कारगिल दिवस
भारतीय सैनिकों की शौर्यगाथा से जुड़ा
एक अविस्मरणीय दिन है।
60 दिन तक चले भारत-पाक युद्ध का अंत
26 जुलाई 1999 को हुआ।
कारगिल में शहीद हुये
सैनिकों के सम्मान और विजयोपहार
को याद करने के लिए यह दिन
कारगिल दिवस के रुप में
घोषित किया गया।
वैसे तो हम देशवासियों का
हर दिन हर पल
इन वीर जवानों का कर्ज़दार है।
सैनिकों के त्याग और बलिदान
के बल पर हम अपनी सीमाओं में सुरक्षित
जाति-धर्म पर गर्व करते हुये
सौ मुद्दों पर आपस में माथा फुटौव्वल करते रहते हैं।
अपने देश में अपनी सुविधा में उपलब्ध चारदीवारी में
चैन की नींद सो पाते हैं
तो बस हमारे सीमा प्रहरियों की वजह से।
सिर्फ़ दिन विशेष ही नहीं
अपितु हर दिन एक बार
हमारे वीर जवानों का उनके कर्तव्य के नाम पर किये गये बहुमूल्य बलिदानों के लिए हृदय से हमें धन्यवाद
अवश्य करना चाहिये।
तो चलिए पढ़ते हैं कुछ रचनाएँ
जो विशेषतः आज के दिन के लिए
शब्दबद्ध की गयी हैंं-
★★★★★★
आदरणीय रुपचंद्र शास्त्री जी
कारगिल विजय दिवस
सैन्य ठिकाने जब हुए, दुश्मन के बरबाद।
करगिल की निन्यानबे, हमें दिलाता याद।
--
अपना ही लद्दाख है, अपना ही कशमीर।
कभी न देंगे पाक को, हम अपनी जागीर।।
★★★★★★
आदरणीय विश्वमोहन जी
कारगिल की यही कहानी
स्वयं काली ने खप्पर लेकर,
चामुंडा संग हुंकार किया।
रक्तबीजों को चाट चाटकर,
पाकिस्तान संहार किया।
'द्रास', 'बटालिक' बेंधा हमने
'तोलोलिंग' का पता लिया।
मारुत-नंदन 'नचिकेता' ने
यम का परिचय बता दिया।
आदरणीया कुसुम जी
राहें विकट,हौसले बुलंद थे,
चीरते सागर का सीना
पांव पर्वतों पर थे,
आंधी तुम तूफान तुम
राष्ट्र की पतवार तुम।
हो शान देश की
मशाल तुम ,मिशाल तुम।
★★★★★★
आदरणीया अनिता सैनी जी
कारगिल पर था तिरंगा लहराया
लहराया तिरंगा जिस शान से,
था फरवरी महीना,
पाकिस्तानी सेना को रास न आया
दो मुल्कों का अमन से जीना।
उधर धीरे-धीरे रच डाला
प्राण अपने वार दिए,
विजय का हार लिए,
तिरंगे के मान रखा !
कारगिल पर पांव रखा !
देश की करके रक्षा,
पूरी कर ली अपनी इच्छा,
बहनों की नम आंखें हुईं,
मां-बाप की खुशियां खोईं,
शुभ प्रभात..
जवाब देंहटाएंएक बेहतरीन विशेषांक..
भविष्य में संदर्भ हेतु उपयोगी..
सादर..
