।।प्रातः भोर वंदन।।
🙏
आज जिंदगी का सार लिखते हैं..
तारीफ के चंद लफ्ज़ कई
रिश्तों में ताजगी
ला देती है ।बड़े हो या छोटे
प्रंशसा,प्रोत्साहन व्यक्ति के मनोबल और मानसम्मान का पुरस्कार है सो अब
सराहना खुल कर करें ..
कभी - कभी ये चंद शब्द आत्मिक संतुष्टि
के साथ - साथ जिंदगी भी बदल देती है...✍
अब रुख करतें हैं लिकों पे..
संजय ग्रोवर जी, की गज़ल...
माफ़िया एहतिराम करता है
तुम्हारा डर है माफ़िया की ख़ुशी
माफ़िया ऐसे काम करता है
पंकज भूषण पाठक "प्रियम" जी,की रचना..
शुरू हो गयी है फिर से अयोध्या की कहानी
होगा कोर्ट में फैसला ,शुरू हो गयी जुबानी
हे राम तेरे नाम साकेत हो रहा बदनाम
तुझे तरस नही आती,क्यों नही तुम आजाते राम ।
किशोर चौधरी जी की रचना..
शैदा का अर्थ है जो किसी के प्रेम में डूबा हो.
सोचता हूँ कि मैं किसका शैदाई हूँ. सतरंगी तितलियों, बेदाग़ स्याह कुत्तों, चिट्टी बिल्लियों, भूरे तोतों, कलदुमी कबूतरों, गोरी गायों, चिकने गधों, ऊंचे घोड़ों, कसुम्बल ऊँटों से भरे इस संसार में कोई ऐसा न था, जिसके लिए जागना-सोना किया. पढने-लिखने में कोई तलब इस तरह की न थी जिसके बारे में बरसों या महीनों सोचा हो कि ऐसा हो सका तो वैसा करेंगे.
◆
ज्योति खरे जी, की कलम से...
सफर से लौटकर
आने की आहटों से
चोंक गए
बरगद, नीम, आम
महुओं का
उड़ गया नशा
रामबिलास गर्ग जी की रचना...
कलैक्टर साहब, आपने हमारी स्कूल खोलने के आवेदन को रद्द कर दिया ? भला क्यों ? --
आगंतुक ने ऑफिस में घुसते ही प्रश्न किया।
क्योंकि वो जमीन सरकार की है , और वहां बाजू में आपने जो गौशाला खोली हुई है
वो जमीन भी सरकार की है। कलैक्टर ने जवाब दिया।
और अंत करती हूँ ..
दिगंबर नसवा जी की खूबसूरत कृति से..
तुम्हारा प्यार
जैसे पहाड़ों पे उतरी कुनमुनी धूप
झांकती तो थी मेरे आँगन
पर मैं समझ न सका
वो प्यार की आंख-मिचोली है
या सुलगते सूरज से पिधलती सर्दियों की धूप..
नमस्कार के साथ आज यहीं तक कल फिर नई रचनाओं के साथ..
।।इति शम।।
धन्यवाद
पम्मी सिंह..✍
एक क़दम आप.....एक क़दम हम
बन जाएँ हम-क़दम का तीसरा क़दम
इस सप्ताह का विषय
एक चित्र है...
इस चित्र को देखकर एक रचना लिखिए
यह चित्र देखकर आप पच्चीस विषयों में रचना लिखसकते हैंः
मसलनः तितली, फूल, मकरंद,पराग, मौसम, पत्ते, डाल, रंग
इत्यादि इत्यादि
आप अपनी रचनाऐं शनिवार (27 जनवरी 2018 )
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक (29 जनवरी 2018 ) में प्रकाशित होंगीं।
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारा पिछले गुरुवारीय अंक
(11 जनवरी 2018 ) को देखें या नीचे दिए लिंक को क्लिक करें
शुभ प्रभात...
