बुधवारिय प्रस्तुतिकरण में शामिल रचनाए
चिड़िया कुहू कुहू करेगी
सूरज अपनी किरणे लेकर आएगा
कनेर पर खिलेंगे पीले फूल
और उड़हुल खिलेगा लाल लाल..
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मगर आज गांधी खुद अपनी ही लकड़ी लेकर भी खड़ा हो नहीं पाता है
लिखने में खुद के भगवान फूंकता है
और वो पसर भी जाता है
कोई ढूंढे मशाल ले कर के इंसान
मगर दूर तक नजर नहीं आता है..
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सत्तर साल से उठाता रहा सूखे पत्तों का ढेर,
कहीं कोई सुख जीवाश्म मिल जाए देर सबेर,
अंतिम चाह का क्या कीजै निब टूटने के बाद,
तक़दीर के आगे नहीं चलता कोई भी हेर फेर,
एक अदद हमदर्द की तलाश करते रहे ताउम्र,
एक से छूटे कहीं तो हज़ार वेदनाएं लेते हैं घेर,..
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नव निर्मित पुल का उदघाटन करके मंत्री जी अभी-अभी मंच पर आए थे ! पीछे-पीछे पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों का हुजूम था ! उनके पीछे आम जनता की बड़ी..
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पम्मी सिंह ' तृप्ति '...✍️

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इतनी बेशर्मी भी अच्छी नहीं ‘उलूक’
जवाब देंहटाएंजब समझना सब कुछ के बाद भी
आपकी रचना ने अंक सुंदर बनवा दिया है
आभार पम्मी जी | विकास का रथ - लिंक नहीं बना है |
जवाब देंहटाएंअब देखिए
हटाएंवंदन
बेहतरीन अंक 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत सच्ची रचना
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