सादर अभिवादन।
आज महशिवरात्रि है. शुभकामनाएँ.
इस बार हम-क़दम के 60 वें अंक का विषय "अभिशाप" शब्द दिया गया था। इस विषय पर रचनाकारों ने उत्साहपूर्वक ख़ूबसूरत रसिकता से परिपूर्ण उद्देश्यपूर्ण एवं संदेशपरक रचनाओं
का सृजन किया है।
अभिशाप अर्थात बड़े अनिष्ट की कामना / CURSE, वरदान का विलोम।
अभिशाप शब्द मूलतः संस्कृत भाषा का है जिसके कुछ और अर्थ भी हैं जैसे बड़ा शाप,
लाँछन, मिथ्या आरोप आदि।
उपसर्ग अभि, मूल शब्द शाप = अभिशाप।
आइये अब उन रचनाओं का अवलोकन करें जो रचनाकारों की लेखनी से सृजित होकर हम
तक जिस क्रम में पहुँची हैं-
अभिशाप
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तेरे स्नेह का मोल , किसने है जाना ?
क्यों भटक रहा ,रे पथिक तू दीवाना।
चढ़ा प्रत्यंचा तू , है वीरगति पाना ;
शापित था जीवन, कर्ण को है जाना।
अभिशाप ये कैसा,क्यों दंड तूने पाया;
नियति से ना पूछ, छोड़ उसकी छाया।
जाने कैसा अभिशाप है ये
मन मेरा समझ नहीं पाता है
मेरी झोली में आकर तो
सोना भी लोहा बन जाता है
जिनको मन से अपना माना
उन्हीं ने ऐसे दगा दिया
यकींं भी गया अपनेपन से
तन्हा सा जीवन बिता दिया
प्रणय मेरा अभिशाप बना
ना जी ही पाता हूँ
ना मर ही पाता हूँ
ठीक से
लाख कोशिशों के बावजूद
मैं इससे मुक्त भी नही हो पाया हूँ
यही अभिशाप है। कृष्ण द्वारा शापित अश्वत्थामा जैसा कोई भी कुकृत्य इन तीनों ही का नहीं था, फिर भी नियति का यह कैसा अन्याय ?
समसामयिक विषय पर कहूँ , तो पाकिस्तान हमारे देश के लिये अभिशाप ही है। भारत ने सदैव उसे छोटे भाई सा सम्मान देने का प्रयास किया, फिर भी वह आतंकवाद का पोषक बन स्थाई रूप से पीड़ा देता आ रहा है। यही नहीं वह सम्पूर्ण विश्व और मानवता के लिये खतरा बन गया है। उसे दंडित करने के लिये भी किसी कृष्ण की आवश्यकता है, ताकि अश्वत्थामा सा वह भी मानव समाज के लिये घृणा का पात्र बने और अपने ललाट पर बदनुमा दाग लिये उस कष्ट की अनुभूति करे , जो आतंकवाद के माध्यम से मानवता को देते आ रहा है।
आखिर नारी बेचारी
जीवन था उसका अभिशाप
वह थी एक अवला शोषण का शिकार
रोज की हाथापाई कर गई सीमा पार
नौवत बद से बत्तर हुई |
महक़ रही प्रीत की बस्ती
अंगारों में तार दिया
भूल गई अस्तित्व अपना
घटना को दिल में उतार लिया
मूक द्वेष के शब्द थे गहरे
द्वेष बना अभिशाप मनु का
प्रीत का दामन डोल गया
तू कैसे मेरे जीवन का
सबसे बड़ा अभिशाप बन गया ?
जघन्यतम अपराधों से आरोपित
जेल की सलाखों के पीछे बंद हो
तू कैसे सबकी नज़रों में मुझे गिरा
मेरी कोख को शर्मिन्दा कर गया ?
कैसा अभिशाप था
अहिल्या भरभरा के गिर पड़ी
सुन वचन कठोर ऋषि के
दसो दिशाओं का हाहाकार
मन में बसा
सागर की उत्तंग लहरों सा ज्वार
उठ उठ फिर विलीन होता गया
लालसा....
किसी से जीतने की अत्याधिक लालसा
कभी-कभी बर्बादी की वजह बन जाती है
हम अपना सबकुछ हार जाते हैं
लालसा मानव जीवन का अभिशाप बन जाती है
गरीबी...
आपने ही छीना मेरा ठिकाना।
मैंने अग्नि-परीक्षा तो दी थी,
मिलन की घड़ी ये छोटी बड़ी थी।
हा,नाथ गर्भिणी को यूं वन में भेजा !
फटा क्यों नहीं आपका कलेजा ??
किसके अभिशाप का फल भोगती हूं !
निरपराध होकर मैं दंड भोगती हूं!!
सभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएँ।
हम सभी पाठकों से अनुरोध करते हैं कि
"पाँच लिंकों का आनन्द" जैसे साहित्यिक सृजन
के पटल पर अपनी रचना सम्मिलित कराने हेतु
हमारे मंगलवारीय अंक में दिये जाने वाले विषय
पर अपनी रचना भेजकर इस मंच को सार्थक
अर्थों में महत्वपूर्ण बनाने में हमारा
सहयोग कीजिए। सादर।
रवीन्द्र सिंह यादव
शुभ प्रभात रवीन्द्र भाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार प्रस्तुति
आभार
सादर
विषय जितना पेचीदा रचनाएं उतना ही उम्दा
जवाब देंहटाएंसस्नेहाशीष
लाजवाब संकलन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अनुपम अभिनव रचनाओं का संकलन आज की हलचल में ! मेरी रचना को सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! महा शिवरात्रि की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर अंक
जवाब देंहटाएंउम्दा रचनाएं ...
"महाशिवरात्रि" की हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय आपको और आपके पुरे टीम को सादर
मेरी रचना को यहाँ प्रदर्शित करने के लिए आभार ....सादर
वाह बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत ये अंक सुंदर मनभावन कृतियों का खजाना है।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं बहुत प्रभावशाली सुंदर।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय तल से आभार ।
सभी रचनाकारों को बधाई ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति शानदार रचनाएं मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका बहुत बहुत आभार रवीन्द्र जी
जवाब देंहटाएंसुप्रभात आदरणीय 🙏
जवाब देंहटाएंबेहतरीन हमक़दम की प्रस्तुति 👌,शानदार रचनाएँ ,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं, मुझे हमक़दम में स्थान देने के लिए सह्रदय आभार
सादर
हमकदम की शानदार रचनाओं में मेरी रचना को स्थान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार एवं धन्यवाद।सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंआज महाशिवरात्रि पर्व की भी आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं...
वाह बहुत सुन्दर अंक।
जवाब देंहटाएंहर रचना दिल को छूती हुई ,सभी रचनाकारों को बधाई ,सादर नमस्कार आप को
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति,सभी रचनाएं उत्तम , रचनाकारों को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए सहृदय आभार आदरणीय रवीन्द्र जी 🙏🙏