जवाब देंहटाएंसराहना
किसकी
उसकी
जिसने कुछ
काम कर दिया हमारा
या फिर उसकी
जो एक बेबस वृद्धा को
सड़क पार करने में मदद की
अच्छी प्रस्तुति
सादर
प्रंशसा,प्रोत्साहन व्यक्ति के मनोबल और मानसम्मान का पुरस्कार हैं ...बहुत लाजवाब भूमिका के साथ बेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अंक आज का। बधाई!!
जवाब देंहटाएंअति सुंदर प्रस्तुतीकरण
जवाब देंहटाएंजी सही कहा किसी की बडाई करना हर एक के बस मे नही मानव मात्र अपनी स्वयं की विशिष्टता का पूर्वाग्रह लिये बैठा है, औल सच है कि प्रशंसा सभी को प्रफुल्लित करती है और उर्जा का संचार करती है। सुंदर भुमिका के साथ सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई सभी रचनाऐं उच्च कोटि कु है।
नमन।
बहुत सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंकोई भी कार्य निःस्वार्थ भावना से किया गया हो तो वह श्रेष्ठ होता है।
जवाब देंहटाएंअगर उसमें तारीफ के दो शब्द जुड़ जाएँ तो वह कार्य और भी प्रेरणादायी हो जाता है।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
सभी चयनित रचनाकारों को शुभकामनाएं।
अतिसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंउम्दा लिंक्स पम्मी जी। प्रोत्साहन की ताकत बहुत बड़ी होती हैं। बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआदरणीया पम्मी जी द्वारा प्रस्तुत विचारणीय अंक। सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंहम-क़दम-3 का विषय है बहुत आकर्षक है। बहुआयामी भी है।
बेहतरीन सूत्रों से रूबरू कराती आज की कड़ी के लिए ..आभार !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतीकरण पम्मी जी.
जवाब देंहटाएंपकोड़ा
जवाब देंहटाएंजिस तरह की चर्चा चल रही है
उससे लगता है जल्द ही पकोड़े बेचना भी
"राष्ट्रीय रोजगार योजना" में शामिल हो जायेगा
शायद कानून भी बन जाये आखिर मसला रोजगार का है
बेरोजगार इंजीनियर पकोड़े की डिजायन बनाऐंगे
IIT वाले पकोड़े की नई तकनीक इजाद करेंगे
स्कूलों में पकोड़ों पर बाकायदा पाठ पढाया जायेगा
पकोड़ा और पकोड़ी में भेदभाव करनें वालों के खिलाफ
सख्त कार्यवाही होगी
दुकान लगाकर पकोड़े बेचनें पर GST लगेगी,
ठेला लगाकर गली मोहल्लों में पकोड़े बेचने पर GSTकी छूट रहेगी,
बड़े पकोड़े बेचनें की अधिकार सिर्फ वैज्ञानिकों के पास होगा
डॉक्टर पर्ची में अपनी क्लिनिक के पकोड़े ही लिखेगा
कुछ रीज्यों में तो शायद पकोड़ा कार्ड भी बन जाये
हर नुक्कड़ पर पकोड़े की दुकानें नजर आयेंगी
देश GDP को एक नई राह मिलेगी
TV पर शाम को डिबेट होगी
ऐंकर मुद्दा उठायेगा की जब सरकार नें पकोड़े का साईज तय कर दिया है तो फिर मुसलमानों नें पकोड़ा बड़ा क्यों बनाया
बहस में बैठे पंडित का भी इलजाम होगा की मुसलमानों का पकोड़ा हमारे पकोड़े से बड़ा क्यों है,
सरकारी प्रवक्ता कहेगा की हमारा पकोड़ा राष्ट्रवादी है
हम तुम्हारे पकोड़े को बर्दास्त नहीं करेंगे
युवाओं में जौश होगा भांत भांत के पकोड़े नजर आयेंगे
सबसे ज्यादा नुक्सान होगा बैचारी पकोड़ी का
क्योंकी सिर्फ पकोड़े को योजना में शामिल किया है पकोड़ी को नहीं,
और फिर बनेगी "पकोड़ी सेना" तोड़ फोड़ होगी
जल्द से जल्द पकोड़ी को भी योजना में शामिल करनें के लियें आंदोलन होगा।
लेकिन बैचारा किसान यहां भी बदकिस्मत ही रहेगा
..
