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रविवार, 7 जनवरी 2024

3998 ...बेईमानों की भीड़ में ईमानदार भी लगे बेईमान जैसे...

 

सादर अभिवादन
सात दिन बीत गए 
2024 के..
कैलेण्डर को छोड़कर कुछ भी नहीं बदला अब तक
जनवरी में बदलाव की उम्मीद भी चुक गई शायद...
चलिए चलें रचनाओं की ओर....




अपना खाली समय गुजारने के लिए कभी रिश्तें नही बनाने चाहिए |क्योंकि हर रिश्तें में दो लोग होते हैं, 
एक वो जो समय बिताकर निकल जाता है ,और दूसरा उस रिश्ते का ज़हर ताउम्र पीता रहता है |  
  हम रिश्तें को केवल किसी खाने के पैकेट की तरह खत्म करने के बाद फेंक देते हैं |




इस पीढ़ी के लोग बिलकुल अलग ही हैं...रात को जल्दी सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले, भोर में घूमने निकलने वाले।आंगन और पौधों को पानी देने वाले, देव पूजा के लिए फूल तोड़ने वाले, पूजा अर्चना करने वाले, प्रतिदिन मंदिर जाने वाले।रास्ते में मिलने वालों से बात करने वाले, उनका सुख दु:ख पूछने वाले, दोनो हाथ जोडकर प्रणाम करने वाले, पूजा किये बगैर अन्न ग्रहण न करने वाले।




बहुत कुछ खोदा जाना है
बहुत कुछ पर मिट्टी डाली जानी है
अभी व्यस्त है समय
और मशीने लगी है नोट गिनने में
पकडे गए जखीरों के





नियम, धर्म, सत का  हुआ अवसान हो जैसे।
मनुजता की कुटिलता बड़ी पहचान हो जैसे।।
छल कपट लोभ स्वार्थ का जाल फैला है ऐसे।
बेईमानों की भीड़ में ईमानदार लगे बेईमान जैसे।।




पहचाने से हैं, रस्ते उन गलियों के,
रिश्ते उन, रास्तों से,
करीबी हैं कितने ...
खबर है, जबकि मुझको,
फिर न पुकारेंगी,
वे राहें मुझे,
अपरिमित हो चली हैं दूरियां,
अब कहां नजदीकियां?
उन गलियों से!


आज बस
कल फिर
सादर


9 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आपको राम राम
      उत्तराखण्ड में लोग भी
      इतनी सुबह उठ जाते हैं
      आप ज़रूर मेरे जैसे रामनामी हैं
      सादर राम राम
      नमन

      हटाएं
  2. एक अन्तराल पश्चात इस पटल का हिस्सा बनना एक सुहाने सफर सा है। आ. दीदी को प्रणाम और समस्त गुणीजनों का अभिवादन।।।।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार,,

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर लिंकों का संग्रह।
    इसमें मेरी रचना को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं

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