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सोमवार, 22 जनवरी 2018

920....हम-क़दम का दूसरा क़दम.........बवाल

वन्दे सदा चेतसा ज्ञानशक्तिम्
हृदय से सर्वदा ज्ञानशक्ति प्रदात्री सरस्वती की वंदना करती हूँ।
ब्रह्मरूपिणी,सर्वव्यापिनी,चर-अचर मूढ़ जगत में 
बुद्धिरूपिणी देवी माँ सरस्वती को शत-शत नमन।

मानसिक प्रदूषण से रक्षा करने वाली देवी के आगमन से 
संपूर्ण प्रकृति उल्लासित और श्रृंगारित होने लगती है।
वृक्षों में नूतन किसलय,चित्ताकर्षक पुष्पों की सुवासित छटा,
आम्र मंजरियों से लदी अमराई में कोयल की कूक 
एवं भ्रमरों के गान, सरस रागिनी प्रकृति सौंदर्य 
को सुशोभित करते हैं, बसंती हवाओं की सुगंध कण-कण 
में बिखर जाती है। हर्षित धरा का गान हृदय में 
प्रेम और पवित्रता का संचार करते है। जग के झमेले 
से हटकर अपनी व्यस्त दिनचर्या से कुछ समय निकालकर 
आप भी प्रकृति के उत्सव को महसूस कीजिए।


चलिए अब चलते है आज के "बवाल" की ओर जिसका 
आप सभी को बेसब्री से इंतज़ार होगा। आप सभी के 
सृजनशीलता और उत्साह ने चिट्ठा जगत में रचनात्मक 
बवाल ला दिया है। सभी रचनाकारों की सृजनशीलता को नमन है। 
एक विषय पर इतनी विविधापूर्ण रचनाओं का आस्वादन किसी 
भी साहित्य प्रेमी के लिए अनूठा अनुभव होगा।आप सभी के 
लगन और उत्साह को देखते हुये यह निर्णय लिया गया है 
कि आप सभी माँ सरस्वती के साधकों द्वारा "बवाल" 
पर भेजी गयी रचनाएँ जो हमें प्राप्त है  उन सभी को 
प्रकाशित किया जा रहा है ।

एक विशेष बात कृपया अवश्य ध्यान दें-
रचनाओं का क्रम ऊपर या नीचे रहना, किसी भी रचना की 
उत्कृष्टता का मापदंड नहीं है। हमारी दृष्टि में आपके 
द्वारा भेजी गयी हर रचना सर्वश्रेष्ठ है। किसी रचना का क्रम 
तय नहीं किया गया है। लिंकों का संयोजन क्रमानुसार 
नहीं सुविधानुसार किया गया है।

तो चलिए आप सभी भी आज के बवाल का आस्वादन कीजिए।

आदरणीय विश्वमोहन जी
कचड़ा पेट में नदियों की
खो-दी सभ्यता सदियों की
और जंगल फटेहाल न हो।
फिर! बवाल न हो?
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आदरणीय पुरुषोत्तम जी
बड़ी बवाल जिन्दगी, बेमिसाल जिन्दगी,
मसरूफियत में है, सरसब्ज़ सवाल जिन्दगी,
●●●●●●●●●●●●
आदरणीया पूनम मोहन जी
आंसुओ की धार से
नयनों में ये सैलाब ना होता।
समुंदर के हर उफान पे
फिर ,ये बवाल न होता।।
●●●●●●●●●●●●●●
आदरणीया मीना जी
इक बवाल मैं करूँ
इक बवाल तुम करो !
हर बवाल का,
बवाल ही जवाब हो
●●●●●●●●●●●●●●●
आदरणीया पम्मी जी
हाकिम भी वही
मुंसिफ़ भी वही
सैयाद भी वही
शिकायत भी कि बरबाद भी वही,
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आदरणीया दिव्या जी
खत पर एक 
मासूम के 
बवाल था 
कितना...
नादानी थी 

