स्वागत है आप सभी का......
पांच लिंकों का आनंद के 1222 अंक में......
उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर-मंतर सब
चाक़ू-वाक़ू, छुरियाँ-वुरियाँ, ख़ंजर-वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठीं मुझ से रूठे-रूठे हैं
चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर वह भी कहाँ अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब
आखिर मै किस दिन डूबूँगा फ़िक्रें करते है
कश्ती-वश्ती, दरिया-वरिया लंगर-वंगर सब
- राहत इन्दोरी
अब पेश है.......
मेरे द्वारा चयनित कुछ रचनाओं के लिंक......
चाँद से अपनी आशनाई है....
ज़िन्दगी भर जिसे नहीं भूलें...
आज ऐसी घड़ी ही आयी है...!
हम जमाने से रंज ले बैठे...
जबसे नज़रों में वो समायी है..!
दिन गुज़र जाएगा मगर 'पूनम'...
चाँद से अपनी आशनाई है...!
एक छोटा सा मकान हूँ मैं
मौला मेरे रहम कर मुझ पर
दूर हटा दे ये तोहमत
लौटा दे मेरा खोया वकार
कर दे दफा तू हर लानत
कर दे रौशन कमरा-कमरा
हों खुशियों के फूल यहाँ
दूर दूर तक मायूसी की
बात करे ना कोई यहाँ !
सारे जहाँँ की जन्नत और
मोहोब्बत का पैगाम हूँ मैं
परिचय
मुझे तो अपना ख़ुद ही पता नहीं
किसी को पता हो तो बताए
हो सके तो मुझसे
मेरा
परिचय कराए !!
बापू
बनते कृष्ण ये द्वापर के
राम बने त्रेता के
साहित्य कला इतिहास साधक
याचक अनुचर नेता के
गांधीगिरी! अब गांधीबाजी!
बस शेष है गांधी गाली
उठ न बापू जमुना तट पर
क्या करता रखवाली!
यही तो है मौसम
मुश्किल है जीना
उम्मीद के बिना
थोड़े से सपने सजाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं
नीयत
ये ख़ामोशी नहीं अपनी मसरुफ़ियत
ज़रा सी..
चंद खुशियों को महफूज़ रखने की ,नीयत
खामोश जबानों की भी खुद की भाषा होती है
अनकहा पैगाम
सहम गई हवायें यही कुसूर रहा,
ख़ौफ बेरहम आँधियों का न यकीन हुआ,
वो पैगामें उल्फत सीने में समा गयें,
नहीं लौटोगें तुम, यही बात रुला गई।
हम-क़दम का छियालिसवाँ अंक
विषय
।।रूमानी।।
तुम और हम
बादलों के नग़में गुनगुनाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं
मुश्किल है जीना
उम्मीद के बिना
थोड़े से सपने सजाएं
थोड़ा सा रूमानी हो जाएं
आदरणीया प्रतिभा जी की रचना है ये
इस रचना का लिंक इसी अंक में है......
प्रविष्टि दिनांक शनिवार 24 नवम्बर तक भेज दी जानी चाहिए
प्रकाशन तिथि सोमवार दिनांक 26 नवम्बर है
प्रविष्टियाँ सम्पर्क प्रारूप द्वारा ही प्रेषित की जाए
धन्यवाद....
सुंदर अंक और संकलन
जवाब देंहटाएंआभार आप सभी का ।
शुभ प्रभात भाई...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाएँ......
आभार....
सादर
वाह! अत्यंत सर्वांग और सुसज्जित संकलन। बधाई और आभार!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संकलन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति कुलदीप जी की।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचनाओं का संकलन.. मेरी रचना को स्थान देने के लिए हृदयतल से धन्यवाद आदरणीय कुलदीप जी🙂🙏
जवाब देंहटाएंमेरी रचना शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंशुभ प्रभात आदरणीय
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर हल चल का संकलन 👌
मेरी रचना को स्थान देने के लिए, सह्रदय आभार आदरणीय
सादर
सुन्दर संकलन ....
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं
जवाब देंहटाएंवाह!!बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंराहत साहब की उम्दा गजल के साथ मनमोहक शुरुआत
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति सुंदर संकलन सभी रचनाकारों को बधाई।
सभी रचनाएं बेहद उम्दा एवं पठनीय....लाजवाब प्रस्तुतिकरण...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत सूंदर हिंदी
जवाब देंहटाएंरचनाये, शेयर करने के लिए धन्यवाद !