सादर अभिवादन
आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस है। भारत के लिये यश और गौरव का बिषय है कि हमारी संस्कृति और सभ्यता का अंग योग जिसे ऋषि-मुनियों ने लम्बी साधना के बाद विकसित कर समाज में स्थापित किया। महर्षि पतञ्जलि ने "योग दर्शन" रचकर योग को एक विद्या के रूप में विकसित कर इसके सकारात्मक विराट पक्ष को स्थापित किया।
बाबा रामदेव ने विश्वभर में योग को लोकप्रिय बना दिया हालाँकि अब वे योग व्यापारी कहलाते हैं।
2015 में भारत सरकार के प्रयासों से 21 जून को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया।
आइये अब आपको आज की पसंदीदा रचनाओं की ओर ले चलें -
सात सुरों के योग से, बन जाता है संगीत।
योग हमारी सभ्यता, योग हमारी रीत।१।
अगर चाहते आप हो, पास न आये रोग।
रोज सुबह कर लीजिए, ध्यान लगा कर योग।।
माँ के सोलह सिंगार थे वो ,
माँ का पूरा संसार थे वो ;
वो राजा थे - माँ रानी थी --
छिन गया अब वो ताज नहीं है ! !
एक आँसूं आँख के किनारे पे
बैठ के सोच रहा है,
बह जाऊँ , सूख जाऊँ यहीं,
या लिपटा रहूँ इन आँखों से यूँही,
इस चेहरे की खूबसूरती को,
कर्म धर्म मानव की शान, जिस से होता जन कल्याण,,
तेरे संग तेरा भगवान, फिर क्यों झूठी भरेै उड़ान,,
जानबूझकर करता नुकसान, आज का कैसा है इंसान..........
छोड़ जगत के झूठे धंधे, क्यों हो जग माया में अंधे,,
खुद बढ़े औरन को बढ़ने दे, समझाते हर समय पर बंदे,,
सुनील कुमार की कथन पहचान, आज का कैसा है इंसान........
मै उन्मुक्त गगन का राही
बाग बगीचे आच्छादित मुझ से
तम को दूर भगाता
शीतलता देता भरपूर
सबको भाता मन को लुभाता
सूरज आते ही छिप जाता।
मै उन्मुक्त गगन का राही।
ज्ञान बताता रहा 'कलेक्टर'
फिर भी खाली रहा 'कनस्तर'
राजतंत्र से पाया धोखा
शेष रहा हड्डी का खोखा
ख़बर उड़ी हरपीर उठी है
गया मर्ज़ का मारा रघुआ।
सारा उपन्यास एक अनूठी शैली में लिखा गया है और शुरुआत से अंत तक रोचकता बनाए रखता है। पारिवारिक रिश्तों में जरूरी संवाद की कमी और आपाधापी के इस युग में सिर्फ धनार्जन के लिए परिवार की उपेक्षा करने के दुष्परिणाम की ओर सचेत करता यह उपन्यास लेखिका का पहला प्रयास होने के बावजूद एक बहुत बड़ी सफलता है।
और अब चर्चा हम-क़दम की -
हम-क़दम के चौबीसवें क़दम
का विषय..
आज बस इतना ही।
मिलते हैं फिर अगले गुरूवार।
कल की प्रस्तुति - आदरणीया श्वेता सिन्हा
रवीन्द्र सिंह यादव
वाह....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन..
शुभ प्रभात..
सादर
अलोम विलोम व कपाल भारती से शरीर में बने गाँठ ठीक होते दिखे
जवाब देंहटाएंउम्दा संकलन
योग पर महत्वपूर्ण जानकारी के साथ मोहक ज्ञानवर्धक अंक योग जैसी जीवन दायिनी विधा का अनंत काल पूर्व हमारे भारत के तपः पुत्रों और ऋषियों ने अन्वेषण कर साबित कर दिया था कि इससे जर व्याधि और अकाल मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकते हैं, और आज सारा विश्व इसे मानने लगा है।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को पांच लिंकों मे सामिल करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया।
सभी सह रचनाकारों को बधाई।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत प्रस्तुति.। योग दिवस की सभी को शुभकामनाएं...जहाँ तक मेरा मानना है इसे हमें इस एक दिन तक सीमित नहीं रखना चाहिए ...स्वयं के लिए रोज थोडा समय निकाल कर योगाभ्यास जरूरी करना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंयोगदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
स्वास्थ्य के लिए योग निःसंदेह बेहद लाभकारी है।
जवाब देंहटाएंचंद आसान से आसन आपके जीवन में ऊर्जा का भरपूर संचार करते है।
समसामयिक भूमिका के साथ सुंदर रचनाओं का मिश्रण कर एक बहुत ही सराहनीय प्रस्तुति तैयार किया है आदरणीय रवींद्र जी ने।
योग दिवस पर योग की महत्वपूर्ण जानकारी के साथ बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन......
जवाब देंहटाएंअति उपयोगी जानकारियों से भरपूर हलचल ....उत्तम संकलन
जवाब देंहटाएंआदरणीय रवीन्द्र जी -- आज के योग दिवस की पावन बेला को समर्पित सुंदर संकलन को
जवाब देंहटाएंपढ़कर मन को अपार संतोष हुआ |भूमिका में योग पर बहुत अच्छी
जानकारी दी गयी | आदरणीय मयंक जी ने बड़ी प्रेक रचना लिखी योग पर |
योग भारत की अनमोल विरासत है | तन मन की सभी विसंगतियों को योग दूर
करने में पूरी तरह सक्षम है | सभी जरूरी कामों की तरह अपने तन मन की शुद्धि के
लिए कुछ समय निकालना कठिन है पर असंभव नही |
सभी काम यांत्रिक साधनों पर निर्भर हो गये हैं | पर्यावरण प्रदुषण सेहत बिगाड़ने
को तैयार बैठा है | फसलों में खाद के इस्तेमाल ने खाने को दूषित कर स्वास्थ्य पर
बूराअसर डाला है | पर योग से काफी हद तक |बिमारियों के प्रकोप से बचा जा सकता
है क्योकि जान है तो जहान है |आज के सभी रचनाकारों की रचनाएँ पढ़ी | भावना जी
रचना ने मन को भावुक कर दिया | सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें | आपको सुं
दर प्रस्तुती के लिए आपको सादर आभार |
Mere shabdon ko yahan tak lane ke liye shukriya! sabhi link bohot achche hain, sunder prastuti!
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