निवेदन।


फ़ॉलोअर

बुधवार, 20 अक्टूबर 2021

3187..बे- मौसम बारिश..

 ।। उषा स्वस्ति।।

"खग ध्वनी से अंबर गूॅजी

शयित निन्द्रा हो गई भंग

हो गई हरीतिमा सोनजूही

स्वरर्णिम रह गई है दंग।

हे प्राची दिगन्त के रवि

निरत निदेश कर्णाधार

तू ही परित्राण औ चिरमहान

तू ही अमात्य और सत्य प्राण।"

बिंदेश्वरी प्रसाद शर्मा'बिंदु

आज की पेशकश  में शामिल रचनाकारों की शब्द बानगी देखिए, साथ ही टिप्पणी से जरूर दें ..जल्दी, जल्दी बढ़ते हैं त्योहारों के मौसम में कई तरह का काम, धाम होता है ना सबको, तो फिर चलें..✍️

चाँदनी रात की बरसात


आज वर्षों बाद देखी रात में बरसात मैने

थी गगन में चमकती सी चाँदनी, 
और धरा पे दीपकों की रोशनी
कड़क कर ज्यों जगमगाई दामिनी
हो रही तीनों की सुंदर सरस मुलाकात मैने
आज वर्षों बाद देखी रात में बरसात मैंने..
⚜️⚜️


किसानों के दिल तोड़ गई बेमौसम बारिश!

अक्टूबर के मध्य में हुई बेेमौसम बारिश ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ख़ासकर धान के किसानों का दिल , तोड़कर रख दिया है।  जी हाँ.2021 में किसानों को बारिश बहुत सता रही है। पहले तो मॉनसून देर से गया जिसके चलते उस वक्त तैयार फसलों को बारिश ने काफी नुकसान पहुँचाया था।
⚜️⚜️

इतिहास बार-बार दोहराता है स्वयं को 

मंदिर तोड़े जा रहे हैं 

खंडित हो रही हैं मूर्तियाँ 

धर्म के नाम पर अत्याचार और हैवानियत का 

एक बार फिर प्रदर्शन है 

जाने यह कैसा विचित्र दर्शन है 

जिसमें दूरियाँ पाटी

⚜️⚜️



बलिहारी जाऊँ !


चले उधर ही जिधर चलाऊँ
मैं उसपर बलिहारी जाऊँ
चाल अनोखी ,चले अगाड़ी
क्या सखि साजन, ना सखि गाड़ी..
⚜️⚜️

फ़कत़ जिंदा-दिली..

है कहीं अमीरी का गूम़ां

तो कहीं गरीबी का तूफ़ां,

ये आ़बोहवा, मेरे शहऱ की,

कुछ गरम है, कुछ नरम है।..

⚜️⚜️

।।इति शम ।।

धन्यवाद

पम्मी सिंह 'तृप्ति'..✍️





9 टिप्‍पणियां:

  1. जो धर्म आदमी में ख़ुदा नहीं देख पाता
    वह कैसे राह दिखाएगा
    अबोध भेड़ों की तरह जिधर चाहे कोई भी
    हांकता हुआ ले जाता है
    शानदार चयन
    आभार
    सादर

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बिल्कुल सही कहा आपने मैम मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ!

      हटाएं
  2. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  3. सच में किसानों का दिल तोड़ गई बेमौसम बरसात! चूंकि मैं एक गाँव और एक किसान परिवार से हूंँ,मेरी खुद की नौ बीघा फसल बारिश के चलते बर्बाद हो गई!और जो बची है उस पर भी खतरे के बादल मंडरा रहें हैं!
    मैं देख रही हूं कि किस तरह इस बारिश ने किसानों के आंखों से आंसुओं की बरसात कराई है!कितनों का सपना दिल और बहुत कुछ टूटा है कितनों के सपनों पर इस बारिश ने पानी फेर दिया है!जो फसल देखकर कुछ ही दिन पहले किसान फूले नहीं समाते थे उसी की दुर्दशा देखकर आंखों से आंसू रोक नहीं पा रहे हैं! इसमें किसी एक का नहीं बल्कि सभी किसानों का नुकसान हुआ है! इसलिए एक दूसरे का दुख देखकर थोड़ा संतोष कर रहे हैं! और एक दूसरे की हिम्मत बन रहें हैं!

    जवाब देंहटाएं
  4. वर्तमान हालातों का यथार्थ चित्रण करती रचनाओं का चयन, प्रभावशाली प्रस्तुति, आभार!

    जवाब देंहटाएं
  5. सार्थक लिंकों से सजी सुन्दर और प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनायें। मुझे भी यहाँ स्थान देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर सामयिक तथा सार्थक रचनाओं का चयन किया है आपने पम्मी जी,आपके श्रमसाध्य कार्य को मेरा सादर नमन,मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं ।

    जवाब देंहटाएं
  7. सामयिक विविध विषयों को उठाती रचनाओं का चयन कर वास्तव में गागर में सागर भरने का कार्य किया है आपने! हार्दिक बधाई!
    इनमें मेरी भी नन्हीं-मुन्नी रचनाओं को स्थान देने के लिए हृदय से आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं

आभार। कृपया ब्लाग को फॉलो भी करें

आपकी टिप्पणियाँ एवं प्रतिक्रियाएँ हमारा उत्साह बढाती हैं और हमें बेहतर होने में मदद करती हैं !! आप से निवेदन है आप टिप्पणियों द्वारा दैनिक प्रस्तुति पर अपने विचार अवश्य व्यक्त करें।

टिप्पणीकारों से निवेदन

1. आज के प्रस्तुत अंक में पांचों रचनाएं आप को कैसी लगी? संबंधित ब्लॉगों पर टिप्पणी देकर भी रचनाकारों का मनोबल बढ़ाएं।
2. टिप्पणियां केवल प्रस्तुति पर या लिंक की गयी रचनाओं पर ही दें। सभ्य भाषा का प्रयोग करें . किसी की भावनाओं को आहत करने वाली भाषा का प्रयोग न करें।
३. प्रस्तुति पर अपनी वास्तविक राय प्रकट करें .
4. लिंक की गयी रचनाओं के विचार, रचनाकार के व्यक्तिगत विचार है, ये आवश्यक नहीं कि चर्चाकार, प्रबंधक या संचालक भी इस से सहमत हो।
प्रस्तुति पर आपकी अनुमोल समीक्षा व अमूल्य टिप्पणियों के लिए आपका हार्दिक आभार।




Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...