●●●●●●●●●●●
आदरणीया नीतू जी
आस लगाये बैठी जनता नेता घूमें कारों में,
अच्छे दिन की आस में सूखी रोटी हुई मुहाल,
●●●●●●●●●●●●●●●●
आदरणीया  डॉ.इन्दिरा जी
कलखाई सी आँखो मै
गूँज रहा है मौन बवाल
जाग गया समाज तो फिर
कैसा है ये नया बवाल !
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आदरणीय पंकज प्रियम् जी
रोज रहता है तुम्हारे लबों पे नाम मेरा
हमने ले लिया तो बस बवाल हो गया
चुरा के रखा है पास अपने  दिल मेरा
हाल  पूछा उसका तो बवाल हो गया।
●●●●●●●●●●●●●●●●●
आदरणीया कुसुम दी
आज हुआ फिर से बवाल
सब ने  खूब आशीषें पाई
खाने को ढेरों थे पकवान
आज तो भइया बच गये कान।
आज हुवा फिर से बवाल ।
●●●●●●●●●●●●
आदरणीय लोकेश जी
कटे हैं यूँ हर पल ज़िन्दगी के अपने
नफ़स नफ़स में वो कितना बवाल था
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आदरणीया सुधा सिंह जी
बनता कभी है, ये फूटता कभी
अजी पानी का ये बुलबुला हो गया है
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आदरणीया अनीता लागुरी जी
सोलहवां सावन
प्यार में डूबा मन
प्रेमी न समझे तो
दिल के टूटने का
बड़ा बवाल ....!
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आदरणीया सुधा देवरानी जी
ललचायी थी निगाहें
 नजरों से चाटते थे......
घूँघट स्वयं उठाया तो बवाल मच गया !!!
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आदरणीया वैभवी जी
बावली की जगह
बवाली....पूछ लिया
तो हो गया....वही
वो मुंआ बवाल
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आदरणीया उर्मिला सिंह जी
बवालों की भीड़ मच गयी
 जिन्दगी का सकूँन चैन खो गया आजकल
तर्क करते  दोस्त भी झुंझला के मचाते बवाल हैं!
बढ़ गईं बीमारियाँ जब से मचा देश  में बवाल है
●●●●●●●●●●●
आदरणीया शुभा मेहता
बवाल
कभी धर्म के नाम पर
कभी संप्रदाय के 
हिंसा ,तोड़फोड़
धरने , हडतालें
बस ,बवाल ही बवाल है 
●●●●●●●●
आदरणीया आँचल जी
बवाल
जब सड़क पे दो गाड़ी भिड़ी
तब औकात पे उठे सवाल
और ट्रैफिक जाम का हुआ बवाल



आदरणीया अनिता निहलानी जी
रचना
बवाल
आये दिन इस शहर में होने लगा मलाल
फ़िक्र नहीं किस बात पर, पूछो नहीं सवाल
छोटी सी एक खबर पर जिसका सिर न पैर
पीछे पड़े गर मीडिया ना किसी की खैर
नेता हो या अभिनेता दोनों का यही हाल
कभी प्याज कभी आलू पर मचने लगा बवाल
धमकी देते ट्विटर पर आज राष्ट्र अध्यक्ष
फिर जाता है वचन से झंझट बना विपक्ष
सहिष्णुता कहीं खो गयी चहुँ ओर है शोर
क्या कम थे गम पहले, दिल जो मांगे मोर

●●●●●●●●●●
कमला देवी अग्रवाल
रचना
बवाल
नकारात्मकता से जन्मा
शब्द बबाल है
ऊर्जा है इसमें इतनी
राई से बना देता पहाड़ है ।
आवेश,आक्रोश और कुटिलता
में ये पला बढ़ा
पूरी दुनिया के लिए

जबाल है जबाल है ।

●●●●●●●●●●

कल के अंक में नया विषय दिया जायेगा। 
आप सभी का बहुमूल्य साथ "हम-क़दम" के सफर में और भी 
खूबसूरत पड़ाव लेकर आयेगा ऐसी उम्मीद करते है।
बताइयेगा कैसा लगा आपको आज का अंक
आप सभी के बहुमूल्य सुझावों की प्रतीक्षा में