वैसे तो हम देशवासियों का
जवाब देंहटाएंहर दिन हर पल
इन वीर जवानों का कर्ज़दार है।
सैनिकों के त्याग और बलिदान
के बल पर हम अपनी सीमाओं में सुरक्षित
जाति-धर्म पर गर्व करते हुये
सौ मुद्दों पर आपस में माथा फुटौव्वल करते रहते हैं।
अपने देश में अपनी सुविधा में उपलब्ध चारदीवारी में
चैन की नींद सो पाते हैं
सत्य कथन
उम्दा प्रस्तुतीकरण
हर दिन हर पल
जवाब देंहटाएंइन वीर जवानों का कर्ज़दार है।
सैनिकों के त्याग और बलिदान
के बल पर हम अपनी सीमाओं में सुरक्षित
जाति-धर्म पर गर्व करते हुये
सौ मुद्दों पर आपस में माथा फुटौव्वल करते रहते हैं।
अपने देश में अपनी सुविधा में उपलब्ध चारदीवारी में
चैन की नींद सो पाते हैं...बेहतरीन प्रस्तुति सखी,सभी रचनाएँ लाज़बाब है ब्लॉग पर शौर्य की यह गूँज फिर उन्हीं दिनों की पैरवी में बैठा देती |आप तहे दिल से आभार बेहतरीन प्रस्तुति के लिए |नमन कारगिल के वीर जवानों को
सादर
नमन वीरों को। सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराष्ट्र के गौरव का अक्षुण्ण रखने वाले माँ भारती के लाडले सपूतों को शत शत नमन ।
जवाब देंहटाएंजो भरा नहीं है भावों, से बहती जिसमे रसधार नही
जवाब देंहटाएंवह हृदय नहीं है, पत्थर है, जिसमें स्वदेश का प्यार नही।
नमन!वीर सैनिकों का!!!
बहुत सुंदर अंक, नमन हमारे जवानों को
जवाब देंहटाएंशूरवीरों को शत-शत नमन
जवाब देंहटाएंजय हिन्द,जय हिन्द की सेना
बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार प्रिय श्वेता जी,सादर
शानदार प्रस्तुति करण/ वीरों की आन बान और शान एक दिन की मौहताज नहीं ,देश और देशवासियों को उनका सदा ऋणी रहना होगा जो देश को सुरक्षित रखने के लिए अपनी जान सदा हाथों में लिए चलते हैं ।
जवाब देंहटाएंशानदार लिंक संयोजन सभी रचनाएं समर्पित और ओज से भरी सभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना शामिल करने के लिए तहेदिल से शुक्रिया।
जय हिन्द वन्देमातरम।
बहुत सुन्दर लिंक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका आभार श्वेता सिन्हा जी।
बहुत सुंदर प्रस्तुति सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार श्वेता जी।
जवाब देंहटाएंकारगिल विजय दिवस पर देश के वीर सपूतों को शत् शत् नमन 🙏
शत-शत नमन माँ भारती के अमर वीर शहीदों को!
जवाब देंहटाएंदेश भक्ति की भावनाओं और शहीदों के बलिदान के प्रति कृतज्ञता भरे अंक के लिए सादर सस्नेह आभार प्रिय श्वेता | सभी रचनाकारों को बधाई और हार्दिक शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंदो शब्द शहीदों के नाम ---
वे भी किसी की आँखों का सपना
माता पिता के दुलारे थे
नन्हे बच्चों का संसार- सम्पूर्ण
बहनों के भाई प्यारे थे !
' जग में तेरा वैभव बना रहे
माँ दे अपना बलिदान चले ''
ये कहकर मिटे लाल माँ के
जो घर आंगन के उजियारे थे !
धुन थी ना झुके तिरंगा ,
तन जान भले ही मिट जाए ;
शत्रु ने लाख जतन किये -
पर ये दीवाने कब हारे थे ?
उनकी याद मिटादें जो ,
कहाँ हम सा कोई कृतघ्न होगा ?
उनकी क़ुर्बानी याद रहे ;
यही उनका पूजन -वन्दन होगा |
वीर शहीदों को कोटि कोटि नमन !
सार्थक अंक के लिए बधाई और शुभकामनायें |
वीर शहीदों की पुण्यस्मृति में लाजवाब प्रस्तुतिकरण
जवाब देंहटाएंसभी लिंक्स बहुत उम्दा....
प्रणाम श्वेता दी। काफी दिनों बाद मैं फिर से सक्रिय हुआ हूँ अपने ब्लाॅग पर। पता नहीं इस दौरान मैं कितने बेहतरीन रचनाओं को पढने से वंचित रह गया लेकिन फिर से पढने और सिखने की प्रक्रिया शुरू कर दिया हूँ।
जवाब देंहटाएंआज का मेरा प्रथम प्रयास आपके द्वारा यहाँ प्रस्तुत रचनाओं से किया हूँ। हमेशा की तरह उम्दा रचनाओं का चयन किया है आपने। बेहतरीन।