इसलिये रोजगार और विकास गया भाड़ में
बस "पकोडे़ खाओ पकोडे़"
तेरा बाबा
जवाब देंहटाएंबूढे बाबा का जब चश्मा टूटा
बोला बेटा कुछ धुंधला धुंधला है
तूं मेरा चश्मां बनवा दे,
मोबाइल में मशगूल
गर्दन मोड़े बिना में बोला
ठीक है बाबा कल बनवा दुंगा,
बेटा आज ही बनवा दे
देख सकूं हसीं दुनियां
ना रहूं कल तक शायद जिंदा,
जिद ना करो बाबा
आज थोड़ा काम है
वेसे भी बूढी आंखों से एक दिन में
अब क्या देख लोगे दुनिया,
आंखों में दो मोती चमके
लहजे में शहद मिला के
बाबा बोले बेठो बेटा
छोड़ो यह चश्मा वस्मा
बचपन का इक किस्सा सुनलो
उस दिन तेरी साईकल टूटी थी
शायद तेरी स्कूल की छुट्टी थी
तूं चीखा था चिल्लाया था
घर में तूफान मचाया था
में थका हारा काम से आया था
तूं तुतला कर बोला था
बाबा मेरी गाड़ी टूट गई
अभी दूसरी ला दो
या फिर इसको ही चला दो
मेने कहा था बेटा कल ला दुंगा
तेरी आंखों में आंसू थे
तूने जिद पकड़ ली थी
तेरी जिद के आगे में हार गया था
उसी वक्त में बाजार गया था
उस दिन जो कुछ कमाया था
उसी से तेरी साईकल ले आया था
तेरा बाबा था ना
तेरी आंखों में आंसू केसे सहता
उछल कूद को देखकर
में अपनी थकान भूल गया था
तूं जितना खुश था उस दिन
में भी उतना खुश था
आखिर "तेरा बाबा था ना"
प्रंशसा,प्रोत्साहन व्यक्ति के मनोबल और मानसम्मान का पुरस्कार है ..बहुत खूब.....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुतिकरण उम्दा लिंक संकलन...
वाह ! खूबसूरत लिंक संयोजन ! बहुत सुंदर आदरणीया ।
जवाब देंहटाएंजी सही पम्मी जी,प्रशंसा किसी भी कार्य के उत्साह में आनंद देता है।सारी बहुत रचनाएँ बहुत अच्छी हैं।बहुत सुंदर संयोजन।
जवाब देंहटाएंनिस्वार्थ भाव से कौन करता है आज ... विचारपूर्ण हलचल ...
जवाब देंहटाएंआभार मेरी रचना को जगह देने के लिए आज की हलचल में ...
आदरणीय पम्मी जी --- तारीफ के महत्व को दर्शाती भूमिका के साथ बहुत सुंदर प्रस्तुतिकरन के साथ लाजवाब रचनाओं के लिंक -जिनके लिए आपको बधाई | भूमिका में बात कही गयी वो बहुत अहम् है | तारीफ के दो शब्द सृजनात्मकता को बढ़तें हैं तो मन के किसी कोने में फैले आत्महीनता के भाव को मिटाने में सक्षम होते हैं |आजके लिंक के सभी रचनाकार मित्रों को हार्दिक बधाई |
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी के आगमन और प्रेम के मनुहार का यह मौसम सुहावना होता है
जवाब देंहटाएंआदरणीया पम्मी जी,बहुत सुंदर रचनाओं को संजोया है
सभी रचनाकारों हार्दिक शुभकामनाएं
मुझे सम्मलित करने का आभार
सादर
बहुत-बहुत शुक्रिया पम्मीजी
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