर !!!
गर्म लावा खदबदाता है कहीं दिल की जमीं में
आग के दरिया के रुख को मोड़ना है फिर
★★★★★
आदरणीय अशोक बमियान जी की लेखनी से
काबिल ना देखा तुमने
तुमने देखा तुम्हारा वफादार
जो भरे तुम्हारी
हुँकार मे हुँकार |
चाचा के दम पर
आज देखो छोरा ऊँचल रहा
गली गली
हर गली मे वो पसर रहा |
★★★★★
आदरणीया सुधा सिंह जी की क़लम से
सामंजस्य नहीं था बिल्कुल
फिर भी जिन्दगी काट दी **
यह सोचकर कि
दुनिया क्या कहेगी.....**
कैसे कह दूँ कि जिन्दगी
कठिन से सरल हो गई है.
वक्त का असर तो देखो यारों...
अब तो 'सुधा' भी गरल हो गई है...
★★★★★★
और चलते-चलते उलूक के पन्ने से
आदरणीय सुशील सर की अभिव्यक्ति
एक
छोटी सी
गुफा को
खोल ले जाने के
छोटे छोटे
खुल जा सिम सिम को
यही मंत्र है
यही तंत्र है
हर बार
यही वाली सिम
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आज का यह अंक आपको
कैसा लगा?
कृपया अपने बहुमूल्य
सुझाव अवश्य
प्रेषित करियेगा।
हमक़दम के विषय के लिए
आज के लिए इतना ही
कल अपनी प्रस्तुति के साथ
उपस्थित रहेंगे
आदरणीय रवींद्र जी
शुभ प्रभात सखी...
जवाब देंहटाएंसमस्या समाधान पसंद आया...
रचनाओं को बेवजह बेहतरीन कहना हमारी आदत नहीं है.....सारी रचनाएँँ स्तरीय है....
आभार कुंवर नारायण सिंह की रचना पढ़वाने के लिए...
सादर...
सुंदर प्रस्तुतीकरण उम्दा लिंक्स चयन
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति का आगाज़ कुँवर नारायण जी की खूबसूरत कविता से है। श्वेताजी की मनमोहक हलचल प्रस्तुति में अपनी रचना को देखना सुखद है। लिंक्स का पठन दोपहर बाद। सादर एवं सस्नेह धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंसुन्दर हलचल प्रस्तुति। आभार श्वेता जी 'उलूक' के सिमसिम को भी जगह देने के लिये।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर......
जवाब देंहटाएंसादर.....
सुंदर प्रस्तुति कुँवर नारायण जी की खूबसूरत कविता से ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं का संकलन
धन्यवाद श्वेता जी।
मेरी रचना को स्थान देने के लिए
जवाब देंहटाएंआभार
वाह!!श्वेता ,सुंदर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हल चल प्रस्तुति 👌
जवाब देंहटाएंकुँवर नारायण जी की उम्दा रचना के साथ शानदार प्रस्तुतिकरण...बेहतरीन लिंक संकलन......
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से आभार एवं धन्यवाद श्वेता जी !
वाह बहुत सुन्दर प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंकुँवर नारायण जी की तीनों बैजोड़ रचनाओं का रस्वादन कर मन प्रसन्न हुवा।
सभी रचनाकारों को बधाई
मेरी रचना को सामिल करने हेतू स्नेह आभार ।