सभी को यथायोग्य
प्रणामाशीष
मौत सामने से जब मन करे गुजर जाती है
दहला दिलो दिमाग सन्नाटा पसरा जाती है
.
थकती तू नहीं तो थके वो क्यूँ जिसे तू सताती है
जिन्दगी फलसफा हर बार एक नया समझाती है
मरे नहीं तो हारे क्यूँ
यही है जिन्दगी
गर याद करता अपने फर्ज को ,
आँखों से बहता आंसुओं का ढेर !
समझौता कराने की जुगाड़ में ,दिन रात चल रहा मतभेद !
\क्यूँ नहीं समझता कोई ,बेचारी चक्की का दुख् भेद !!
खौफ़ के साये में खाकी
ऐसे में इस तरह के सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर क्यों
बदमाशों के अंदर पुलिस का भय पूरी तरह खत्म होता जा रहा है ?
क्यों खाकी से सिर्फ शरीफ लोग खौफ खाते हैं और बदमाश उन्हें कहीं
अपना सहयोगी तो कहीं अपना प्रतिद्वंदी मानकर चलते हैं ?
खाकी की इमेज क्यों सिर्फ और सिर्फ वर्दीधारी अपराधियों की
बनकर रह गई है और कैसे उसका इकबाल पूरी तरह खत्म होता जा रहा है ?
गुड़िया सी
आज प्रेम चखा मैंने
भर गई मुझमें
तवे से उतरी रोटियों की गर्माहट
सिर स्थिर हुआ कन्धों पर
और हाथ मेरे कहे से हिले
चाय का कप नीचे रखा था
के वह ख़ुशी से झूम उठा।
भावार्थ
कहतें हैं की कर्म करो फल की चिंता कभी न हो,
तो बिन अर्थ के बताओ की ये जीवन कैसे जियो,
क्या कोई खा सके बेस्वाद खान कभी बेस्वार्थ के,
तो सामर्थ कैसे कोई करे मंजिल हो या स्वास् हो ।
तुझसे नाराज़ नहीं जिन्दगी
बहुत लोगों का यह मानना है कि आत्महत्या एक क्षणिक भावावेश में उठाया गया कदम है।
कुछ मामलों में यह बात सही भी है, पर सभी मामलों में नहीं...।
कई बार इस अन्तिम फ़ैसले पर पहुँचने से पहले व्यक्ति बहुत चिन्तन-मनन करता है...।
खुद को इस दुनिया से विदा करने के लिए तैयार करता है...।
तभी ऐसे कई सारे मामलों में हम पाते हैं कि ऐसा व्यक्ति अपने
अन्तिम समय में बेहद बदला हुआ महसूस होता है...।
चलो फिर से बात करते हैं
चाँद के चकले पे दो रोटियां बेलेंगे
बाँट लो सितारे आज शतरंज खेलेंगे
आओ शै और मात करते हैं।
चलो फिर से बात करते हैं।
मरणोपरांत जीवन
" हाँ , बिलकुल यही !! और कुछ भी नहीं । " - उसने ओझल होते हुए कहा ।
में बड बढाने लगा - में ' आत्मा योनी में रह लूंगा किन्तु लिखूंगा
तो सिर्फ सामाजिक सरोकार के लिए ।
में किसी भी हालत में कीट पतंग नहीं बनना चाहूँगा ।"
फिर मिलेंगे ..... तब तक के लिए
आखरी सलाम
विभा रानी श्रीवास्तव
दीदी सादर नमन
जवाब देंहटाएंफ़लसफा ज़िन्दगी का
आपसे ही कोई सीखे
काफी से भी अधिक
चढ़ाव-उतार देखें है
आपने अपनी
इस ज़िन्दगी में
अच्छी रचनाओं से
संजोया है आपने
आज के आनन्द में
बहुत सुन्दर प्रस्तुति विभा जी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन....
जवाब देंहटाएंआभार आंटी आप का....
बढ़िया हलचल प्रस्तुति हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंbehtreen link sanyojan di .. shandaar chunaw .. (y)
जवाब देंहटाएंसादर नमन सुंदर संकलन प्रस्तुति
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