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मंगलवार, 5 मार्च 2019

1327....शिवरात्रि सुर संगीत सुनो

जय मां हाटेशवरी......
हर बार की तरह इस बार विश्व महिला दिवस के लिये एक 
विषय निर्धारित किया गया है.....
इस बार  की थीम थिंक इक्वल, बिल्ड स्मार्ट, इनोवेट फॉर चेंज है. 
इस साल इस थीम का उद्देश्य नई सोच के साथ लैंगिक 
समानता और महिला सशक्तिकरण  जैसे मुद्दो पर अपना 
ध्यान केंद्रित करना है. इसके अलावा इस वर्ष महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा के अतिरिक्त सार्वजनिक सेवा और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में
उनकी उपस्थिती में ध्यान दिया जाएगा.
आप सभी महिलाओं को विश्व महिला दिवस की अग्रिम शुभकामनाएं......

            पिछड़े, दबे-कुचले, शोषित लोग तो मरते रहेंगे /” उन्होंने झल्लाते हुए कहा-” आपको मीडिया में नहीं किसी NGO में होना चाहिए था?” इतना कह कर उन्होंने फोन रख दिया /  मुझे उनकी सलाह पसंद 
आई / अगले दिन मैं चिरौली गांव में था और मेरा त्यागपत्र 
प्रोड्यूसर साहब के टेबल पर 

मेरे पास सब कुछ है आप देख लीजिए। कोई नहीं सुन रहा। एक 
बच्चे का बलात्कार हो गया है, लेकिन कोई कुछ नहीं कर रहा। 
पुलिस वाले सुन नहीं रहे। खैर सारा माजरा तो मुझे पहले ही 
समझ आ गया था। ये पुलिस वाले सही एफआईआर कहां 
दर्ज करते हैं। झूठा एफआईआर तो बिना पैसे के लिखवा लो 
लेकिन सच के लिए पैसा भी दो तो भी कुछ नहीं होगा।
मैंने पूछा एफआईआर है हां है । 
आखिर जिनके साथ ये हुआ वो कौन है?
महिला ने कहा , मेरी बेटी।
मैंने कहा फिर मैं कैसे हेल्प करूँ मेडिकल?
उसने कहा अभी फूल बेच रही हूँ यहां मेडिकल तक में सही 
आया लेकिन नहीं दिया पुलिस ने सारे कागजात छुपा लिए।
मैंने सोचा चल कर माजरा देखा जाए।


बन रही हूँ  कुशल ,
नये कौशल सीख रही हूँ ।
भौतिक नश्वरता के दौर में ,
मैं भी आज कल ;
दुनियादारी सीख रही हूँ ।


शिव ने शक्ति समेटी है,
अपनी जटा लपेटी है.
चित और आनंद मिलेंगे,
कैलाश में किसलय खिलेंगे.
सृष्टि का होगा स्पंदन,
कल्प नया, करो अभिनन्दन.
नव चेतन का चिन्मय गीत सुनो,
  शिवरात्रि सुर संगीत सुनो.


जब भी कभी बैठती हूँ
तन्हाई में
अनायास ही
उस महल के मलबे में
तलाशने लगती हूँ
मासूम एहसास का
अधूरा टुकड़ा।


 कोई शब्द है जो भीतर घटते रुदन, अकेलेपन और शोक पर 
मरहम की तरह रखा जा सके. सबको अपने युद्ध खुद लड़ने हैं, 
अपना शोक खुद अपने कंधे पर उठाना है. फिर शोर क्यों
बरपा है आखिर? देश और पड़ोस में कोई फर्क नहीं. दुःख 
जहाँ है वहां कोई शोर पहुँच नहीं सकता और शोर जहाँ है वहां 
दुःख कैसे टिकेगा भला? किसी के दुःख का, किसी के प्रेम का, 
संवेदनाका हिसाब माँगना अश्लील है. सच में दुःख में डूबा 
व्यक्ति न किसी से हिसाब मांगेगा और न ही कोई हिसाब दे सकेगा.

लेकिन थरथराती साँसों के संग
सब उसी पर नज़रें टिकाए रहते हैं ।
कुछ भी कहनेवाला
न कभी सही था,
ना होगा
पर साथ चलनेवाला
हमेशा सही होता है ।
......
अब बारी है हम-क़दम की
इकसठवाँ अंक
विषय ः
गरीबी
उदाहरण...
कितनी योजनाएँ बनती हैं
इतनी रगड़-पोंछ के बाद भी
क्यों गरीबों के आंकड़े बढ़ते है?
गहरी होती जाती है गरीबी रेखा
तकदीर शून्य ही गढ़ते हैं
रचनाकार श्वेता सिन्हा

अंतिम तिथि - 09 मार्च 2019
प्रकाशन तिथि - 11 मार्च 2019

धन्यवाद।

10 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अंक..
    आकर्षक विषय..
    आभार भाई कुलदीप जी
    सादर..

    जवाब देंहटाएं
  2. शुभ प्रभात सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं

    जवाब देंहटाएं
  3. सदैव की तरह खूबसूरत और ताजगी भरा सुन्दर संकलन ।
    संकलन में 'अधिगम' को स्थान देने के लिए हृदयतल से आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर हलचल संकलन |शानदार रचनाएँ |
    सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
    सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन संकलन ,सभी रचनाकारों को बधाई ,सादर नमस्कार

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुन्दर रचनाओं का संकलन लाजवाब प्रस्तुति करण....

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर ¡
    त्योहार का रंग लिये आकर्षक प्रस्तुति।
    सादर।

    जवाब देंहटाएं

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