शीर्षक पंक्ति: आदरणीया अनीता जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
आइए पढ़ते हाँ आज की पसंदीदा रचनाएँ-
युद्ध में मारे गए सैनिकों के बच्चे
क्या होती है
भौगोलिक सीमाएं
इस पार की जमीन
और उस पार के जमीन
के बीच क्या फर्क है
क्या जानना चाहते होंगे
युद्ध में मारे गए सैनिकों के बच्चे
क्या आपको पता है ?
मुझे तो बिलकुल भी नहीं पता !
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और एक दिन
शून्य बन जाता है मन
कृतज्ञता भर जाती है पोर-पोर में
उसके लिए
उसी के द्वार से आती है सदा
दिव्यता की झलक
गंध अदृश्य की
संगीत उस अमूर्त का
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क्लांत पथिक की
कठिन राह
पर
शीतल जल
कूप बनना।
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नमी लेकर
धूप आगे बढ़ी है
फिर ओस से,
दूब की फुनगियाँ
खड़ी अफसोस से।
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दरवाज़ा खड़का है
शायद वो आए
मेरा दिल धड़का है।
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फिर मिलेंगे।
रवीन्द्र सिंह यादव
सुप्रभात ! सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरे ताॅंका को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद, आभार।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात ! सुंदर प्रस्तुति, 'मन पाये विश्राम जहां' को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार रवींद्र जी !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, रवींद्र जी। अलग-अलग रंग में पगी भावनाओं और भावुक मन का क्या खूब जमघट हुआ ! सभी रचनाकारों को और आपको बधाई और शुभकामनाएं ।
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