बस रोटी के भाप,
उबले चाय-दूध के ताप के
जलन से ही अंदाजा है..
नारी का इंसान होना
उतने जलन से ज्यादा है...
प्रत्येक के हिस्से
आ ही जाते हैं
कई किस्से
रंगभरी होली हो,
फगुनाई टोली हो।
प्रेमरस पगी-सी,
कोयल की बोली हो।
मन का अनुबंध हो,
प्रेम का प्रबंध हो।
जीवन को परिभाषित,
करता निबंध हो।
–सवाल है...
2020 ई० में "थप्पड़" जैसी फ़िल्म बन रही है
और चर्चित हो रही आखिर क्यों ?
थप्पड़
. एक चेतन स्त्री को हमेशा खतरे के तौर पर ही देखा गया है.
चेतन स्त्री, घर, परिवार, समाज सबके लिए खतरा है.
वो सब परिवार खुशहाल हैं जहाँ स्त्रियों ने कभी सवाल नहीं किये
और पुरुषों ने यह बात कभी महसूस भी नहीं की.
हर पिता को यह फिल्म देखनी चाहिए और सोचना चाहिए
बेटियों के साथ सुंदर रिश्ता बुनने के बारे में.
स्वयं को पहचान, तुझ में शक्ति अपार है,
स्वयं को नमन कर और आगे बढ़ चल,
ठोकर मार उसे जो तेरा सम्मान करना न जाने,
बढ़ चल, बढ़ चल, नई राहें तेरा रस्ता तके हैं,
तेरे आंचल में हैं अपार खुशियां
–महिला सशक्तिकरण : हालात कितने बदले हैं ?
बढाया था तुमने पहला कदम
जीवन भर मिला तुम्हें बस गम
पर नई राह तो दिखला दी
नारी को आज़ादी सिखला दी
आधुनिकता(मॉर्डनाइज़ेशन) सिर्फ हमारे पहनावे में आया है
लेकिन विचारों से हमारा समाज आज भी पिछड़ा हुआ है आखिर क्यों ?
आकडे बतलाते है कि वर्ष १९०१ में जहाँ १००० पुरुषो के मुकाबले ९७२ महिलाए थी ,वही २००१ में महिलाए की संख्या घटकर ९३३ रह गई | लिंग अनुपात की सबसे अच्छी स्थिति केरल और पांडिचेरी में है जहाँ पुरुषो से अधिक महिलाएं की संख्या है | दुःख की बात है कि सबसे ख़राब स्थिति देश के सुंदर वार्ड के शहर चंडीगढ़ और दीव दमन की है , जहां १००० पुरुषो के अनुपात में महिलाए केवल ८०० है |
सच का रूप एक यह भी..
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पुन: मिलेंगे
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हम-क़दम-110 का विषय है-
'अभिसार'
उदाहरणस्वरूप कविवर नरेश मेहता जी की रचना-
यह सोनजुही-सी चाँदनी
नव नीलम पंख कुहर खोंसे
मोरपंखिया चाँदनी।
नीले अकास में अमलतास
झर-झर गोरी छवि की कपास
किसलयित गेरुआ वन पलास
किसमिसी मेघ चीखा विलास
मन बरफ़ शिखर पर नयन प्रिया
किन्नर रम्भा चाँदनी।
मधु चन्दन चर्चित वक्ष देश
मुख दूज ढँके मावसी केश
दो हंस बसे कर नैन-वेश
अभिसार रंगी पलकें अशेष
मन ज्वालामुखी पर कामप्रिया
चँवर डुलाती चाँदनी।
गौरा अधरों पर लाल हुई
कल मुझको मिली गुलाल हुई
आलिंगन बँधी रसाल हुई
सूने वन में करताल हुई
मन नारिकेल पर गीत प्रिया
वन-पाँखी-सी चाँदनी।
साभार : कविता कोश
विश्व लघुकथा जगत से लघुकथाकार आमंत्रित हैं
जून 2020 लघुकथा प्रतियोगिता
अन्य की लिखी पिता पे लघुकथा पर समीक्षा
भेजने की अंतिम तिथि 30 मार्च 2020
lekhymanjoosha@gmail.com
बेहतरीन अंक...
जवाब देंहटाएंसदा की तरह..
सादर नमन..
हमेशा की तरह अनेक सारगर्भित तथ्य समेटे बेहतरीन अंक दी।
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत सुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अंक ,सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी नारी विशेषांक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्तियॉ ,सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउत्तम सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बेहद खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह बेहद खूबसूरत।
जवाब देंहटाएंनारी का अभिमान, प्रेममय उसका घर है,
जवाब देंहटाएंनारी का सम्मान, जगत में उसका वर है।
नारी का बलिदान, मिटाकर खुद की हस्ती,
कर देती आबाद, सभी रिश्तों की बस्ती।
वाह , नारी के सम्मान को बढाता और उसके जीवन पर दृष्टिपात करता सुंदर अंक | सभी लिंक पठनीय और सार्थक | सभी रचनाकारों को नमन| आपको भी प्रस्तुती विशेष के लिए सादर आभार और प्रणाम | ब्लॉग जगत की समस्त नारी शक्ति को कोटि नमन और महिला दिवस की हार्दिक शुभकानाएं |सादर
बहुत अच्छा लिखा हुवा है बहुत अच्छा पोएम है आपका आर्टिकल्स पढ़ कर सच में मजा आ गया
जवाब देंहटाएंeid-mubarak-shayari-in-hindi-hd-wallpaper