एक क़दम आप.....एक क़दम हम
हम-क़दम का दूसरा कदम
इस सप्ताह का बिषय है
"बवाल"
उदाहरणः
समंदर सारे
शराब के होते तो
सोचो कितना
बवाल होता,.
हक़ीक़त सारे
ख़्वाब होते तो
सोचो कितना
बवाल होता..
आप अपनी रचनाऐं शनिवार (20 जनवरी 2018 )
शाम 5 बजे तक भेज सकते हैं। चुनी गयी श्रेष्ठ रचनाऐं आगामी सोमवारीय अंक (22 जनवरी 2018 ) में प्रकाशित होंगीं।
इस विषय पर सम्पूर्ण जानकारी हेतु हमारा पिछले गुरुवारीय अंक
(11 जनवरी 2018 ) को देखें या नीचे दिए लिंक को क्लिक करें
909...एक क़दम आप.....एक क़दम हम बन जाएँ हम-क़दम
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सादर अभिवादन
आज हिमांचल के उस हिस्से में बिजली गुल है
जिस हिस्से में भाई कुलदीप जी रहते हैं
सो ये जिम्मेदारी मुझ पर
कल का बेहतरीन अंक...
याद रहेगा रचनाकारों को...
तीन दिमाग लगे थे उसे बनाने में
चलिए आज की पसंद पर एक नज़र....
खिलते फूल महकती कलियां, न भायें
पुरवा बैरन आग लगाये ,सावन में
इतना हरजाई निकलेगा, सनम मेरा
इश्क किया करके पछताये, सावन में
झुरमुटों की ओट से झाँकता
चिड़ियों के परों पर फुदकता
सरित धाराओं के संग बहकर
लिपट लहरों से मुस्काता सूरज
तपती रेत के टीलों से उठती आग
समुन्दर का गहरा नीला पानी
सांप सी बलखाती “शेख जायद रोड़”
कंक्रीट का इठलाता जंगल
ये उदासी ये फैलते साए
हम तुझे याद करके पछताए
मिल गया सुकूँ निगाहों को
की तमन्ना तो अश्क भर आये
हम जो पहुंचे तो रहगुज़र ही न थी
तुम जो आये तो मंज़िलें लाये
देखा सिकुड़ते तन को
ठिठुरते जीवन को
मन में ख्याल आया...
थोड़ा ठिठुरने का ,
थोड़ा सिकुड़ने का,
शॉल हटा लिया....
जब से गए तुम रहबर,
न ली सुधि मेरी,
न भेजी तूने कोई भी खबर,
हुए तुम क्यूँ बेखबर?
तन्हा सजी ये महफिल,
विरान हुई राहें,
सजल ये नैन हुए,
तुम नैन क्यूँ फेर गए?
लो संभालो नेह के बंधन रसीले
हम हुए अब मुक्त इस स्थूल जग से
ले चलो गन्तव्य तक अब साथ दो तुम
थक गया हूँ मैं बहुत अब थम लो तुम.
आज..
अब...
बस....
दिग्विजय
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंआनन-फानन का संयोजन
अच्छा ही होता है
सादर
सुप्रभात आदरणीय सर,
जवाब देंहटाएं"बवाल" नया विषय अति रोचक है।
बहुत सुंदर रचनाएँ है आज के संकलन में,मेरी रचना को स्थान देंने के लिए.अति आभार आपका। सभी साथी रचनाकारों को भी बधाई एवं शुभकामनाएँ।
शुभ प्रभात जीजाजी
जवाब देंहटाएंतआज़्ज़ुब हो रहा है आपको देखकर
फिर भी अच्छी रचना चुनी आपने
पाँच लिंकों का आनन्द टीम ने आज
एक नया बवाल खड़ा कर दिया
बवात तो राजनीति में, कॉलेजों में, सब्जी बाजार में
मंदिर-मस्ज़िद मे होता है अक्सर....
कविताओं में...एकाध नमूना और दिखाइए न
आदर सहित
हद की सीमांत ना करो सवाल उठ जाएगा
हटाएंगिले शिकवे लाँछनों के अट्टाल उठ जाएगा
लहरों से औकात तौलती स्त्री सम्भाल पर को
मौकापरस्त शिकारियों में बवाल उठ जाएगा
आदरणीय दीदी
हटाएंसादर नमन
आपने नमूना दिखा दिया मेरी दिबू को
सादर
vabaal
हटाएंवबाल
وبال
calamity, ruin
बोझ, मुसीबत
बवाल meaning in hindi
[सं-पु.] - 1. तमाशा खड़ा करना 2. बखेड़ा; फ़साद।
तुम्हरा रेत पर भी नाम अब लिखूँ कैसे
मैं जानता हूँ समंदर बवाल करता है
- अस्तित्व अंकुर
वाह दीदी वाह
हटाएंशब्दकोश भी
उदाहरण भी
अस्तित्व साहब को आभार
आदरणीया विभा दीदी की साहित्यिक सक्रियता को सादर नमन।
हटाएंरोचक विषय बवाल ...
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरत लिंक संयोगिता किए हैं .. मेरी रचना को शामिल करने का आभार ...
लगता है पाँच लिंक की हलचल बवाल मचायेगी :) एक खूबसूरत प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंलो जी कर लो बात
जवाब देंहटाएंबवाली तो मैं कहलाती लिख डालो मेरे रंग को हवा कहती
अनुज तुसी ग्रेट हो
रोचकता से लबरेज़ ख़ूबसूरत प्रस्तुति। प्रतिस्थापन की स्थिति में सार्थक सफल प्रयास।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई एवं साधुवाद आदरणीय दिग्विजय भाई जी।
सभी चयनित रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाऐं।
भाई कुलदीप जी के विचारों की प्रतीक्षा अगले अंक तक।
हम-क़दम-2 के नये बिषय "बवाल" की हलचल ज़रूर नया गुल खिलायेगी हमारे मंच पर .....इंतज़ार कीजिये अगले सोमवार तक।
हम-क़दम-1 के सफ़ल आयोजन के लिए आप सभी सुधिजनों एवं भागीदार रचनाकारों का हार्दिक आभार। साथ ही आदरणीया यशोदा बहन जी के कलात्मक सहयोग एवं आदरणीया श्वेता सिन्हा जी के बहुमुखी योगदान के लिए हार्दिक आभार।
बहुत अच्छी हलचल प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंअरे....
जवाब देंहटाएंआज तो जीजू हैं यहां
हम तो समझे थे दीदी होगी
लड़ेंगे खूब...
क्यों फेंका
तालाब में कंकड़
शांत बैठे थे जल में
लहरों ने बवाल
कर दिया
....
एक औचक विषय
पर...
कवि का क्या
कहीं भी अपनी नाक
घुसेड़ देगा
आने वाले दिनों में
देखिएगा...उनकी
हर कविता में
बवाल पर
बवाल मचा दिखाई देगा
सादर
वाह.. मजेदार बवाल ..
जवाब देंहटाएंबवाल हो तो ऐसा कि मुस्काराने को विवश हो जाए
बहुत सुंदर संकलन सभी रचनाकारों को धन्यवाद
ख़ूबसूरत प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण एवं उम्दा लिंक संकलन...
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए बहुत धन्यवाद, एवं हृदय से आभार। विलंब के लिए क्षमा चाहती हूँ....