श्वेता

26 टिप्‍पणियां:

  1. शुभ प्रभात सखी
    हमे तो लगा कि शीर्षत जटिल है
    कम रचनाएँ आएंगी
    पर धारणा मिथ्या सिद्ध हुई
    सभी रचनाकारों का सृजल श्रेष्ठतर है
    सभी को शुभकामनाएँ
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  2. बवाल पर कमाल हो गया
    माँ सरस्वती का आशिर्वाद
    लेखनी का धमाल हो गया
    बढियां प्रस्तुतीकरण

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत उम्दा संकलन
    उत्कृष्ट रचनायें
    बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर१ सरस्वती पूजा की शुभकामनाएं!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुप्रभात दी,
    सर्वप्रथम ज्ञान की देवी मां सरस्वती को शत शत नमन,..और आपकी कलम के द्वारा प्रवाहित हो रही साहित्य की गंगा को भी ढेर सी शुभकामनाएं...आज की प्रस्तुति बवाल ने धमाल कर दिया.. सभी चयनित रचनाएं नवीनता लिए हुए है..हर तरह के बवाल का सम्मिश्रण रुचि कर बना गई ..आज के बवाल को..... सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं..!

    जवाब देंहटाएं
  6. लाज़वाब... उत्कृष्ट रचनायें
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं....

    जवाब देंहटाएं
  7. बवाल हुआ...
    शान्ति पूर्ण हुआ...
    माँ शारदा को नमन
    सादर....

    जवाब देंहटाएं
  8. बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
    भूमिका का तो जबाब नहीं ऋतु अनुकूल शब्द व्याख्यान..
    मेरी रचना को मान देने के लिए धन्यवाद..
    सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
    चित्र चयन शब्दों के अनुरूप
    आभार👌☺

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर संकलन , सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक ... वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  10. बसंत पंचमी की सभी कै हार्दिक शुभकामनाएं । सभी रचनाएँ सुंंदर ...सुंंदर भूमिका के साथ बेहतरीन प्रस्तुति । वाह!!आनंद आ गया ।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत सुन्दर हलचल प्रस्तुति
    सबको बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  12. बवाल ही बवाल है, चारों तरफ
    ये कैसा बुरा हाल है चारों तरफ
    कितना खूबसूरत शमा बंध गया
    हर कोई निहाल है चारों तरफ।

    जवाब देंहटाएं
  13. बेहतरीन संकलन सभी रचनाएँ उत्तम कोटि की सभी रचनाकारों को बधाई

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत बहुत बधाईया जिनकी रचनाये प्रकाशित हो रही है ।।
    जिनकी प्रकाशित नही हो रही है उनसे इतना ही कहना है कि----->
    मायूस ना हो दिल मे
    कोई गम ना रखना
    वो समय भी आयेगा जब
    रचना तेरी भी छापे कोई अपना
    खुशी मना तू दिल मे कोई
    खुश तो हुवा अपना

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत ही सुंदर आपका प्रयास सराहनीय है आभार आपका

    जवाब देंहटाएं
  16. "पाँच लिंकों का आनन्द" के सभी चर्चाकारों और रचनाकारों को बसन्त पंचमी के शुभ अवसर पर हार्दिक शुभ‎ कामनाएँ .आज का लिंक संयोजन बेमिसाल लगा.

    जवाब देंहटाएं
  17. वागीश्वरी जयंती और कविवर महाप्राण निराला जी की जयंती पर पांच लिंकों का आनंद की ओर से बवाल विषय पर आयोजित कार्यक्रम हम-क़दम की दूसरी कड़ी हम सब को गद-गद कर रही है।
    सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं।
    आप सभी सुधीजनों से अनुरोध कृपया हमारा कल का अंत जरूर देखें जिसमें आपको नया विषय किया जाएगा।

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कृपया अंतिम पंक्ति को इस प्रकार पढ़ें-
      हमारा कल का अंक ज़रूर देखें जिसमें आपको नया विषय दिया जाएगा। धन्यवाद।
      यात्रा करते हुए मोबाइल से टाइपिंग इस तरह की हास्यास्पद गलतियां हो जाया करतीं हैं। क्षमा......

      हटाएं
    2. आदरणीया श्वेता जी को आज के शानदार प्रस्तुतिकरण और जानदार भूमिका के लिए बहुत-बहुत बधाई एवं आभार।

      हटाएं
  18. बहुत ही सुन्दर कार्य श्वेता दी।

    सिर्फ शब्द 'बवाल' पर इतने बेहतरीन रचनाओं का एक मंच पर प्रस्तुति काबिलेतारीफ है।

    जवाब देंहटाएं
  19. वाह बवाल शब्द को भी कलम ने क्या खूबसूरत रूप दिए है
    आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
    और सभी चयनित रचनाकारों को बधाई
    मेरी रचना को मान देने के लिए अति आभार🙏🙏

    बहुत सुंदर प्रस्तुति 👌

    जवाब देंहटाएं
  20. प्रिय श्वेता जी -- बहुत खूब संकलन -- बवाल के बहाने से अद्भुद सृजन हुआ | सभी रचनाएँ एक से बढ़कर एक !!!! किसी को अच्छा किसी को कम अच्छा कहने की नौबत ही नहीं | एक विषय अनेक चिंतन !! वाह !! और सिर्फ वाह !! एक आध राचना बाकी है अन्यथा सभी रचनाएँ पढ़ चुकी हूँ | सभी रचनाकारों और चर्चाकारों को बसंत पंचमी की अनंत बधाई | साहित्य के बसंत महाप्राण निराला जी की पुण्य स्मृति को सादर नमन | बवाल एक विवादस्पद स्थिति को इंगित करता शब्द है | बावल ना होंगे तो समस्याएं हल कहाँ से होंगी ? बवाल सार्थक हो क्रांति सरीखा है -- निरर्थक हो तो समाज, राष्ट्र और यहाँ तक कि परिवार के लिए दुर्घटना या अभिशाप बन जाता है | पर बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर इस बवाल का आयोजन उत्सव सरीखा रहा | एक कौतुहल सा जगा रहा पुरे हफ्ते की कौन क्या लिखता है | सबकी रचनाएँ देख -पढ़ अपने तो हौसले पस्त हो गये और पाठक बने रहना ही श्रेयस्कर लगा |आजके सफल आयोजन पर ढेरों शुभकामनाएं आपको प्रिय श्वेता |

    जवाब देंहटाएं
  21. इस सफल आयोजन पर प्रिय श्वेता जी एवं हलचल के सभी आदरणीय चर्चाकारों को मुबारकबाद । एक व्यस्त दिन के बाद हलचल पर अपनी रचना को पाना, जीवन की धूप में शीतल हवा के झोंके सा प्रफुल्लित कर गया । सभी रचनाएँ पढ़ीं। सबने विषय के अनुरूप बेहतरीन रंग दिए हैं रचनाओं को.... यह रंग बिरंगा इंद्रधनुष हर सप्ताह अपनी छटा बिखेरता रहेगा,अनगिनत रंग बिखरेंगे लेखन के आकाश में !!! आप सभी के प्रयास की दिल से सराहना करती हूँ। सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  22. बवाल पर विविधता पूर्ण सृजन ....वाह!!!
    कमाल का बवाल ....
    इतनी खूबसूरती से बवाल को सम्पन्न करना बहुत ही सराहनीय कार्य है
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत ही लाजवाब बवाल ....सभी रचनाएं पढकर कल पूरा दिन निकल गया यहाँ प्रतिक्रिया लिखने का भी वक्त नहीं बचा....आज याद आया तो दूसरी प्रस्तुति पढ़ने से पहले श्वेता जी एवं समस्त टीम को मुबारकबाद देना चाहती हूँ इतने सारे बवाल एक साथ एक मंच पर!!!
    बहुत ही सराहनीय..... वाह!!!
    मेरी रचना को स्थान देने के लिए तहेदिल से शुक्रिया, आभार एवं धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं

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